एआइ के माध्यम से साइबर ठगी पर लगाम लगाने की तैयारी      Publish Date : 28/05/2024

           एआइ के माध्यम से साइबर ठगी पर लगाम लगाने की तैयारी

                                                                                                                                                                                          डॉ0 आर. एस. सेंगर

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) साइबर ठगी पर लगाम लगाने में एक कारगर टूल साबित हो सकता है। खासतौर पर सरकारी एजेंसियों के लोगो के साथ भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से लोगों से ठगी के मामले रोकने में इसके इस्तेमाल पर काम शुरू कर दिया गया है। इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइसी) के सीईओ राजेश कुमार के अनुसार इसके लिए अभी मेटा, वाट्सएप् और गूगल से बातचीत चल रही है।

                                                                            

राजेश कुमार के अनुसार, साइबर ठगी में बड़े पैमाने पर राज्य पुलिस, सीबीआइ, कस्टम विभाग, आयकर विभाग जैसी सरकारी एजेंसियों के लोगों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इन लोगो को देखकर आम लोग एकदम से झांसे में आ जाते हैं और ठगी के शिकार हो जाते हैं। यही नहीं, साइबर ठग इन सरकारी एजेंसियों के यूआरएल से मिलते जुलते यूआरएल बना लेते हैं। आम लोगों के लिए इनमें अंतर को पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है।

                                                                 

आइसी ऐसे फर्जी यूआरएल और फर्जी लोगो वाले आनलाइन विज्ञापनों पर नजर रखता है और पकड़ में आने के बाद तत्काल उन्हें हटाने के लिए संबंधित इंटरनेट प्लेटफार्म को सूचित भी करता है। लेकिन जब तक ये फर्जी लोगो वाले विज्ञापन और फर्जी यूआरएल हटाए जाते हैं, तब तक बहुत सारे लोग साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं। यही नहीं एक फर्जी लोगो, फर्जी यूआरएल हटाने के चंद मिनट के अंदर साइबर उग उसी तरह से दूसरा लोगो और यूआरएल इंटरनेट पर डाल देते हैं।

  • इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर की गूगल, मेटा, वाट्सएप से चल रही बातचीत
  • एजेंसियों के फर्जी लोगो और मिलते-जुलते यूआरएल को तत्काल रोकने में मिलेगी मदद
  • हटाने के चंद मिनट बाद ही दूसरा फर्जी लोगो व यूआरएल इंटरनेट पर डाल देते हैं साइबर ठग
  • 7,000 से अधिक साइबर ठगी के मामले हर दिन देश में किए जा रहे दर्ज

राजेश कुमार के अनुसार, इससे निपटने का एकमात्र तरीका है कि जैसे ही फर्जी लोगो या फर्जी यूआरएल इंटरनेट प्लेटफार्म पर अपलोड किए जाएं, तत्काल उन्हें हटा दिया जाए और ऐसा सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से ही सम्भव हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल तैयार करने पर काम चल रहा है, जो सरकारी एजेंसियों से मिलते जुलते फर्जी लोगो वाले विज्ञापन और फर्जी यूआरएल की तत्काल पहचान कर उन्हें आटोमैटिक तरीके से तत्काल इंटरनेट से हटा दें।

                                                                          

उन्होंने कहा कि इसके शुरुआती नतीजे काफी उत्साहवर्धक हैं और सभी इंटरनेट प्लेटफार्म पर इनके इस्तेमाल की बातचीत चल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे फर्जी लोगों और फर्जी यूआरएल का इस्तेमाल कर साइबर ठगी के मामलों को रोकने में काफी हद तक मिल सकती है।

ध्यान देने की बात है कि साइबर क्राइम पोर्टल पर हर दिन साइबर ठगी के 7,000 से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया, लाओस और म्यांमार में संगठित गिरोहों की सक्रियता ने साइबर ठगी की समस्या को विकराल बना दिया है। इस समस्या से निपटने के लिए एक समेकित रणनीति बनने के लिए पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें कई विभागों के सचिव भी शामिल हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।