नए भारत की उड़ान      Publish Date : 04/05/2023

                                                                                               नए भारत की उड़ान

                                                                                                                                                                    डा0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

भारतवर्ष में स्टार्टअप्स का विधिवत शुभारम्भ वर्ष 2008 से माना जाता है जब वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौर में आईटी आधारित स्टार्टअप्स बेहतरी की एक नई सम्भावना के रूप में सामने आये थे। परन्तु देश में स्टार्टअप्स ने गति 16 जनवरी 2016 के बाद पकड़ी जब भारत सरकार ने स्टार्टअप इण्डिया अथयान की शुरूआत की गई।

                                                          

वर्तमान समय में विश्व का तीसरा सबसे विशाल स्टार्टअप नेटवर्क भारत में ही उपलब्ध है। इनकी संख्या में वार्षिक वृद्वि दर 12 से 15 प्रतिशत आंकी गई है। मुख्य रूप से युवाओं के द्वारा स्टार्टअप को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है जिसमें लगभग 12 से 14 प्रतिशत तक महिलाएँ भी शामिल हैं। देश के ज्यादातर राज्यों ने स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष नीतियाँ भी बनाई हैं।

                                                                                       

भारत सरकार द्वारा कृषि स्टार्टअप्स को तकनीकी और वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए कुछ प्रभावशाली योजनाओं को भी लागू किया है। कृषि स्टार्टअप के माध्यम से रोजगार एवं किसानों की समृद्वि के लिए उनकी आमदनी में वृद्वि की सम्भावनाएँ ओर भी बेहतर हुई हैं।

     16 जनवरी वर्ष 2016 को जब भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा स्टार्टअप इण्डिया कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी तब उन्होने कहा था कि स्टार्टअप की सफलता केवल एंटरप्रेन्यारशिप की क्वालिटी से ही नही है। रिस्क टेकिंग कैपेसिटी, एडवंेचर करने का इरादा यह सब इसके साथ ही जुड़ता है और तब जाकर हम दुनिया को कुछ नया दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘हमारे देश में नौकरी करने वालों की बजाय नौकरी पैदा करने वालों का राष्ट्र बनाने में ही इसका समाधान है।’’

                                                                        

     आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गांव, जिला एवं राज्य और केन्द्रीय स्तरों पर उद्योग जगत, शिक्षाविदों तथा सरकारों के मध्य एक व्यापक सहयोग की आवश्यकता हैं इस प्रकार के तालमेल से कोविड-19 संकट से निपटने में भी हमें काफी सफलता प्राप्त हुई है, और यदि हम आगे भी इसी तालमेल के साथ कार्य करते रहे तो वर्ष 2024 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

     उल्लेखनीय है कि विश्व का हर नौवां कृषि तकनीकी स्टार्टअप भरत से ही हैं। गत दशक में एक बड़ी संख्या में शिक्षित युवा कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं। इन युवाओं के पास नई तकनीक एवं कारोबारी मॉडल को आरम्भ करने का उत्साह तथा नवाचारी विचार है। स्टार्टअप कृषि मूल्य श्रंखला की छूटी हुई कडियों को जोड़ रहे है तथा किसानों को कारगर उत्पाद तकनीक एवं सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।

स्टार्टअप को मान्यता प्रदान करने के साथ ही स्टार्टअप इण्डिया ने कृषि स्टार्टअप की सहायता के लिए एग्रीकल्चर ग्रैंड चैलेंज और नेशनल स्टार्टअप अवार्ड जेसे कई कार्यक्रम एवं चुनौतियों को भी आरम्भ किया गया है।

     खाद्य प्रसंस्करण के मामले में भारत विश्व के शीर्ष देशों में शामिल है। प्रसंस्काण उद्योग में नित नए अवसर सृजित हो रहे हैं। वर्ष 2024 तक इस क्षेत्र में लगीाग 90 लाखा लोागें को रोजगार प्राप्त होने की सम्भावना है। भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए 10 हजार करोड रूपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि से 2 लाख सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान की जा रही है।

