आई फोन और कंप्यूटर मे डाटा आखिर कितना है सुरक्षित

                   आई फोन और कंप्यूटर मे डाटा आखिर कितना है सुरक्षित

                                                                                                                                                                                            इंजीनियर कार्तिकेय सेंगर

आजकल पूरे विश्व में जब से तकनीकी का दौर जारी है। तब से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस दौरान ओपन ए के चैट व्हाट चैट के बाद एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट गूगल और मेट जैसी कंपनियों का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर फोकस लगातार बढ़ गया है। हाल ही में इन कंपनियों ने कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फीचर्स पेश किए हैं। जिस फोटो एडिटिंग नोट्स बनाने से लेकर जन्मदिन की शुभकामनाएं भेजने जैसे कर बेहद आसान हो गए हैं। इसलिए इन कंपनियों के पास यूजर्स उत्तर पहले से मौजूद है लेकिन ए ए फ्यूचर के लिए इन्हें और ज्यादा डाटा चाहिए।

                                                                     

इसका उपयोग तमाम कार्यों को ऑटोमेटिक करने के लिए किया जाएगा। अब यह कंपनियां आपका डाटा का उपयोग कैसे कर सकती हैं इन बातों को ध्यान में रखना होगा।

एप्पल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

हाल ही में ऐपल ने आईफोन आईपैड और मेक के लिए इंटीग्रेटेड आई सर्विसेज यानी एप्पल इंटेलिजेंस को पेश किया है, इससे ऑटोमेटिक फोटो एडिटिंग वेब आर्टिकल सुम्मराइज मैसेज और ईमेल के लिए ए आई रिस्पांस का उपयोग किया जा सकता है। इन कार्यों के लिए कंपनी तमाम एप्स के डाटा को स्टोर करेगी। यानी आपको डाटा का एक्सेस कंपनी को देना ही होगा। एप्पल का कहना है कि डिवाइस पर ए आई डाटा की प्रोसेसिंग यूजर्स की प्राइवेसी को प्रोटेक्ट रखती है। हालांकि अधिक कंप्यूटेशनल पावर वाले कार्यों को एप्पल के सर्वर पर भेजा जाएगा।

जहां डाटा एंट्री इंक्रिप्ट किया जाएगा और उसे तुरंत हटा दिया जाएगा। एप्पल का दावा है कि कर्मचारियों की यूजर्स डाटा तक पहुंच नहीं होगी और सिक्योरिटी स्ट्रक्चर गोपनीयता मानकों का अनुपालन करेंगे।

माइक्रोसॉफ्ट  कोपायलट प्लस

                                                                  

माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज कंप्यूटर लैपटॉप के लिए को पायलट प्लस पीसी पेश किया है, जिसमें डेटा को सीकर रखने के लिए नए चिप्स डिजाइन किए गए हैं। यह डिवाइस इमेज जेनरेशन से लेकर डॉक्यूमेंट रराइटिंग जैसे कार्य कर सकते हैं। साथ ही कंपनी ने नया ए आई  फीचर रिकॉल पेश किया है। यह आपके कंप्यूटर की एक्टिविटीज का स्क्रीनशॉट लेता है, फिर इसकी मदद से फाइल वेबसाइट्स या एप्स को ढूंढने में मदद करता है, जिन्हें अपने पहले ओपन किया था।

माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि ए आई को बेहतर बनाने के लिए वह डाटा की समीक्षा या उपयोग नहीं करेगी, हालांकि सिक्योरिटी रिसर्चर ने चेतावनी दी है कि हैंग होने पर डाटा यूजर्स एक्टिविटीज हो एक्सपोज कर सकता है। इन चिताओं के कारण माइक्रोसॉफ्ट ने रिकॉल की रिलीज डाल दी है।

गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

गूगल ने हाल ही में कई आई पावर फीचर स्पेस की है, जिसमें फोन कॉल के लिए स्कैन डिटेक्टर भी शामिल है जो रियल टाइम में यूजर्स को संभावित स्कैन के बारे में सचेत करता है। इस फीचर के तहत जैसे ही कोई कॉलर आपके पर्सनल डिटेल्स मनगेगा गूगल आपको आधार करेगा। इसके लिए आपको सभी कॉल्स का एक्सेस देना होगा एक अन्य फीचर है। आस्क फोटोस जो यूजर को मेरी बेटी ने तैरना कब सीख जैसे सवालों के साथ अपनी फोटो लाइब्रेरी से कुरी की अनुमति देता है। इस फंक्शनैलिटी के लिए गूगल के सर्वर पर डाटा भेजने की आवश्यकता होती है।

गूगल का दावा है कि उसका क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित है। उत्तर की सुरक्षा के लिए एंक्रिप्शन और एक्सेस कंट्रोल प्रोटोकोल का उपयोग करता है। लेकिन यहां भी डाटा सिक्योरिटी को लेकर चिंताएं मौजूद हैं। इन पर अभी और काम करने की आवश्यकता है क्योंकि अभी सिक्योरिटी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। निश्चित ही आने वाले समय में शोध के द्वारा और अधिक डाटा को सुरक्षित रखा जा सकता है।

आखिर सचेत रहने की जरूरत क्यों

                                                                          

इमेज की एडिटिंग करनी हो या फिर ईमेल लिखना हो ए आई की मदद से कई कर आसान हो गए हैं लेकिन इसके लिए एआई को अधिक कंप्यूटेशनल पावर की जरूरत होती है और इसके लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग किया जाता है। जैसे ही आपकी कोई जानकारी क्लाउड पर पहुंची है तो खतरा बढ़ जाता है। कंपनियां यूजर्स डाटा की सुरक्षा का दवा तो करती है मगर जानकार मानते हैं कि कोई भी डाटा जो डिवाइस से बाहर जाता है उसके एक्सपोज होने की आशंका बनी रहती है।

कंपनियां दावा करती है कि क्लाउड पर डाटा सुरक्षित है लेकिन सच कुछ और भी हो सकता है। दरअसल एआई के दौर में क्लाउड पर जानकारी को हैंग करना नहीं असंभव है और ना ही बहुत जटिल लेकिन जिन लोगों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है, उनको जागरूक और सचेत रहने की आवश्यकता है।