युवाओं के लिए जरूरी है डिजिटल मार्केटिंग इंटर्नशिप Publish Date : 10/04/2023
युवाओं के लिए जरूरी है डिजिटल मार्केटिंग इंटर्नशिप
डॉ0 आर. एस. सेंगर एव. मुकेश शर्मा
आजकल बढ़ रही है डिजिटल मार्केटिंग की मांग
डिजिटल बनेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया
वर्तमान समय में दुनिया शॉपिंगए स्वास्थ्यए मनोरंजनए बैंकिंगए व्यापार या विदेश में बैठे व्यक्तियों से बात करने जैसी कोई भी सर्विस इस इंटरनेट पर निर्भर हो गई है। अमेजॉनए फ्लिपकार्टए जोमैटो व पेटीएम जैसे एप सबके लिए जरूरत बन गए हैं। देश के छोटे बड़े ब्रांड सोशल मीडियाए वाकई कॉमर्स साइट्स के जरिए अपना बिजनेस लगातार बढ़ा रहे हैं इसी कारण डिजिटल मार्केटिंग सेक्टर में करोड़ों स्किल्ड युवाओं की मांग बढ़ रही है। लाखों ग्रेजुएट हर वर्ष डिजिटल मार्केटिंग में अपना कैरियर बना भी रहे हैं लेकिन डिजिटल सेक्टर में कैरियर बनाने जा रहे युवा अक्सर कुछ गलतियां करते हैं जिनसे बचना बहुत जरूरी है एंड टेक ब्रांड युवाओं को एडवांस कोर्स में डिस्टल इसके इसके साथ.साथ इंटर्नशिप करने का मौका भी दे रहा हैए जिससे युवा स्किल्ड होने पर पहली नौकरी में शानदार परफॉर्म कर रहे हैं तो फिर आज ही आप इस बात कुछ समझ३
डिजिटल मार्केटिंग सीखना क्यों है जरूरी
हाई डिमांड इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल और ई.कॉमर्स की बढ़ती लोकप्रियता के कारण डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ी है
हाई पेइंग जॉब्स
भारी डिमांड के कारण युवाओं की कमी है जिसके कारण इस सेक्टर में युवाओं को हाई पेमेंट पर मिल रहा है और उनका खर्चा आसानी से निकल रहा है।
कैरियर अवसर
डिजिटल मार्केटिंग क्षेत्र में दर्जनों कैरियर अवसर हैं जैसे सोशल मीडिया प्रबंधनए सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशनए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं ई.मेल मार्केटिंग आदि।
लचीलापन
करोना काल के बाद इस क्षेत्र में लोगों की मांग और अधिक बड़ी हैए कंपनियों में रेगुलर जॉब के अलावा आप कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होमए फ्रीलांस या खुद की डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी खोल कर भी काम कर सकते हैं।
युवा ये पांच गलतियां कर रहे हैं इनसे बचे
थ्योरी पर ज्यादा ध्यान
कुछ युवा केवल थ्योरी पर फोकस करते हैं जबकि डिजिटल मार्केटिंग 8 हैंड्स ऑन फील्ड है जिसमें अभ्यास और प्रयोग करना महत्वपूर्ण है इसलिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है।
इंडस्ट्री ट्रेंड्स को नजर.अंदाज करना
इस क्षेत्र में ट्रेंड्स और तकनीक लगातार बदल रहे हैं। इंडस्ट्री ट्रेंड्स से अप टू डेट रहना सभी के लिए बहुत जरूरी है।
डाटा अनदेखा करना
डिजिटल मार्केटिंग 1 डाटा 7 फीट है जिसमें कैंपस मैट्रिक्स को ट्रैक करनाए विश्लेषण करना होता है ताकि कैंपेन की प्रभावशीलता का पता चल सके।
अपने हवंसे निर्धारित ना करना
कई युवा अपने लक्ष्य निर्धारित नहीं करतेए जबकि डिजिटल मार्केटिंग रणनीति के लागू करने से पहले आपको अपने लक्ष्य निर्धारित करने होते हैं।
टेस्टिंग न करना
डिजिटल मार्केटिंग टेस्टिंग ऑप्टिमाइजिंग और परफॉर्मेंस डाटा के आधार पर रणनीतियां तैयार करने का एक प्रोसेस हैए लेकिन कुछ युवा इस पर ध्यान नहीं देते हैं हालांकि इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
इंटरनशिप करने के फायदे
फ्रेशर नये युवा अनुभवी प्रोफेशनल्स के साथ मिलकर काम करने से सीखते हैं.
शुरुआती दौर में फ्रेशर्स जो गलतियां करते हैं जो चुनौतियां फेस करते हैं इंटर्नशिप्स उन्हें सॉल्व कर आती हैए जिससे वह उस क्षेत्र में आसानी से आगे बढ़ सकते हैं।
कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब करने का अनुभव प्राप्त हो जाता है.