     हाल ही में केन्द्र सरकार ने कृषि सुधरा से सम्बन्धित तीन नए कानून संसद में पारित किये हैं। किसानों को जहाँ इन कृषि सुधारों को बहुत सी सुविधाएँ और अपनी उपज को कहीं भी और किसी को भी बेहतर दामों पर बेचने की स्वतंत्रता प्राप्त हुई है, वहीं इसके माध्यम से कृषि क्षेत्र में नए स्टार्टअप्स और उद्यम हेतु भी दरवाजे खुले हैं।

लॉकडाउन के दौरान कृषि उद्यमिता के क्षेत्र में कई नए प्रयोग हमारे देश में किये गये जिनमें से कुछ की चर्चा तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 25 अक्टूबर 2020 को प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी की थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि किस प्रकार से झारखण्ड राज्य की स्वयंसहायता समूह की महिलाओं ने आजीविका फॉर्म फ्रेश नामक एक एप बनाकर लोागें के घरों तक फलों एवं सब्जियों आदि की डिलिवरी की जिससे न केवल किसानों को अपनी सब्जियों के अच्छे दाम प्राप्त हुए बल्कि लोगों को ताजे फल एवं सब्जियाँ प्राप्त होते रहे।

यहाँ आजीविका फॉर्म फ्रेश ऐप का विचार बहुत लोकप्रिय हो रहा है।

भारत सरकार ने जो हाल ही में तीन नए कृषि कानून पारित किए हैं, उनके सन्दर्भ में भी प्रधानमंत्री ने ऐ उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र की एक फर्म प्रोड्यूसर कंपनी ने मक्के की खेती करने वाले किसानों से मक्का की खरीद के दौरान इस बार मक्का के मूल्य के अतिरिक्त बोनस भी दिया गया जिससे किसानो को एक सुखद आश्चर्य हुआ।

                                                             

     वर्तमान में हमारा देश जनांकिकीय लाभ की स्थिति में है। आज हमारे देश में आश्रित जनता की अपेक्षा 15 से 59 वर्ष की कार्यशील जनसंख्या अधिक हैं से में आज यह बहुत आवश्यक है कि हम स्कूलों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों के स्तर पर नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए व्यवसायिक, तकनीकी और प्रबन्धकीय कौशल विकसित करने पर अपना ध्यान केन्द्रित करें और राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों के इस युवा ऊर्जा को एक सार्थक दिशा प्रदान करने का प्रयास करें।

     प्रधामंत्री के 13 जनवरी, 2020 को विश्व युवा दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा था ‘‘आज देश के युवाओं के सामर्थ्य से एक नए भारत का निर्माण हो रहा है। एक ऐसा नया भारत जिसमें इज ऑफ डूइंग बिजनेस भी किया जा रहा है और इज ऑफ लिविंग का भी। एक ऐसा नया भारत जिसमें लाल बत्ती कल्चर नही है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति बराबर और प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण है। एक ऐसा नया भारत जिसमें अवसर भी हैं और उडने के लिए पूरा आसमान भी है।’’

     संक्षेप में, युवा शक्ति को सही मायनों में राष्ट्र शक्ति बनाने का एक व्यापक प्रयास आज देश में देखने को मिल रहा है। कौशल विकास से लेकर मुद्रा लोन तक हर प्रकार से युवाओं की सहायता की जा रही है। स्टार्टअप इण्डिया हो या फिट इण्डिया अभियान हो या फिर खेलों इण्डिया, यह सभी अभियान युवाओं पर ही केन्द्रित हैं। सरकार युवा नेतृत्तव पर जोर दे रही है, हाल ही में डीआरडीओ में डिफेंस रिर्सच से जुड़ी 5 वैज्ञानिक लैब में रिर्सच से लेकर मैनेजमेंट तक पूरा नेतृत्व 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के वैज्ञानिाकें को दिया गया है। यही है ‘‘नया भारत, आत्मनिर्भर भारत’’! आइये हमस ब भारतवासी नए आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान प्रदान करें। आज जब अवसर भी है और एक खुला आसमान भी, तो क्यों न हम अपने सपनों को उड़ान दें और पूरी लगनके साथ उन्हें पूरा करने के लिए जुट जाएं।

