लीक से हटकर रास्ता चुनेगे तभी अच्छी सच्ची खुशी मिलेगी Publish Date : 10/08/2024
लीक से हटकर रास्ता चुनेगे तभी अच्छी सच्ची खुशी मिलेगी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जीवन कठिन और भयावह है जीवन की ताथैयां हमें विनाश की हद तक ले जा सकती हैं, लेकिन यह कठिनाइयां ही हैं जो हमें ज्ञान की प्राप्ति तक समृद्धि भी कर सकती हैं, इसलिए कठिनाइयां संकटों से घबराना कैसा। जो लोग चुनौतियों और कठिनाइयों की तलाश में लीक से हटकर नया मार्ग खोज लेते हैं, जीवन में वही कुछ खास हासिल कर सकते हैं। .इसलिए स्वेच्छा से चुनौतियों की तलाश करना ही जीवन में पूर्णता हासिल करने का सबसे अच्छा मार्ग है। अगर आप इस ढर्रं का हिस्सा नहीं बना चाहते हैं तो आपको कुछ अलग ही करना होगा, तो सबसे पहले अपने लिए चीजों को आसान बनाना बंद कर दें।
मैं आपसे सवाल पूछता हूं क्या होगा यदि खुशी और ना खुशी एक दूसरे से इस तरह बंधे हो कि जो कोई एक को जितना संभव हो सके उतना पाना चाहता है उसे दूसरे को भी जितना संभव हो उतना पाना होगा। यानी जो कोई स्वर्ग तक खुशी मनाना सीखना चाहता है उसे मृत्यु पर्यंत अवसाद के लिए भी तैयार रहना ही होगा। जीवन का सार्थक अस्तित्व और पूर्णता के रिश्ते पर टिका होता है। आपके पास विकल्प है या तो जितना संभव हो उतना कम असंतोष थोड़े वक्त के लिए दर्द रहित होने का चुनाव करें या फिर जितना संभव हो उतना अधिक असंतोष सूक्ष्म सुखों और खुशियों की कीमत के रूप में जिनका शायद ही कभी आनंद लिया गया हो।
कुछ ऐस चुने, यदि आप पहले वाले विकल्प को चुनते हैं और मानवीय स्तर के दर्द को कम करना चाहते हैं तो आपको उनके आनंद के स्तर को भी कम करना होगा। इसे एक तरह के साहस के दर्शन के रूप में ही देखा जाना चाहिए और यही उचित भी होगा। यह व्यक्तिगत विकास के साधन के रूप में चुनौती को स्वीकार करने की इच्छा ही है। कर्ता का मूल आधार न केवल चुनौती की तलाश करना है बल्कि उसके प्रति समर्पित होना भी है। चुनौतियों की तलाश करना भी अपने भाग्य को खुद बनाने का एक और तरीका है।
आपको अपने जीवन में अपने भाग्य को न केवल स्वीकार करना चाहिए बल्कि उससे प्यार करना भी सीखना चाहिए और उसे समझना भी चाहिए भले ही वह अच्छा हो या फिर बुरा, यदि जरूरी हो तो व्यक्ति को अपने जीवन में प्रत्येक घटना और प्रत्येक पीड़ा को बार-बार जीने की कला भी सीख लेनी चाहिए। आप अपने भाग्य से प्यार इसलिए भी करें क्योंकि यही सबसे अच्छा साथ है, जिसमें आप खेल सकते हैं। जो दो सवाल अक्सर मैं खुद से पूछता आया वही सवाल आपसे मैं पूछता हूं, आज आप कौन सी चुनौती लेना चाहते हैं और क्या आप इस बार-बार करने के लिए तैयार हैं। जीवन रूपी पाठशाला में शिक्षा के लिए दुख, दर्द और पीड़ा से परिचित होना बहुत जरूरी है और इन्हें सहने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
इसके बाद ही हम अपने समक्ष आने वाली कठिनाइयों और चुनौतियों का बेहतर तरीके और साहस से सामना कर पाने में सक्षम बनते हैं। जब हमें पीड़ा मिलती है तो निश्चित रूप से इसके बाद हमें खुशी भी मिलती है, यही प्रकृति का नियम है। मैं पीड़ा के विशिष्ट रूपों को पसंद करता हूं और उन्हें अपनाता भी हूं, चाहूं तो अपने खराब वक्त में संघर्ष से दूर भाग सकता हूं लेकिन तब मैं बाहर जाकर ऐसा करता हूं तो मुझे हमेशा लगता है कि मैं अपने जीवन का सबसे अच्छा वक्त बिता रहा हूं। खुशी की कुंजी शायद दुख की अपरिहार्यता से निपटने में हमारी क्षमता में ही निहित है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।