कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्व एड्स दिवस पर चलाया जागरूकता अभियान Publish Date : 01/12/2023
कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्व एड्स दिवस पर चलाया जागरूकता अभियान
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय द्वारा इट्स की बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया गया। इस दौरान छात्रों ने आसपास के गांव तथा लोगों को इसकी रोकथाम बचाओ और जांच के बारे में जानकारी दी।
राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम समन्वक प्रोफेसर आर एस सेंगर ने कहा कि यह एक खतरनाक बीमारी है बचाव ही इसका इलाज है। यह एचआईवी वायरस के संक्रमण की वजह से होता है इस बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस साल की थीम लेट कम्युनिटीज लीड है अर्थात एड्स की रोकथाम में समाज की भूमिका के बारे में जागरूक करना है।
राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्रों द्वारा लोगों में इस बीमारी के बचाव के प्रति जागरूकता के लिए प्रेरित करने हेतु अभियान चलाया गया। डॉ सेंगर ने बताया कि पहले जागरूकता ना होने के कारण लोग इस बीमारी से डरते रहते थे और सामने नहीं आते थे लेकिन अब जागरूकता बढ़ने से लोग इलाज कर रहे हैं।
क्या होते हैं लक्षण एड्स से पीड़ित मरीज में
लगातार बुखार ठंड लगना गले में खराश रहना मांसपेशियों में दर्द होना। शरीर पर चकत्ते दिखाई देना, रात को पसीना आना, थकान होना और जॉइंट पेन से लक्षण दिखाई देते हैं।
कैसे करें बचाव
एचआईवी एड्स का उपचार या टीका नहीं है। हमेशा डिस्पोजेबल सिरिंज व सुई का इस्तेमाल करना चाहिए। संक्रमित महिलाएं डॉक्टर की सलाह पर ही गर्भधारण करें। संयम वफादारी और नियमित कंडोम का इस्तेमाल करें, लाइसेंस सुदा ब्लड बैंक से हमेशा जांच करवा कर ही रक्त का उपयोग करें। हर गर्भवती मां की एचआईवी जांच व संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करें दुनिया एचआईवी को खत्म कर सकती है। यदि सभी समुदाय इस दिशा में आगे बढ़े एचआईवी के साथ जी रहे और कुछ जोखिम वाले समुदायों के संगठन एचआईवी को समाप्त करने की दिशा में सबसे आगे खड़े हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति नियमित उपचार से एक समान जीवन व्यतीत कर सकता है।
कम होने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया कि एड्स का वायरस जब मनुष्य के शरीर में घुसता है तो वह सीडी 4 नामक कोशिकाओं को मानने लगता है। जब सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या काफी कम हो जाती है तो रोगी को ऐड हो जाता है। सीडी कोशिकाओं के काम होने से उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है, यही से छोटी से छोटी बीमारी भी मौत का कारण बन सकती है।
डॉक्टर नीलेश कपूर ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एड्स के मरीज ने जांच कर दबाव का सहारा लिया तो उनकी उम्र लंबी हो सकती है और इसका असर भी लोगों पर दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा की शादी से पहले कुंडली मिलने की आवश्यकता शायद कम होगी एचआईवी की जांच अवश्य करनी चाहिए। इस संदेश से लोगों में जागरूकता बढ़ाने के और जांच करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि एचआईवी संक्रमितों को मंकी पॉक्स का भी खतरा हो सकता है। मंकी पॉक्स संक्रमित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले लार पसीना त्वचा उपयोग किए गए वस्तुओं के संपर्क में आने से फैलता है। चूहा गिलहरियों और बंदरों द्वारा इसके सबसे ज्यादा फैलने के मामले सामने आए हैं।
संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से मंकी पॉक्स बीमारी फैलने का खतरा होता है इसमें सर दर्द मांसपेशियों में दर्द बुखार और थकान जैसे लक्षण इस बीमारी में नजर आते हैं। मंकी पॉक्स चेचक की तरह आता है, भारत समेत कई देशों में मंकी पॉक्स दस्तक दे चुका है। वर्ष 2022 में केरल व दिल्ली में मंकी पक्ष के मामले सामने आए थे।
यह संक्रामक रोग है संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है। मंकी पॉक्स का संबंध आर्थ्रोपॉक्स वायरस परिवार से है जो चेचक की तरह दिखाई देती है। इसमें वेरियोला वायरस भी शामिल है, इस वायरस के चलते स्मालपॉक्स यानी की छोटी चेचक हो जाती है।
उन्होंने बताया कि ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस यानी कि एचआईवी संक्रमितों को मंकी पॉक्स का भी खतरा बढ़ गया है। दुनिया भर में मंकी पॉक्स पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि लगभग 53 अध्ययनों में यह बात सामने आई है। डॉक्टरों की टीम ने अध्ययन में देखा है कि 41% मैरिज पहले एचआईवी संक्रमित हुए उसके बाद मंकी पॉक्स की चपेट में आए इस अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय जनरल पबमेड में प्रकाशित किया गया है।
इस दौरान कार्यक्रम अधिकारी डॉ पंकज चौहान तथा महाविद्यालय के छात्र अभिषेक पाठक, अनुभव पुंडीर, चिन्मय मिश्र, किशन पांडे, अमित शर्मा, अमरीश श्रीवास्तव, रोहिणी साक्षी, वंदना चौधरी आदि छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।