उद्यमिता से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर राष्ट्र

आज राष्ट्र तेजी से आत्म-निर्भरता के जिस लक्ष्य की ओर अग्रसर है, उसमें स्टार्टअप, उद्यमिता और कौश्ल विकास की केन्द्रीय भूमिका रही है। कृषि, बागवानी एवं पशु-पालन के क्षेत्र में उद्यमिता एवं स्टार्टअप्स की असीम सम्भावनाएँ हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हाल ही में सरकार ने कृषि सुधारों से जुड़े तीन कानूनों को ससंद में पारित किया है।

किसानों को इन कृषि सुधारों के माध्यम से जहाँ बहुत सी सुविधाएँ एवं अपनी उपज को कहीं भी और किसी को भी बेहतर मूल्य पर बेचने की स्वतंत्रता मिली है, वहीं इनके माध्यम से कृषि क्षेत्र में नए स्टार्टअप्स और उद्यमों के लिए कई नए दरवाजे भी खुले हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को ‘‘कौशल से कल्याण’’ का मंत्र दिया है।

विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी, श्रम-शक्ति एवं प्रचुर संसाधनों के साथ किये गये सकारात्मक प्रयासों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि भारत दुनिया की कौशल राजधानी (स्किल कैपिटल) बनने की दिशा में अग्रसर है।

आजादी के सात दशकों के उपरांत भी उद्यमिता एवं कौशल विकास को लेकर राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुरूप एक जमीनी और प्रायोगिक रणनीति की कमी को अनुभव किया जा रहा था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने वर्ष 2015 में राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति के माध्यम से इस दिशा में बड़े बदलावों की आधाशिला रखी है और इसी के सापेक्ष आज राष्ट्र आत्मनिर्भरता के जिस लक्ष्य की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है, उसमें स्टार्टअप, उद्यमिता और कौशल विकास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

वस्तुतः प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का शंखनाद तो कोरोना संकटकाल में ही किया है परन्तु इसकी नींव सवा छह वर्ष पूर्व ही रख दी गई थी जो वर्तमान में सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और अभियानोें के माध्यम से समय-समय पर दिखाई देती रही हैं।

इस सन्दर्भ में यह उत्साहजनक रहा है कि भारत में विशाल युवाशक्ति और कार्यबल में हुई बढ़ोत्तरी दर्शाता है कि डेमोग्राफिक डिविडेंड यानि कि जनांकिकीय लाभांश भारत के पक्ष में है। वर्तमान में हमारे देश में आश्रित जनसंख्या के मुकाबले 15 से 59 वर्ष की कार्यशील जनसंख्या अधिक है। कार्यशील आबादी के औसत में निरन्तर वृद्वि भी हो रही है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में भी कहा गया है कि भारत का जनांकिकीय लाभांश वर्ष 2041 के आस-पास अपने चरम पर होगा, जब 20 से 59 वर्ष वर्ग की कार्यशील आबादी के 59 प्रतिशत तक पहुँचने की आशा है। यदि डेमोग्राफिक डिविडेंड किसी भी देश के पक्ष में हो तो निःसन्देह उस देश की अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त होती है, विकास दर में वृद्वि होती है और प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोत्तरी होती है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने डेमोग्राफिक डिविडेंड के लाभों को प्राप्त करने के लिए अनेक उपाय किये हैं। इनमें देश की कार्यशील जनसंख्या के कौशल विकास पर प्रमुख रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है। इसमें कोई सन्देह नही कि जनांकिकीय लाभांश के भारत के लिए अनुकूल रहनन, कौशल विकास और उद्यमिता पर अधिक ध्यान दिये जाने से, हम सम्पूर्ण विश्व में आगामी दो से तीन दशकों के भीतर विभिन्न क्षेत्रों में कुशल कामगारों का सबसे बड़ा गढ़ बन जायेंगे और हमारे देश के कुशल कामगारों की विश्वस्तरीय माँग में अप्रत्यशित वृद्वि होगी।

