महुआ की खेती से लाभ

                                        महुआ की खेती से लाभ

                                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु

प्रगतिशील किसान नवल किशोर ने बताया कि मडुआ एक ऐसी फसल है, जिससे आप सिर्फ 4 महीने के अंदर ही लाखों रुपए कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर आपने 10 एकड़ में यह फसल लगा ली तो आप 40 लाख रुपए तक कमाई कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं किसानो को इसके लिए लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ेता और काफी कम मेहनत में आप इस फसल की खेती कर सकते हैं।

                                                                        

किसान नवल किशोर ने बताया कि बाजार में मडुआ की कीमत 120 से 140 रुपए प्रति किलो तक आसानी से मिल जाती है। यदि इसकी उपज के बारे मे बात करें, तो एक एकड़ में 25 से 30 क्विंटल तक मडुआ की उपज हो सकती है। मडुआ की फसल को तैयार करने में काफी कम समय लगता है और बुवाई के 10 से 15 दिन में इसकी पौध तैयार हो जाती है। जबकि मडुआ की पूरी फसल 115 से 120 दिन में तैयार हो जाती है।

यदि कोई किसान एक एकड़ क्षेत्र में मडुआ की फसल लगाता है तो वह 30 क्विंटल तक मडुआ की उपज प्राप्त कर सकता है, जिसका बाजार मूल्य चार लाख रूपए के आसपास होता है।

किसान नवल किशोर का कहना है कि किसान मडुआ के साथ-साथ रागी की खेती भी कर सकते हैं। हालांकि, रागी की कीमत मडुआ की अपेक्षा कम होती है, लेकिन इसकी पैदावार भी अच्छी होती है। वहीं अगर आप अपने खेतों में रागी या मडुआ की फसलों की खेती करते हैं, तो आप इसे सीधे रूप में भी बाजार में बेच सकते हैं और अगर आप चाहे तो इसका आटा बनाकर भी आप बाजार में बेच सकते हैं।

                                                                   

स्थानीय बाजारों में दोनों ही फसलें काफी आसानी से बिक जाती है। उन्होंने बताया कि पहले के जमाने में लोग मडुआ की खेती किया करते थे और बिना रासायनिक उर्वरक का उपयोग कर इसकी खेती कर लोग अपनी सेहत को बेहतर बनाए रखने में सक्षम हो पाते थे।

आज भी लोग अपनी सेहत के प्रति काफी अधिक जागरूक हो गए हैं और इसी के अनुरूप मोटे अनाज का चलन भी काफी बढ़ गया है। ऐसे में यदि किसान भाई भी अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इन दोनों फसलों की खेती आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवा योजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांटबायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।