
नीम का वृक्ष लगाए और पर्यावरण तथा अपने स्वास्थ्य दुरूस्त बनाए रखें Publish Date : 13/07/2024
नीम का वृक्ष लगाए और पर्यावरण तथा अपने स्वास्थ्य दुरूस्त बनाए रखें
डॉ आर एस सेंगर
नीम के पेड़ कठोर और बारहममासी होते हैं यह 20 मीटर तक की ऊंचाई तक आसानी से पहुंच सकते हैं। भारतीय समाज ने प्राचीन समय से ही नीम के पेड़ों को उचित सम्मान दिया जाता रहा है। यहां लोगों ने इस पेड़ को अपनी सामाजिक प्रथाओं, आध्यात्मिक मान्यताओं और महत्वपूर्ण रूप से चिकित्सा पद्धति से भी जोड़ दिया था और यह सिलसिला आज भी चल रहा है।
नीम के पेड़ से ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। यह बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा नीम में वायु और जल प्रदूषण के साथ-साथ गर्मी को झेलने की एक अनूठी क्षमता होती है। नीम मिट्टी की उर्वरता को भी बहाल करता है और इसे बनाए रखना है। इसके अलावा नीम के पेड़ में औषधि गुणो की भी भरमार होती है।
नीम में एक अच्छा एंटी बैक्टीरियल वृक्ष होता हैं। इसकी दातुन करने से मसूड़े की सूजन में आराम मिलता है। इसके अलावा भी नीम के पेड़ का हर हिस्सा चाहे वह इसके पत्ते, टहनी छाल, फल, जड़ और तन हो वह मानव स्वास्थ्य के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक होते हैं। मान्यता तो यह भी है कि है कि नीम के पेड़ की लड़कियों से हवन करने पर घर के समस्त वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। इसके अलावा नीम की पत्तियों से घर में धुआं करने से नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती है।
आजकल नीम के कई उत्पाद ऐसे बनाए जा रहे हैं जो जैविक खेती में प्रयोग किया जा रहे हैं। नीम के द्वारा कई प्रकार के पेस्टिसाइड, हरबीसाइड तथा फर्टिलाइजर तैयार किया जा रहे हैं, जिनको नीम कोटेड करके बाजार में उतर गया है। अब केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी नीम के उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। इसलिए इस वर्षा काल में नीम का वृक्ष लगाकर अपने स्वास्थ्य के साथ ही अपनी प्रकृति को भी बचाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।