सूखे हुए सरोवरों को इस बार वर्षा जल भरकर करें जल संरक्षण का परोपकार

  सूखे हुए सरोवरों को इस बार वर्षा जल भरकर करें जल संरक्षण का परोपकार-                                                                                                     प्रोफेसर सेंगर

इस बार हम सभी लोगों ने भीषण गर्मी को देखा और यह तापमान लोगों को कई तरह की बीमारियों का निमंत्रण देता है। जब भी तापमान बढ़ता है तभी हम लोग इसको काम करने के बारे में सोचने लगते हैं, जबकि हमें जागरूक रहकर इस समस्या से निजात पाने के लिए आगे आना होगा और आगामी दिनों में होने वाली वर्षा के माध्यम से हम अपने सरोवरों में पानी का संरक्षण करें वहीं दूसरी ओर अधिक से अधिक लोग वृक्षारोपण करके इस भयंकर गर्मी के संकट से मानव जीवन को बचाने में अपना सहयोग करें। प्रदेश में तेजी से नीचे जा रहे भूजल स्तर को ऊपर लाने का एकमात्र उपाय यही है कि तालाबों व अन्य जलाश्यों में पानी बना रहे।

                                                                     

 

इससे न सिर्फ फसलों की सिंचाई के लिए पानी की कमी का संकट दूर होगा, बल्कि पशु पक्षियों और जलीय जीवों को भी राहत मिलेगी। इसी उद्देश्य से राज में बड़े जोर शोर से और कई विभागों के सामूहिक प्रयास से अमृत सरोवर योजना की शुरुआत हुई थी। फिलहाल तो स्थिति यह है कि तालाब में कहीं भी पानी नहीं दिखाई देता। लोगों के अपने भविष्य और जीवन से जुड़ी कोई योजनाएं यदि अपने उद्देश्य में असफल रहती है तो उस योजना पर किया गया पूरा खर्च ही निरर्थक होता है। विडंबना तो यह है कि गांव के लोगों ने भी इस योजना के महत्व को नहीं समझा, जिनका पूरा जीवन ही तालाबों के पानी पर निर्भर है फिर चाहे वह खेती के लिए हो या फिर पशुओं के पालन के लिए हो।

अमृत सरोवर एकमात्र ऐसी योजना है जो गांव में व्याप्त इस जल संकट दूर कर सकती है, लेकिन ग्राम पंचायतें ही इसको लेकर उदासीन बनी हुई है जबकि अधिकांश स्थानों पर इनके संचालन की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी।

                                                                        

केंद्र सरकार ने अमृत सरोवर योजना की शुरूआत वर्ष 2022 में की थी और अगस्त 2023 में यह पूरे देश में लागू की गई, लेकिन इसके बहुउद्देशीय महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इस इस साल 15 अगस्त तक चलने का निर्णय लिया है। इस योजा के तहत प्रदेश में 16,909 सरोवर या तो निर्मित किए गए या पुराने तालाबों का जो जीणोद्वार किया गया जो कि देश में सर्वाधिक है, क्योंकि ऐसे तालाबों का उपयोग ही क्या जिसमें पानी न हो।

                                                                  

ग्राम विकास आयुक्त ने सरोवरों में पानी न होने को लेकर अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, और जरूर इसकी बात की है कि संबंधित विभाग समन्वय बनाकर इसके लिए प्रयास करें। ऐसे में ग्रामीणों को भी जागरूकता का परिचय देते हुए दबाव बनाना चाहिए क्योंकि यह सीधे तौर पर उनके हितों से ही जुड़ा हुआ मसला है। इसलिए हम सभी लोगों को इस बार प्रयास करना चाहिए कि जुलाई में जब भी बारिश प्रारंभ हो तो उस जल को सरोवर और तालाब में सुरक्षित करें, जिससे जल संरक्षण के प्रयास को एक नई दिशा प्रदान की जा सके।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।