इसमें कोई दो मत नही है कि कौशल और ज्ञान किसी भी राष्ट्र के लिए आर्थिक सामाजिक विकास के लिए प्रेरक शक्ति होते हैं। यदि राष्ट्र में कुशल युवा उपलब्ध रहेंगे तो उद्योगों को मानव श्रम संसाधन की कमी नही होगी और वे उत्पादन के बेहतर परिणाम दे पायेंगे। कोशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के द्वारा देश कुशल श्रमिकों की माँग एवं आपूर्ति का अन्तर पाटने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) इस दिशा में मील का पत्थर सिद्व हुई है।

इस योजना के माध्यम से युवाओं को उद्योगों के अनुकल कौशल का अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। देश में संचालित 233 जनशिक्षण संस्थानों के माध्यम से निरक्षर, नवसाक्षर एवं बीच में स्कूल छोड़ने वाले युवाओं को स्थानीय बाजार की आवश्यकता के अनुसार व्यवसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अन्तर्गत संचालित अल्पकालिक प्रशिक्षण के माध्यम से लगभग 34.14 लाख युवा प्रशिशिण प्राप्त कर चुके हैं और इनमें से 28.36 लाख युवाओं को रोजगार भी मिल चुका है। इसी प्रकार, आरपीएल (रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग) कार्यक्रम के अन्तर्गत 33.20 लाख युवाओं का कौशल प्रमाणित किया गया है, जिनमें से लगभग 27.36 लाख युवाओं को रोजगार भी प्राप्त हुआ हैं।

स्टार्टअप्स को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण सदैव ही संवेदनशील रहा है। स्टार्टअप इण्डिया अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर उन्होंने कहा था कि वे चाहते हैं कि भारत के युवा नौकरी खोजने वाले बनने के बजाय नौकरी देने वाले बनें। यदि एक स्टार्टअप मात्र 5 लोगों को भी रोजगार दे तो यह राष्ट्र की एक बहुत बड़ी सेवा होगी।

                                                           

प्रधानमंत्री ने देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में स्टार्टअप इण्डिया अभियान का शुभारम्भ किया था। स्टार्टअप्स का प्रोत्साहन एवं शैशवकाल में उन्हें संरक्षण देने की हमारी नीतियों के कारण ही देश में विगत वर्षों में अनेक स्टार्टअप्स तेजी से विकसित हुए हैं और उन्होंने सफलता के नये आयाम भी स्थापित किये हैं।

स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019 में सरकार ने इनकी परिभाषा को बदलकर स्थापना के दस वर्ष तक उसे स्टार्टअप ही मानकर लाभ देते रहने का प्रावधान किया है। उद्योग संवर्धन एवं आन्तरिक व्यापार विभाग के आंकड़ों के अनुसार 31 दिसम्बर 2019 तक देश में 26804 स्टार्टअप्स पंजीकृत थे।

इन स्टार्टअप्स में तीन लाख छह हजार से अधिक युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। पंजीकृत स्टार्टअप्स में से 24 हजार 8 सौ से अधिक तो ऐसे हैं, जिन्होंने औसतन 12 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है।

स्टार्टअप्स को वित्तीय संसाधन प्रदान करने के लिए सराकर ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक में 10,000 करोड़ रूपये का फंड ऑफ फंडस् फॉर स्टार्टअप्स कोष बनाया है।

