चावल के बढ़ रहे हैं दाम      Publish Date : 22/12/2023

                                     बढ़ रहे हैं चावल के दाम

                                                                           

चावल की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सरकार द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं, और इसके बावजूद भी दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बाजार में चावल की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार मुनाफा मुनाफाखोरी को रोकने का भी प्रयास है। खरीफ मौसम की अच्छी फसल होने से भारतीय खाद्य निगम के पास पर्याप्त भंडार उपलब्ध है।

चावल निर्यात के नियमों में कड़ाई लागू करने के बावजूद भी चावल के घरेलू मूल्य लगातार बढ़ रहे हैं। फिलहाल हालात यह है कि पिछले एक वर्ष में चावल की खुदरा कीमतों में लगभग 13 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो चुकी है। सरकार का पहला प्रयास बाजार में चावल की उपलब्धता बढ़ाने का है। इसके लिए खुला बाजार बिक्री योजना के तहत सरकार ने साप्ताहिकी नीलामी में चावल की मात्रा बढ़ा दी है। 25वीं साप्ताहिक नीलामी में 3300 टन चावल बेचा गया था, जिसे बढ़ाकर अब 13164 टन कर दिया गया है।

खाद्यान्नों में चावल के साथ गेहूं की भी बड़ी मांग होती है। इसके चलते खुले बाजार में इस सप्ताह 3.46 लाख टन गेहूं की भी बिक्री की गई है। इन दोनों अनाजों को खुले बाजार में साप्ताहिक बिक्री खुदरा मूल्य में वृद्धि को तत्काल प्रभाव से रोकने के उद्देश्य से ही की जा रही है। अभी तक 1,80,000 टन चावल की और बिक्री होनी थी। खुला बाजार बिक्री योजना में भाग लेने वाले बोली दाताओं से भी संबंधित नियमों को अधिक लचीला बनाया गया है। आईटी बिजली कनेक्शन वाले बोली डाटा अब सिर्फ 50 टन गेहूं और एचपी बिजली कनेक्शन वाले बोली डाटा एक बार में सिर्फ 250 टन गेहूं खरीद सकते हैं।

सरकार द्वारा चावल प्रसंस्करण उद्योग संघ के साथ बैठक के दौरान चावल की खुदरा कीमतों में तत्काल प्रभाव से कमी लाने का निर्देश दिया है। साथ ही मुनाफा खोरी पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी जारी की गई है। उल्लेखनीय है कि स्टॉक में पर्याप्त चावल उपलब्ध होने के बावजूद इसकी मुद्रास्फिरती दर पिछले दो वर्षों में 12 फीसदी से ज्यादा है और यह लगातार बढ़ रही है, जो कि चिंता का विषय है। सरकार का मानना है कि थोक और खुदरा विक्रेताओं के लाभ के अंतर में भी भारी वृद्धि हुई है, जिसे नियंत्रित करने की जरूरत है।

चावल कारोबारियों से कहा गया है कि जहां अधिकतम खुदरा मूल्य पर वास्तविक खुदरा मूल्य के बीच बड़ा फासला है, वहां तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप की जरूरत है। सरकार की यह भी चिंता है कि बम्पर स्टॉक से अच्छी गुणवत्ता वाले चावल को खुले बाजार में जब 29 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है तो फिर ष्ह खुदरा बाजार में यह ₹40 से ज्यादा क्यों बिक रहा है।