शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी कदम Publish Date : 06/08/2024
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी कदम
प्रोफसर आर. एस. सेंगर
देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए और उठाएं जाए जरूरी कदम
जब हम प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को याद करते हैं तो देखते हैं कि आज की शिक्षा उसके समतुल्य खरी नहीं उतरती है। ऐसी चर्चाएं आम हो गई हैं उसे समय जिस तरह का गुरु को सम्मान मिलता था और जिस शहंशाह से संसाधनों की व्यवस्था होती थी वैसी आज नहीं है। आज बच्चों पर पाठ्यक्रमों का बोझ बढ़ा है और उनमें प्रतिष्ठा का तनाव भी देखने को मिलता है। कोचिंग संस्थानों की आपसी होड़ झेलने को बच्चे विवश है, उधर माता-पिता भी बच्चे को कोचिंग करने के लिए व्यथित रहते हैं।
यदि स्कूल ठीक से चले अध्यापक समय से अपना कार्य करें और कार्यक्रम समय से परिवर्तित होते रहे तो परीक्षा व्यवस्था पर फिर से लोगों का विश्वास लौटाया जाए तो बच्चों को कुछ राहत मिल सकेगी। प्रबुद्ध देशवासियों को इस और ध्यान देने की जरूरत है कि शिक्षा प्राप्त युवाओं के अंदर वे गुण पैदा करें जिसमें वह व्यवहार व बोलचाल में पढ़े लिखे प्रतीत हो। फर्जी डिग्री प्राप्त युवाओं का ना तो स्वयं का भला हो सकता है और ना ही उनसे समाज व राष्ट्र का। अतः सरकार को चाहिए कि स्कूल कॉलेज में रिक्त पड़े अध्यापकों के पद तुरंत भरे जाएं और नियुक्तियों में पारदर्शिता लाई जाए। प्राइवेट यूनिवर्सिटी और कॉलेज में जो बढ़ावा दिया जा रहा है इस पर सोच समझकर कदम उठाए जाएं।
इन कॉलेज में जो शिक्षक नियुक्त किया जा रहे हैं उनका पूरा पे स्केल मिलना चाहिए क्योंकि पूरे पे स्केल ना मिलने के कारण जो समर्थ के साथ अध्यापक वहां काम करते हैं उसमें उनको पढ़ाई होती है। यदि उनको सरकारी कॉलेज के समतुल्य वेतन दे दिया जाएगा तो निश्चित रूप से वहां पर भी शिक्षा पद्धति में निखार आएगा और वह भी उच्च श्रेणी के हो सकेंगे। इसी के साथ यह भी ध्यान रखें कि उच्च वेतन पाने वाले अध्यापक कर्तव्य निभाने में खरे भी उठाते हैं या नहीं इस बात की भी प्रॉपर मॉनिटरिंग होनी चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।