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक ने 22 दिसम्बर, 2019 तक, 47 ‘सेबी’ (एसईबीआई) पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) में 3123 करोड़ रूपये से अधिक की प्रतिबद्वता की है। इन फंड़ों के माध्यम से 25.728 करोड़ रूपये का समग्र कोष भी जुटाया गया है।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत ‘आत्मनिर्भर स्किल्ड एम्प्लाई एम्प्लायर मैपिंग (असीम) पोर्टल’ भी लांच किया गया है। यह पोर्टल माँग एवं आपूर्ति के आधार पर कुशल श्रमशक्ति का रियल टाइम डाटा उपलब्ध कराता है। यह निश्चित् है कि कोविड-19 के बाद के युग में डिजिटल स्किल की भूमिका अहम होगी।

ऐसे में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के द्वारा नवीनतम तकनीकी से जुड़े दीर्घकालीन अवधि के प्रशिक्षण प्रारम्भ किये गये हैं। प्रशिक्षण महानिदेशालय ने जून 2020 में आईबीएम के साथ एक समझौता ज्ञापन कर निःशुल्क डिजिटल लर्निंग प्लेटफार्म (स्किल्ड बिल्ड रिनाइन) को प्रारम्भ किया है।

राष्ट्रीय कौशल विकास संस्थान के द्वारा आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस और क्लाउड कम्प्यूटिंग के युग में डिजिटल कौशल का बहुमुखी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। उद्यमिता और कौशल के क्षेत्र में योग जैसी भारतीय विद्या को भी जोड़ा गया है। योग प्रशिक्षक के रूप में रोजगार प्राप्त करने के लिए अब तक 98 हजार से अधिक व्यक्ति प्रशिक्ष्ण पूर्ण कर चुके हैं।

युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के द्वारा प्रधानमंत्री युवा उद्यमिता विेकास अभियान (पीएमयुवा) संचालित किया जा रहा है। इसके माध्यम से युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण, उद्यम स्थापित करने सम्बन्धित परामर्श और अन्य सहायता प्रदान की जाती हैं।

10 राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा जिलों में इसे प्रायोगिक आधार पर संचालित किया जा रहा है। आईटीआई, पॉलीटेनीक महाविद्यालयों, प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्रों जनशिक्षण संस्थानों के प्रशिक्षणार्थियों और पूर्व छात्रों को ध्यान में रखकर ही ही यह अथियान शुरू किया गया है, ताकि वे अपने उद्यम को स्थापित करने में अपने तकनीकी प्रशिक्षण का उपयोग कर सकें।

उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार (एनईएएस) को भी प्रारम्भ किया गया है। यह पुरस्कार युवाओं में उद्यमिता की भावना को बढ़ाने और प्रेरित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। यह पुरस्कार पहली पीढ़ी के उद्यमियों, उद्यमिता के लिए अनुकूल वातावरण सृजित करने वाले व्यक्तियों एवं महिला उद्यमियों को प्रदान किया जाता है।

सरकार ने स्टार्टअप को आरम्भ करने वाली महिला उद्यमियों के प्रोत्साहन की दिशा में भी कई कार्य किए हैं। जर्मनी की संस्था जीआईजेड के साथ मिलकर सरकार ने महिला उद्यमियों और महिला स्टार्टअप्स के अर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक पायलट परियोजना आरम्भ की है।

इस प्ररियोजना को पूर्वोत्तर राज्यों, असम, मेघालय और मणिपुर के साथ राजस्थान और तेलंगाना में संचालित किया जा रहा है। सरकार विभिन्न राज्यों के माध्यम से उद्यमियों को व्यापार स्थापित करने और उसके के लिए ऋृण की सुविधा को भी उपलब्ध करा रही है, इसके अन्तर्गत मुद्रा योजना के साथ स्टैण्डअप इण्डिया की योजनाएँ भी शामिल हैं।

कृषि, बागवानी एवं पशु-पालन के क्षेत्र में भी उद्यमिता एवं स्टार्टअप्स की असीम सम्भावानाएं भी उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हाल ही में सरकार ने कृषि सुधार से जुड़े तीन कानून संसद में पारित किये हैं। किसानों को इन कृषि सुधारों से जहाँ बहुत सी सुविधाएँ एवं अपनी उपज को कहीं भी और किसी को भी बेहतर मूल्यों पर बेचने की स्वतंत्रता प्राप्त हुई है, वहीं इसके माध्यम से कृषि क्षेत्र में नए स्टार्टअप्स और उद्यम के रास्ते भी खुले हैं।

