जीवन धारा      Publish Date : 03/04/2024

जीवन धारा

डॉ0 आर. एस. सेंगर

संसार में कोई भी फूल-पती ऐसी नहीं है, जिसमें औषधि का गुण न हो और कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं है, जिसकी प्रकृति में थोड़े-बहुत देवताओं के भाव न हों। इसलिए किसी को बुरा कहने में जल्दी न करो।

ईश्वर के जगत में आशा की नदी बहती है

दूसरों को भला-बुरा कहने में लोग बहुत जल्दी करते हैं, विशेषकर बुरा कहने में। जब मैं बस्ती जिले का डिप्टी इंस्पेक्टर होकर गया, तब बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि बाकी सबसे तो आपकी बन जाएगी, पर एक सब डिप्टी इंस्पेक्टर से नहीं बनेगी। मुझसे कहा गया कि वह बड़े टेढ़े आदमी हैं। मेरे बस्ती पहुंचने पर, जितने और सब डिप्टी इंस्पेक्टर थे, मिलने आए, पर वह दौरे पर ही रहे। बहुत दिनों के बाद, जब उनका दौरा समाप्त हुआ और वह सदर में आए, तब मुझसे मिले।

धीरे-धीरे मेरी जान-पहचान उनसे बढ़ गई। उनकी बुराई सुनते-सुनते मैं थक गया था। एक दिन मैंने उनसे कहा कि आइए, हम आप महीने पंद्रह दिन एक साथ दौरा करें। हम आप अलग-अलग स्कूल देखेंगे, पर रहेंगे एक साथ। इस बात को उन्होंने स्वीकार किया। थोड़े ही दिनों में मुझ पर प्रकट हो गया कि वह एक ऊंचे दर्जे के आदमी हैं, परंतु रूखे हैं। केवल उनकी रुखाई के कारण, उनके उज्ज्वल गुणों को लोगों ने नहीं पहचाना। लोग उन्हें बुरा कहते थे, पर वह बहुत अच्छे निकले।

इस प्रकार का अनुभव मुझे कई बार हुआ है। जिनको लोगों ने बुरा बतलाया, उनको मैंने अच्छा पाया। कहा जाता है कि संसार में कोई भी फूल-पत्ती ऐसी नहीं है, जिसमें औषधि का गुण न हो और कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं है, जिसकी प्रकृति में थोड़े बहुत देवताओं के भाव न हों। इसलिए ‘किसी को बुरा कहने में जल्दी न करो’ यह सबक मुझे अपने ही जीवन में कई बार मिला है।

आदमी को पहचानना बहुत कठिन काम है। किसी आदमी के पूरे गुण उसके जीवन के केवल एक अंग को लेकर नहीं जाने जा सकते। मनुष्य की पूरी परीक्षा उसके घरेलू जीवन और सार्वजनिक जीवन, दोनों को दृष्टिगोचर रखने से हो सकती है। संभव है कि उसके नौकर-चाकर और स्त्री- बच्चे, जो राय उसके बारे में रखते हों, उसमें और उन लोगों की राय में अंतर हो, जो उसके साथ व्यापार आदि में संबंध रखते हों।

मनुष्य की मनोवृत्ति को जानना बड़ी जटिल समस्या है। उसका स्वभाव किस समय किस बात से प्रेरित होकर क्या करेगा, साधारणतः यह बतलाना कठिन है। लॉर्ड रॉबर्ट्स थे तो बड़े बहादुर सेनापति, पर वे बिल्ली से डरते थे। उन्हें बिल्ली से डरते समय देखकर कौन कह सकता था, कि वह एक साम्राज्य के सेनाध्यक्ष हैं। इसलिए किसी की एक कमजोरी देखकर उसके सारे जीवन पर लांछन न लगाना चाहिए।

मेरा सिद्धांत है, कि जब तक इसका प्रमाण न मिल जाए कि अमुक आदमी चोर है, उस पर पूरा विश्वास करो। दार्शनिक हर्बर्ट स्पेंसर ने ठीक कहा है कि जो अविश्वास से जीवन आरंभ करता है, वह अपना और दूसरे का जीवन दुखमय बना देता है और जो जगत में विश्वास से काम लेता है, उससे संसार सच्चाई का व्यवहार रखता है।

ईश्वर के जगत में आशा की नदी बहती है, कोई उसमें से एक लुटिया भर लेता है, कोई एक लोटा, कोई गगरा; कुछ अभागे लोग नदी का बहाव ही देखते रह जाते हैं, पर उसमें आचमन करने का भी उनको अहोभाग्य नहीं प्राप्त होता ।

आदमी की पहचान...

किसी भी आदमी को परखना आसान काम नहीं है, इसलिए उसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। जब तक प्रमाण न हो, किसी के बारे में कोई निश्चित राय बनाने से बचना ही चाहिए। हर व्यक्ति के जीवन का हर पक्ष न तो कमजोर होता है और न मजबूत। इसलिए किसी व्यक्ति की पहचान करते समय उदारता की दृष्टि से काम लेना चाहिए।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।