इंटर्नशिप्स के जरिए युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ता हैए जिससे आप नई चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनते हैं।
इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स के साथ काम करके युवा विभिन्न क्षेत्रों में स्किल्ड होते हैं आपको प्रोफेशनल नेटवर्क बनाने का मौका भी मिलता है साथ ही साथ जो अच्छी जगह है वहां पर 3 से लेकर ₹5000 महीने या इससे अधिक भी स्टाइपेंड मिल जाता है।
सामाजिक संपर्क से कटने से होती है उर्जा में कमी
एक ताजा अध्ययन में बताया गया है कि अगर हमारा 8 घंटे सामाजिक संपर्क नहीं रहता है तो इस दौरान हमारी ऊर्जा में कमी आ जाती है और ऊर्जा में यह कमी भूखे पेट 8 घंटे रहने के बराबर होती हैए कोविड.19 को लेकर हुआ यह अध्ययन साइकोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं के अनुसारए कम ऊर्जा हमारे प्रारंभिक सामाजिक संबंधों को कम करती हैए जब हम भूखे रहते हैं तो हमारे शरीर में जैविक क्रियाओं की एक श्रृंखला शुरू हो जाती है। इससे हम एक सनसनी महसूस करते हैं जिसकी भूख के रूप में पहचान करते हैं। ऑस्ट्रिया के बयाना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि साक्ष्य से पता चलता है कि सामाजिक संपर्क में कमी हमारे दिमाग में भूख की तुलना में लालसा पैदा करती है जो हमें फिर से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है। यह एक होमियोस्टैटिक सिस्टम है जो सामाजिक संपर्क की हमारी आवश्यकता को नियंत्रित करता है।
दूसरा लेख
ताकि छात्रों के दिमाग से निकल जाए गणित का होवा
गणित एक ऐसा विषय है जो कि आमतौर पर छात्रों के दिमाग में किसी होवा से कम नहीं होता और वह इससे दूर भागने की कोशिश करते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब स्कूली शिक्षा में गणित को रुचिकर बनाने की तैयारी की जा रही है। असल में देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा एनसीएफ नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क का मसौदा जारी कर दिया है।
इस मसौदे में कहा गया है कि गणित को कला खेल और भाषा के साथ एक किया जाना चाहिएए ताकि स्कूली छात्रों के लिए इस विषय की अधिक रचनात्मक और सुरुचिपूर्ण बनाया जा सके। मसौदे में छात्रों के बीच गणित के डर को दूर करने को कहा गया है साथ ही इसमें कहा गया है कि प्रचलित सामाजिक धारणा है कि लड़कियां गणित में कमजोर होती हैं और उच्च जाति के छात्रों में इस विषय को समझने की अधिक क्षमता होती है। इस तरह के सामाजिक पूर्वाग्रह भी छात्रों में भय और चिंता का कारण बनते हैंए हमें समाज में व्याप्त इन धारणाओं को खत्म करने की जरूरत है।
एनआईटी के अनुसार तैयार किए गए एनसीएफ में कहा गया है कि दो प्रमुख पहलू है जो कि गणित के डर का कारण बनते हैं पहला विषय की प्रकृति और दूसरा इसे समाज में कैसे बढ़ाया जा सकता है और कैसे समझाया जा सकता है। मसौदे में कहा गया है कि हमें शिक्षण के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना चाहिएए जहां छात्र गणित को अपने जीवन के एक हिस्से के रूप में देखते हैं तर्क और रचनात्मक समस्या समाधान पर अधिक ध्यान देने के साथ गणित का आनंद लेते हैं।
साथ ही कहा गया है कि हमें शिक्षा के उद्देश्य को समझने के लिए समाज के साथ काम करने की भी जरूरत हैए इसमें कहा गया है कि खेल के माध्यम से गणित अधिकांश छात्रों के लिए मजेदार हो सकता है जो गणित में अवधारणाओं को समझने में वास्तव में संघर्ष करते हैं। आप और क्षेत्र नीति से संबंधित खेल अवधारणाओं को आसानी से पढ़ाया जा सकता हैए पैनल ने इस विषय के लिए मूल्यांकन सुधारों का भी सुझाव दिया शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के एनसीएफ के मसौदे पर सुझाव मांगे हैं। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार स्कूली शिक्षा में एनसीएफ का मसौदा जारी कर सभी पक्षों से सुझाव मांगे गए हैं। शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल अक्टूबर में फाउंडेशन स्तर पर जारी किया था।
दसवीं और बारहवीं की मूल्यांकन योजना में किया गया है बदलाव
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शैक्षणिक सत्र 2023.24 में 10वीं और 12वीं में पढ़ने वाले छात्रों की मूल्यांकन योजना में बदलाव किया है इसके तहत लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के लिए ब्रिटिश का कम किया गया है। इस सत्र में बोर्ड का ध्यान बहुविकल्पीय प्रश्न पर अधिक रहेगा। सीबीएसआई के अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बोर्ड की कोशिश छात्रों की रचनात्मक और महत्वपूर्ण सूचनाओं को विकसित करने की है इसलिए योग्यता आधारित शिक्षा के मूल्यांकन पर जोर दिया जा रहा है। अगले सत्र से बोर्ड परीक्षार्थियों में वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में अवधारणाओं के अनुप्रयोग पर अधिक प्रश्न हो सकते।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्राद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, में प्रोफेसर एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष हैं।