मंड़ी के साथ-साथ कहीं पर भी अपनी उपज को बेचने आजादी, कृषि विपणन के ई-प्लेटफार्मों और मार्केटिंग से कृषि क्षेत्र में युवा द्यमियों को विकसित होने का अवसर मिलेगा। आवश्यक वस्तु संशोधन कानून के माध्यम से अनाज और आलू-प्याज जैसी उपजों की की भण्ड़रण सीमा को समाप्त किये जाने से अब निजी क्षेत्र में वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज एवं खाद्य-प्रसंस्करण यूनिट का विस्तार होना अवश्यंभावी है। इससे उद्यमिता के क्षेत्र में उद्यमिता विकास के नये आयाम भी खुलेंगे।

‘‘आत्म निर्भर भारत अभियान’’ के अन्तर्गत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक लाख करोड़ रूपये के कृष अवसंरचना फंड का प्रावधान कर इस क्षेत्र की दशा और दिशा को बदलने का प्रयास किया है। इस फंड से ग्रामीण क्षेत्र में वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज एवं खाद्य-प्रसंस्करण इकाईयाँ जैसी अद्योसंरनाएँ विकसित की जायेंगी।

अब यह देखा जाता रहा है कि कृषि क्षेत्र में निजी विेकश या तो बहुत कम है अथवा संतुलित नही है। निजी निवेशकों के कृषि उद्यम गांवों के स्थान पर शहरी क्षेत्रों में ही दिखाई देते हैं, जिससे उसका पूरा लाीा किसानों एवं ग्रामीण युवकों को नही मिल पा रहा है। कृषि अवसंरचना फंड से यह असंतुलन भी समाप्त हो जायेगा। इससे कृषि के क्षेत्र में उद्यमिता विकास का एक बड़ा अवसर सृजित हुआ है। आने वाले कुछ वर्षों में इसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगेंगे।

भारत में कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता एवं उन्नत कृषि की बदौलत अब खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में भी अब नए अवसरों का सृजन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अथ्भयान में सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए 10 हजार करोड रूपये का प्रावधान किया हैं।

इस राशि से 2 लाख सूक्ष्म उद्यमों को, वैश्विक पहुँच और ‘‘वोकल फॉर लोकल’के संकल्प के साथ सहायता प्रदान की जा रही है। इस फंड से ऐसे उद्यमियों को लाभ मिलेगा जिन्हें अपने उद्यमों को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के मानाकें के अनुरूप बनाना है अथवा वे अपना ब्रांड स्थापित करना चाहते है। इस योजना में वर्तमान खद्य उद्यमियों के साथ ही किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं सहकारी समितयों को भी सहायता प्रदान की गई है।

खाद्य-प्रसंस्करण के क्षेत्र में हमारी रणनीति क्लस्टर-आधारित उद्यम स्थापित करने की है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में आम, कर्नाटक में टमाटर, आन्ध्र प्रदेश में मिर्च और महाराष्ट्र में संतरा से जुड़े उद्योागें की स्थापना की जायेगी। आत्म-निर्भर भारत पैकेज के अन्तर्गत ही ऑपेरशन ग्रींस के तहत 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है ताकि आलू, प्याल, टमाटर जैसी सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज, परिवहन एवं प्रोसेसिंग आदि में सहायता प्राप्त हो सके।

जैविक कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप एवं उद्यमिता की प्रचुर संभावानाएँ हैं। जैविक उत्पदों की वैश्विक-स्तर पर बढ़ती हुई माँग को देखेते हुए युवा इस क्षेत्र में स्टार्टअप्स के जरिये अपने कैरियर को बना सकते हैं। आत्म-निर्भर भारत पैकेज में हर्बल एवं औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय औषीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती हेतु सहायता प्रदान की है।

