भाषा के स्तर पर तकनीक की मदद से समाप्त होती दूरियाँ Publish Date : 28/03/2024
भाषा के स्तर पर तकनीक की मदद से समाप्त होती दूरियाँ
डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं डॉ0 कृषाणु सिंह
वर्तमान समय में अनेक प्रकार के एप्स, टूल, वेबसाइट और डिवाइस आदि आज समस्त भाषाओं के बीच अनुवाद और संवाद को काफी सहज बना रहे हैं। यहां तक कि इंटरप्रेटर मोड और रियल टाइम अनुवाद भी इस तकनीक की मदद से अब संभव हो पा रहा है।
भाषाओं की बीच दूरियाँ मिटा रहे है ट्रांसलेशन एप्स
नई भाषाओं से जोडती तकनीक
आज के समय में जब हम किसी नए या अनजान स्थान पर होते हैं, तो सबसे पहले हम अपने स्मार्टफोन के जीपीएस, कैमरा या कम्युनिकेशन डिवाइस को ऑन कर लेते हैं, ताकि किसी प्रकार की समस्या में घिरने से बच सकें।
यह आज की तकनीक का ही कमाल है कि आज अनजान जगहों पर स्थानीय बोली-भाषा, संवाद में आ रही अड़चनों को दूर करना बहुत ही आसान हो चुका है। इसके अन्तर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) ट्रांसलेशन एप तो विदेश यात्रा के दौरान आपके लोकल गाइड भी बन सकते हैं। एआइ के बढ़ते अनुप्रयोगों के बीच दुनिया की शीर्ष तकनीकी कंपनियाँ भाषांतरण को सहज बनाने के लिए नवाचार और निवेश भी खूब कर रही हैं।
अनुवाद की सहजताः हमारा विश्वास इस बात को लेकर मजबूत होता जा रहा है कि तमाम उपलब्ध भाषाएं विकास, सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और मात्र संवाद के लिए ही नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा-शोध और ज्ञान आधारित समाज के विकास में भी अपना अमूल्य योगदान प्रदान कर रही हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) भी बहुभाषा और अनुवाद को बढ़ावा दे रहा है। तो वहीं दूसरी ओर, विभिन्न ट्रांसलेशन एप्स और इसी प्रकार की अन्य सेवाएं भी अलग-अलग भाषा बोलने वालों के बीच दूरियों को कम कर रही हैं।
ट्रांसलेशन तकनीकी का विकासः सबसे पहले तीन दशक पूर्व कंप्यूटर असिस्टेड ट्रांसलेशन (सीएटी) टूल के माध्यम से अनुवादकों को शब्दावली और नोट तैयार करने में मदद करनी शुरू की गई थी। इसके बाद इस सदी की शुरुआत में ही क्लाउड आधारित ट्रांसलेशन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) ने बाजार में दस्तक दी। ट्राँसलेशन की दुनिया में सबसे बड़ा क्रांतिकारी बदलाव 2006 में गूगल ट्रांसलेशन के लांच के साथ जावा प्रिडिक्टिव एल्गोरिदम और स्टेटिस्टिकल ट्रांसलेशन आधारित गूगल ट्रांसलेट ने मशीन ट्रांसलेशन को सामान्य यूजर तक पहुंचा दिया।
हालांकि, इसमें अनुवाद की कुछ अशुद्धियों के लिए अपेक्षित सुधार की गुंजाइश हमेशा ही बनी रही। वर्ष 2016 में न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन (एनएमटी) की एंट्री ने अनुवाद के प्रवाह और गुणवत्ता में सुधार करना शुरू किया। इसके बाद एआइ ने जिस तरह से बदलाव किया है, वह मशीनी अनुवाद की क्रांति का एक नया अध्याय ही बन गया।
एआइ और मशीन ट्रांसलेशनः मशीन लर्निंग और एआई के विकास से ट्रांसलेशन टेक्नोलॉजी अब नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है। हालांकि, यह भी अपने आप में सत्य है कि मानव और मशीन के बीच भेद अभी पूरी तरह से मिटा पाना संभव नहीं हो पाया है। कुछ वर्ष पहले तक जहाँ कंप्यूटर असिस्टेड ह्यूमन ट्रांसलेशन हो रहा था, वह अब ह्यूमन असिस्टेड कंप्यूटर ट्रांसलेशन में बदल चुका है।
एआई क्षमताओं का उपयोग करते हुए जटिल कंटेंट का भी गुणवत्तापूर्ण अनुवाद संभव हो गया है। इसके विकास से कामकाज के आटोमेशन में, और भी तेजी आएगी।
5 एआइ अनुवाद एप्स
1. गूगल ट्रांसलेटः यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय ट्रांसलेशन एप हैं, जो निःशुल्क ऑनलाइन टेक्स्ट, डॉक्यूमेंट और वेबसाइट को ट्रांसलेट करने में मदद कर सकता है। एआई सिस्टम आधारित यह टूल 100 से अधिक भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध करा रहा है।
2. अलेक्सा ट्रांसलेशनः यह एआई ट्रांसलेशन टेक्नोलॉजी बीते दो दशको से अनुवाद को इसके सरलतम रूप में प्रस्तुत कर रही है। खास बात है कि यह तकनीक कानूनी, वित्तीय, तकनीकी और वाणिज्यिक दस्तावेजी का भी सहजता से अनुवाद कर सकने में सक्षम है।
3. डीप-एलः अपनी सटीकता के चलते इसका व्यावसायिक और निजी कार्यों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। खास बात यह है कि आटोमेटेड ट्रांसलेशन प्रक्रिया के तहत यूजर को इसमें बदलाव करने की सुविधा प्राप्त होती है।
4. बिग माइक्रोसाफ्ट ट्रांसलेटरः क्लाउड पर होस्टेड यह मशीन ट्रांसलेशन सर्विस टूल है। माइक्रोसाफ्ट ट्रांसलेटर टेक्स्ट, आडियो, वीडियो और हाइपरलिंक आदि को ट्रांसलेट करने की सुविधा प्रदान करता है।
5. आइ-ट्रांसलेट ट्रांसलेटरः. आम्यूमेंटेड रियलिटी आधारित यह टूल टेक्स्ट, स्पीच और विजुअल को ट्रांसलेट करने में दक्षता रखता है। हालांकि इन सभी सुविधाओं को एक्सेस करने के लिए भुगतान भी करना होता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।