गन्ने के हानिकारक कीट पहचान और नियंत्रण

                   गन्ने के हानिकारक कीट पहचान और नियंत्रण

                                                                                                                                      डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु एवं हिबिस्का दत्त

गन्ने के हानिकारक कीटों की अनदेखी ना करें, इनकी पहचान और नियंत्रण करने का तरीका

गन्ने की फसल में लगने वाले कुछ हानिकारक कीटों की अनदेखी बिलकुल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इन कीटों का असर फसल पर भारी पड़ सकता है। गन्ने में लगने वाले हानिकारक कीट जैसे कि गन्ने का चोटी बेधक कीट, अगेती तना बेधक और गन्ने का जड़ छेदक, फसल पर बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं और इससे गन्ने की उपज में भारी गिरावट भी आ सकती है।

                                                                        

गन्ने के हानिकारक कीटों से होने वाले नुकसान के कारण गन्ने की उपज लगभग 20 फीसदी तक और चीनी की रिकवरी 15 फीसदी तक की कमी आ सकती है। गन्ने में लगने वाले हानिकारक कीट जैसे कि गन्ने का चोटी बेधक कीट, अगेती तना बेधक, और गन्ने का जड़ छेदक, फसल को बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं। उत्तर भारत में शीतकालीन और बंसतकालीन गन्ने की फसल अभी मई महीने में बढ़वार की अवस्था पर है और गन्ने के इस विकास के चरण में गन्ने पर कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है जो फसल पर भारी पड़ सकता है।

गन्ने का चोटी बेधक कीट से अधिक हानि

                                                                                 

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि गन्ने के चोटी बेधक कीट को ही टॉप बोरर भी कहते हैं। गन्ने के प्रमुख इस कीट का उत्तर भारत की गन्ने की फसल में अधिक प्रकोप होता है। इस कीट की साल में 5 पीढ़ियां गन्ने की फसल पर जीवन निकाल लेती हैं। इसका वयस्क कीट चांदी के समान सफेद रंग का होता है जबकि इसकी सुंडी गन्ने के विकसित हो रही पत्तियों को खाती और काटती हैं, जिससे गन्ने की उपरी पत्तियां सूख जाती हैं। अधिक प्रकोप होने के कारण इसके नुकसान के चलते कई बार गन्ने का पौधा झाड़ू जैसा दिखाई देने लगता है।

इस हानिकारक कीट की रोकथाम करने का तरीका

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर के अनुसार, अगर इस कीट का प्रकोप हो रहा है तो मार्च से जून के महीने में इसके अंडे समूह में दिखाई देते हैं। यदि किसान भाईयों को अपने खेत में ऐसा कुछ दिखे तो उसे निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए। ग्रसित कल्लों को एक इंच जमीन से काटकर निकाल दें। वयस्क कीड़ों को पकड़ने के लिए फेरोमेन ट्रैप या लाइट ट्रैप का प्रयोग करना चाहिए। यूरिया का प्रयोेग संतुलित मात्रा में ही रिना चाहिए क्योंकि  यूरिया के अधक मात्रा में प्रयोग से समस्या बढ़ जाती है अतः किसानों से अपील है कि वह यूरिया के अधिक प्रयोग से बचे रहें। इस कीट के जैविक नियंत्रण के लिए ट्राईकोग्रामा जैपनिकम का इस्तेमाल एक एकड़ खेत में करना उचित पाया गया है।

इन रसायनों का प्रयोग सुनिश्चित करें

डॉ0 आर. एस. सेंगर  राय ने बताया कि कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए इस समय क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एसी 150 एम.एल दवा को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से गन्ने की जड़ों के पास डाला जाना चाहिए। इस कीट की तीसरी पीढ़ी की रोकथाम करने के लिए जून के अंतिम और जुलाई के प्रथम सप्ताह में कार्बाेफ्यूरान 3-जी 12-14 किलोग्राम दाने प्रति एकड़ की दर से पौधों की जड़ों के पास की मिट्टी में डालने चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि इसका उपयोग करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक होती है। अगर नमी न हो तो कीटनाशक डालने के बाद हल्की सिंचाई कर दें। इस समय क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.एल यानी कोराजेन 150 एम.एल दवा को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से भी उपयोग कर सकते हैं।

अप्रैल से जून तक तना छेदक का ज्यादा प्रकोप

                                                                              

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने बताया कि गन्ने में अगेती फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप फरवरी से मार्च तक बोई जाने वाली फसलों में अप्रैल-जून और सितंबर-अक्टूबर में दिखाई देता है। इस कीट के वयस्क कीट भूरे रंग के होते हैं। इस कीट से निकले लार्वा का सिर और शरीर काला होता है। इस कीट का लार्वा पहले गन्ने की पत्ती के आवरण के मुलायम भागों को खुरचता है और बाद में तने में घुसकर विकास कर रहे उपरी तने को काट देता है, जिससे गन्ने की पौध सूख जाती है।

तना छेदक से गन्ने की फसल को कैसे बचाएं

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर के अनुसार इस कीट को रोकने के लिए खेत में जगह-जगह सूखी पत्तियों के ढेर बना दें और बाद में उन सूखी पत्तियों के ढेर को आग लगा देनी चाहिए। जिससे कि इसके वयस्क कीट नष्ट हो जाएं. वयस्क कीड़ों को पकड़ने के लिए फेरोमेन ट्रैप या लाइट ट्रैप का प्रयोग करें। जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा का प्रयोग करें। लेकिन अगर रासायनिक नियंत्रण करना है तो प्रति एकड़ के हिसाब से क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एसी 150 एम.एल दवा 400 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव करें।

गन्ने का जड़ छेदक की पहिचान

                                                        

जड़ छेदक कीट, यानी रूट बोरर गन्ने के भूमिगत जड़ वाले हिस्से को काटकर फसल को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट के सिर का रंग भूरा होता है। इस कीट का सिर हल्का गुलाबी और शरीर भूरा होता है। इस कीट की सुंडी का रंग मक्खन की तरह सफेद होता है।

इस कीट से बचने के उपाय

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने सुझाव दिया कि इस कीट का प्रकोप जिन खेतों में हो रहा है, वहां गन्ने के खेत के चारों ओर 12 फुट चौड़ी पट्टी में अरहर की बुवाई से इस कीट का प्रकोप कम होता है। हमेशा गन्ने की कटाई ज़मीन की सतह से करें ताकि लार्वा की अधिकतम संख्या गन्ने में ही होना चाहिए। बुवाई के समय क्लोरपायरीफॉस 20 ईओसी की 2 लीटर मात्रा को 650 लीटर पानी में घोलें और नाली में पड़े गन्ने के टुकड़ों पर छिड़काव कर मिट्टी से ढक दें। अगस्त के मध्य में इमिडाक्लोप्रिड 200 मिलीलीटर या क्लोरपाइरीफोस 20 ईसी 3 लीटर 400 लीटर पानी में घोले।.  इस घोल को प्रति एकड़ के हिसाब से गन्ने के पौधे का डेंचिंग करें।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।