अगले कुछ वर्षों में 4,000 करोड रूपये के परिव्यय से हर्बल खेती के तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने की योजना है तथा इससे किसानों को 5,000 करोड रूपये की आमदनी होगी।

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड गंगा नदि के किनारे 800 हेक्टेयर क्षेत्र में एक गलियारे को विकसित कर औषधीय पौधे लगावाने की योजना को अमली जामा पहना रहा है। यह भी अपना द्यम स्थापित करने का एक स्वर्णिम अवसर है। इसी प्रकार से मधुमक्खी पालन, फ्लोरीकल्चर जेसे क्षेत्रों में भी अपर सम्भावनाएँ उपलब्ध हैं।

उद्यमिता विकास और स्टार्टअप के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र काफी आगे चल रहे हैं। इसके मूल कारणों में शहरी क्षेत्रों में सम्बन्धित तंत्र का सुदृढ़ होना, वित्तीय सहायता की उपलब्धत, और युवाओं के बीच बेहतर जागरूकता आदि शामिल हैं।

इसके उपरांत हमारा प्रयास इस दिशा में निरन्तर बीना हुआ है कि अधिसंख्य आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और कौशल के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जाए। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ अन्य मंत्रलायों एवं संस्थानों ने मिलकर इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किये हैं।

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) ने इस दिशा में कई क्रॉतिन्कारी कदम उठाए हैं। विगत 6 वर्षों में डीकेवाई-जीकेवाई से देश में 10.51 लाख युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, वहीं प्रशिक्षण प्राप्त 6.65 लाख युवाओं को रोजगार से जाड़ा गया है। केवल एक पीढ़ी पूर्व तक युवाओं में यह मानसिकता कि सरकारी ही रोजगार के रूप में एक स्थाई विकल्प है।

किन्तु डीडीयू-जीकेवाई जैसे अभियान से इस मानसिकता में परिवर्तन आया है। अब कौशल के बल पर अपने कल को बदलने का साहस युवाओं में परिलक्षित होने लगा है। दीनदयाल उपध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय ने वर्ष 2018-19 में लगभग 1215 करोड रूपये की रशि ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास एवं प्रशिक्ष्ण के लिए जारी की और वर्ष 2019-20 में इस पर 1418 करोड रूपये से अधिक व्यय किये गये।

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वाी संचालित दीनदयाल अन्तोदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत वर्ष 2016 से स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) को आरम्भ किया है। यह ग्रामीण महिला उद्यमियों के सशक्तिकरण और उनमें उद्यमिता की भावना को विकसित करने का एक सशक्त प्रयास कहा जा सकता है।

गांवों से गरीबी को समाप्त करना सरकार का महत्वाकाँक्षी लक्ष्य है और अब इस दिशा में परिणाम सामने आने लगे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता एवं स्टार्टअप्स की स्थापना को लेकर तीन प्रमुख समस्याएँ सामने आयी हैं, जो कि इस प्रकार है- ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले नागरिकों की वित्तीय स्थित का सुदृढ़ नही होना, स्टार्टअप्स को आरम्भिक संरक्षण एवं मार्गदर्शन का सही समय पर प्राप्त न होना और कौशल के लिए उपयुक्त संसाधन एवं वातावरण का न होना। यह एक प्रसन्नता का विषय है कि एसवीईपी के माध्यम से इन समस्याओं और मुद्दों का समाधान किया जा रहा है।

स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) ने विगत वर्षों में उललेखनीय प्रगति की है। इसके माध्यम से अब तक 23 राजयों के 153 ब्लॉकों में व्यवसाय सहायता सेवाओं और आवश्यक पूंजी को जुटाने में सहायता प्रदान की है।

‘‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ के अन्तर्गत आत्मनिर्भरता के इस संकल्प के मूल में उद्यमिता, कौशल और स्टार्टअप के बीज हैं। सच तो यह है कि यह समय सरकारी नौकरी को तलाशने का नही, बल्कि स्वयं का उद्यम स्थापित कर अन्य लोगों को रोजगार देने का है।

सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में उद्यमिता के संवर्धन के लिए सहायता के द्वार खुले हुए हैं। ऐसे में देश की युवा पीढ़ी और विशेष रूप से ग्रामीण से अपील है कि आपके भीतर ऊर्जा का असीमित स्रोत उपलब्ध है। आप ही देश के भावी कर्णधर हैं। देश की समृद्वि, खुशहाली एवं गरिमा का सबसे बड़ा दयित्व भी आपके ही सुदृढ़ कन्धों पर है। अब आवश्यकता है तो केवल दृढ़ इच्छाशक्ति, प्रतिबद्वता और संकल्प शक्ति की है।

समाजिक समावेश में भी इस योजना के उत्तम परिणाम सामने आये हैं। भारतीय गुणवत्ता परिषद के द्वारा सितम्बर 2019 में की गई एसवीईपी की मध्यावधि समीक्षा के अनुसार इस योजना के उद्यमियों में 82 फीसदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछडे वर्गों के लोग शामिल हैं।

स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम, दीनदयाल अन्तोदय योजना- राष्ट्रीय  आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के आधार स्तम्भ के रूप में कार्य कर रहा है। इस कार्यक्रम के 75 प्रतिशत उद्यम, महिलाओं के स्वामित्व एवं प्रबन्धन में है। इस अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ कि उद्यमियों की कुल पारिवारिक आय का लगभग 57 प्रतिशत, एसईवीपी उद्यमों के माध्यम से ही प्राप्त हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 की वैश्विक महामारी को दृष्टि में रखते हुए ‘आपदा’ को ‘अवसर’ में बदलने का दूरदर्शी आवह्ान किया गया था। इससे प्रेरित होकर हमारे ग्रामीण क्षेत्र के नव-उद्यमियों एवं स्वयंसहायता समूहों ने संक्रमण से पिटने में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन/विनिर्माण कर ‘वोकल फॉर लोकल’ की दिशा में कार्य किया है।

कोविड-19 के संकटकाल में ग्रामीण क्षेत्र में महिला स्वयंसहायता समूहों की भूमिका अहम रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में डीएवाई-एनआरएलएम के महिला स्वयं सहायता समहों ने मॉस्क, सैनेटाइजर, हैडवाश आदि निर्मित कर न केवल संक्रमण पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वरन् इन महिला उद्यमियों ने अतिरिक्त आय अर्जित कर अपने उद्यमिता कौशल को भी प्रमाणित किया है।

देश के 29 राज्यों में लगभग 3 लाख 18 हजार से अधिक एसएचजी महिला सदस्यों ने लगभग 23.07 करोड़ फेस मॉस्क, 1.02 लाख लीटर हैंडवाश और 4.79 लाख लीटर से अधिक सैनिटाइजर का उत्पादन किया। इस प्रकार इन वस्तुओं के 903 करोड़ रूपये के अनुमानित व्यापार में भी उन्हीं का योगदान रहा।

यही वह समय था जब देश के बड़े-बड़े उद्योग धन्धे बन्द पड़े थे, लेकिन इन महिलाओं ने अपने उद्यम से न केवल अपने परिवारों का खर्च चलाया, बल्कि देश में इन आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नही होने दी।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और इसके ग्रामीण स्वरोजगार व प्रशिक्ष्ण संस्थानों (आरएसईटीआई) के माध्यम से भी गांवों में व्यापक स्तर पर कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

इसके अन्तर्गत कोशल प्राप्त करने वाले प्रशिक्षुओं को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए बैंक ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान भी है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार एवं उद्यमिता की दिशा में सराहनीय प्रयास किये गये हैं। यह कार्यक्रम 33 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 566 जिलों में 23 लीड बैंकों द्वारा 585 ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।

प्रोफेसर आर एस सेंगर, विभागाध्यक्ष एवं निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठA