देश की युवाशक्ति

                                        देश की युवाशक्ति

                                                                                                                                                                        डॉ0 आर. एस. सेंगर

देश की आबादी में 60% से अधिक हिस्सेदारी 18 से लेकर 35 वर्ष के लोगों की है । वित्तीय वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में सरकार रोजगार सृजन के विभिन्न उपायों के साथ इस वर्ग को साधना चाहती है । मुख्य रूप से पूंजीगत खर्चे में बढ़ोतरी के लिए प्रोडक्शन लिक्विड इंसेंटिव पल जैसी स्कीम के साथ ग्रामीण इलाके में यूनिट लगाने पर प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा हो सकती है । सरकार पढ़े-लिखे युवाओं को युवाओं को नौकरी के लाइक बनाने के लिए कुछ वित्तीय सहायता के साथ उन्हें डिजिटल टेक्निकल एवं विभिन्न उभरते हुए सेक्टर में ट्रेनिंग प्रोग्राम लॉन्च कर सकती है।

                                                                          

जीडीपी व निर्यात दोनों में 40% से अधिक योगदान देने वाले एमएसएमई सेक्टर के लिए अलग से पल जैसी स्कीम लाने पर वह बड़ी मात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग के लिए नया निवेश कर सकते हैं। इससे रोजगार का सृजन होगा ऐसा भी हो सकता है कि सरकार इंसेंटिव को रोजगार सृजन से जोड़ दें। वर्तमान में 14 सेक्टर के लिए प्ली स्कीम लाई गई है, लेकिन इस स्कीम का सबसे अधिक लाभ देने के लिए उन्हें 100 करोड़ से अधिक निवेश की जरूरत होगी और बड़ी मात्रा में निवेश नहीं कर सकते।

एम एस एम आई के लिए अलग से प्ली स्कीम आने पर लेदर गारमेंट्स ऑटो पार्ट्स जैसे सेक्टर में आसानी से बड़ी मात्रा में निवेश कर सकती है। घोषित प्ली स्कीम की मदद से इलेक्ट्रॉनिक्स फार्मा व्हाइट गुड्स जैसे सेक्टर में बड़े निवेश हुए हैं और लाखों की संख्या में रोजगार भी निकले हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में नए संयंत्र पर प्रोत्साहन संभव

बजट में सरकार ग्रामीण इलाके के पास यूनिट लगाने वालों की मार्केटिंग और उन्हें अपना बिजनेस सुविधा के लिए प्रोत्साहन पैकेज भी दे सकती है। जानकारों का कहना है कि इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार का सृजन होगा और ग्रामीण कपट भी बढ़ेगी आगामी 30 जुलाई को पेश होने वाले बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ ग्रीन सेक्टर में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा हो सकती है। इससे भी रोजगार में बढ़ोतरी होगी।

सरकार पूंजीगत खर्च में कर सकती है बढ़ोतरी

फरवरी में पेश अंतरिम बजट में पूंजीगत खर्च सिलेक्स की मदद से 11 पॉइंट एक लाख करोड़ का आवंटन किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्ण बजट में किसको बढ़कर 11.8 लाख करोड़ किया जा सकता है। पूंजीगत खर्च में सरकार लगातार बढ़ोतरी कर रही है, क्योंकि इससे बुनियादी सुविधाओं के विकास का काम होता है जिससे रोजगार निकलता है और फिर उसे रोजगार से खपत में बढ़ोतरी होती है।

वित्तीय पैकेज देने से सरकार नहीं हटेगी पीछे

जानकारों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में सरकार के टैक्स राजस्व में ढाई अंक में बढ़ोतरी हुई है और राजकोषीय घाटी को भी सरकार लक्ष्य के भीतर जीडीपी के 5.6% रखना में कामयाब रही है। इसलिए रोजगार सृजन के लिए विभिन्न पैकेज देने में सरकार को वित्तीय झिझक नहीं होगी। अभी देश के जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 15% के पास है और इस हिस्सेदारी को 25% तक ले जाने के लिए बजट में विशेष ध्यान दिया जा सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।