लोकतांत्रिक देश में मतदान की भागीदारी बढ़ानी होगी Publish Date : 22/04/2024
लोकतांत्रिक देश में मतदान की भागीदारी बढ़ानी होगी
डॉ0 आर. एस. सेंगर
लोकसभा चुनाव का पहला चरण तो पूर्ण हो चुका है, लेकिन पहले चरण में कम मतदान की खबरें आई है। मतदान कम से कम 80 प्रतिशत के पार होना चाहिए था, लेकिन अपने सभी प्रयासों बाद भी ऐसा नहीं हो पाया। पहले चरण में यह जो कम मतदान हुआ उस पर प्रत्येक बुद्धिजीवी और विभिन्न लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं। लेकिन देशहित, लोकतंत्र और जनहित के लिए यह किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। इससे हमारे देश की राजनीति में गंदगी और सरकारों में भी भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। लोकतंत्र की शान के लिए प्रत्येक चुनाव में शत-प्रतिशत मतदाताओं के भाग लेने से ही बढ़ती है।
चुनाव चाहे लोकसभा का हो, विधानसभा का हो या फिर स्थानीय निकाय का ही क्यों न हो। मतदाताओं के लिए अपने कीमती मत का इस्तेमाल करने के लिए विभिन्न तरह के जागरूकता अभियान भी चलाए जाते रहे हैं परन्तु इस सबके बाद भी बहुत से चुनाव में मतदाताओं का आंकड़ा संतोषजनक नहीं हो पता है। प्रायः देखा गया है कि वोट इस आशा के साथ किया जाता है कि चुने हुए प्रतिनिधि लोगों की समस्याओं की तरफ ध्यान देंगे, लेकिन अफसोस कि नेतागण मतदाताओं की भावनाओं की कद्र ना करते हुए सत्ता पाते ही सबकुछ भूल जाते हैं और केवल अपना पेट भरने में ही लगे रहते हैं।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में होने जा रहे लोकसभा चुनावों में उम्मीद के मुताबिक मतदान न होना लोकतंत्र के लिए उचित न होने के साथ-साथ राजनेताओं के लिए भी सारहीन और निंदनीय है, क्योंकि उनके वादों के कारण ही शायद मतदाताओं का विश्वास मतदान प्रक्रिया में कम हुआ है। इसके लिए राजनेताओं को चाहिए कि वह अपनी घोषणाओं पर अमल करें और देश हित में कार्य करें। यह लोकतंत्र, देशहित और जनहित के लिए बहुत जरूरी है कि वह अपने कीमती मत का उपयोग अवश्य करें। इसके साथ ही अपने आसपास के लोगों को समझाएं और उन्हे मतदान करने के लिए जागरूक और प्रेषित करने का पवित्र कार्य करें।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।