फसलों के लिए क्यों जरूरी है पोटाश      Publish Date : 20/04/2024

                           फसलों के लिए क्यों जरूरी है पोटाश

                                                                                                                                                                             डॉ0 आर. एस. सेंगर

प्रमुख पोषक तत्व नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश।

गौण  पोषक तत्व

सल्फर, कैल्शियम, मैग्नशियम।

सूक्ष्म पोषक तत्व

आयरन, कॉपर, मैंगनीज, जिंक, बोरोन, क्लोरीन, मॉलीब्लेडिनम और निकिल।

हवा और पानी से मिलने वाले पोषक तत्व

                                                                                            

ऑक्सीजन, हाइड्रोजन एवं कार्बन।

पोटाश एक महत्वपूर्ण आवश्यक एवं प्रमुख पोध पोषक तत्व है। भरपूर और अच्छी फसल उत्पादन में इस तत्व का विशेष योगदान रहता है। पोषक तत्वों का एक निश्चित अनुपात में संतुलित उपयोग किया जाना चाहिए, अन्यथा उपज में तो कमी आएगी ही साथ ही भूमि की उर्वरक शक्ति का क्षरण भी होगा।

भारत में अनाज वाली फसलों की प्रमुखता होने के कारण नाइट्रोजन, पोटाश के उपयोग का आदर्श अनुपात 4: 1 माना गया है। लेकिन वर्तमान में यह अनुपात 6 या 7: 1 हो गया है। फसलों की औसत उपज में स्थिरता एवं भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी के लिए उर्वरकों के असंतुलित उपयोग को भी एक कारण माना जा रहा है। अतः यह आवश्यक है कि उर्वरक उपयोग के समुचित अनुपात को बढ़ावा दिया जाए।

भूमि में पौधों का भोजन पोषक तत्वों के रूप में उपस्थित रहता है, जिन्हें पौधा लगातार ग्रहण करता रहता है। ऐसे में यदि पौध पोषक तत्व काफी समय तक भूमि को नहीं दिया जाए तो भूमि में प्राकृतिक रूप से उपस्थित पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। जब यह आवश्यक पोषक तत्व पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तो फसल की उपज में कमी आने लगती है और भूमि की उर्वरा शक्ति का संतुलन भी बिगड़ जाता है। फसलों को कुल 17 पोषक तत्वों की विभिन्न मात्रा में आवश्यकता होती है।

इनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश प्रमुख पौध पोषक तत्व हैं जिन्हें पौधे बड़ी मात्रा में जमीन से लेते हैं। इन तत्वों की भूमि लगातार आपूर्ति होती रहे इसके लिए हर फसल में इनका उपयोग किया जाना बहुत जरूरी होता है।

भूमि से मिलने वाले पोषक तत्व, खाद का संतुलन प्रयोग

                                                                  

विभिन्न फसलें विभिन्न मात्रा में मिट्टी से पोषक तत्वों का अवशोषण करती हैं। मिट्टी में किसी विशेष प्रकार के पोषक तत्व का बहुत कम अथवा बहुत अधिक रहने के फलस्वरुप पौधे स्वस्थ नहीं रह पाते हैं। इसलिए खाद का प्रयोग इस प्रकार से संतुलित होना चाहिए कि प्रत्येक फसल को उसकी आवश्यकता अनुसार पर्याप्त मात्रा में सभी आवश्यक तत्वों का पोषण मिल सकें। यदि फसल में सिर्फ एक ही पोषक तत्व जैसे कि नाइट्रोजन का ही प्रयोग करेंगे तो हानि हो सकती है।

नाइट्रोजन यूरिया के कारण पौधों की वनस्पति बड़वाह में काफी वृद्धि होगी। इस प्रकार पौधे भूमि से फॉस्फेट और पोटाश का भी अधिक शोषण करेंगे और ऐसा होने पर यदि भूमि से फास्फोरस और पोटाश जैसी पोषक तत्वों का अभाव हो जाएगा तो अगली फसलें कमजोर होगी और फसल पर प्रतिकूल मौसम, कीड़े और बीमारियों के बुरे असर की संभावना बढ़ जाएगी। जिस मिट्टी में फास्फेट और पोटाश प्रचुर मात्रा में होता है वहां यूरिया के प्रयोग से एक या दो साल तक तो बहुत अच्छी फसल होगी, परंतु इसके बाद यदि फास्फेट और पोटाश की खाद नहीं दिए जाएंगी तो उपज में भारी कमी पायी गई है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।