वृक्षों की महिमा Publish Date : 08/05/2024
वृक्षों की महिमा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
अगर हम सोच लें कि सरकार हमारे लिए कुछ नहीं करने वाली है। ना आज, ना कल और ना भविष्य में।। तो हमें ही अपने लिए कदम उठाने पड़ेंगे।
अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और हमारे साथ जुड़े रहें।
बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।
घर घर नीम लगाइये, यही पुरातन साँचा।।
यही पुरातन साँच, - आज सब मान रहे हैं।
भाग जाये प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं ॥
विश्वताप मिट जाये होय हर जन मन गदगद।
धरती पर त्रिदेव हैं - नीम, पीपल और बरगद॥
आप को लगेगा अजीब बकवास है, किन्तु यह अटल सत्य है.. ३.!!
पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेड़ों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है।
पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100 प्रतिशत एबजॉर्बर है, बरगद 80 प्रतिशत और नीम 75 प्रतिशत।
इसके बदले लोगों ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया, जो जमीन को जल विहीन कर देता है।
आज इनकी जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर व अन्य सजावटी पेड़ों ने ले ली है।
अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही॥
हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगायें तो आने वाले कुछ साल बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा।।
वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए।
पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।
वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते हैं।
इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए -
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच।
पत्रे- पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमस्तुते।
अब करने योग्य कार्य
इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।