अपनी किडनी की सेहत का रखें ध्यान और इन दवाओं का सेवन न करें- Publish Date : 19/03/2023
जानकारी
अपनी किडनी की सेहत का रखें ध्यान और इन दवाओं का सेवन न करें-
डा0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
विशेषज्ञों के अनुसार, किडनी से सम्बन्धित 60 प्रतिशत समस्याओं का कारण कई अन्य रोगों के लिए सेवन की जाने वाली दवाईयाँ होती हैं।
अतः किडनी की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि दवाओं के सेवन करने के दौरान अपेक्षित सावधानी बरती जानी चाहिए और यथासम्भव इस प्रकार की दवाईयों का सेवन करने से बचा जाना चाहिए जो सीधे-सीधे किडनी को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
बैंगलोर मेडिकल कालेज एंड रिसर्च सेन्टर के इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर प्रभु एस के द्वारा बताया गया कि देश-विदेश में किए गए अनेक अध्ययनों के परिणामों पर दृष्टि डाली जाए तो अनेक दवाएं इस प्रकार की होती है जो सीधे-सीधे किडनी को प्रभावित करती हैं।
चिकित्सकों के अनुसार, विभिन्न प्रकार के दर्द निवारकों से लेकर एंटीबायोटिक, एंटी टीबी, एंटी फंगल, एंटी-कैंसर तथा मनोरोगों के उपचार में दी जाने वाली विभिन्न दवाईयाँ मानव के गुर्दे को गम्भीर रूप से क्षति पहुँचाती हैं, और गुर्दे की होने वाली क्षतियों में 60 प्रतिशत मामलों में इसी प्रकार की दवा का सेवन करना एक प्रमुख कारण माना जाता है।
यह दवाईयाँ गुर्दों की कार्य प्रणाली के अन्तर्गत पोस्ट काऊ-फ्री रेडिकल्स तत्वों की संख्या में वृद्वि कर उनमें सूजन और अन्य विकारों को पैदा कर धीरे-धीरे गुर्दों को गम्भीर रूप से प्रभावित करती हैं।
इस सम्बन्ध में डा0 दिव्याँशु सेंगर ने बताया कि सबसे प्रमुख बात यह है कि इस सम्भावित खतरे से किस प्रकार बचा जा सकता है, तो इसके बारे में उनका कहना है कि इस समस्या से बचने के लिए ऐसी दवाओं के सेवन करने से बचना चाहिए जो हमारे गुर्दों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
आमतौर पर किसी भी दवा के विभिन्न प्रकार के विकल्प बाजार में उपलब्ध होते हैं, परन्तु फिर भी यदि किसी कारणवश विकल्प उपलब्ध न हो तो इन दवाओं की न्यूनतम डोज का सेवन सीमित समयावधि तक किया जा सकता है।
डा0 सेंगर ने बताया कि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो चिकित्सक से परामर्श किए बिना ही विभिन्न दवाईयों का सेवन आरम्भ कर देते है, और यही दवाईयाँ धीरे-धीरे उनकी किडनी को गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त कर देती हैं, और किडनी के सबसे बड़े दुश्मन के रूप में उभरकर सामने आती हैं।
डा0 दिव्याँशु सेंगर ने बताया कि विश्व किडनी दिवस के अवसर पर लोगों को गुर्दों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी किया जाना आवश्यक है। इसके लिए पूरे देश में स्थान-स्थान पर कैम्पों का आयोजन कर लोगों को इसके बारे में अवगत करना होगा कि ऐसी दवाओं का सेवन कम से कम करें जो उनके गुर्दों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
डा0 दिव्याँशु सेंगर ने बताया, गुर्दे का संक्रमण एक दर्दनाक एवं और अप्रिय बीमारी है जो सामान्य रूप से उस समय होती है जब बैक्टीरिया व्यक्ति के मूत्राश्य से व्यक्ति के किसी एक अथवा दोनों ही गुर्दों में प्रविष्ठ हो जाते हैं, इसको चिकित्सीय भाषा में पायलोनेफ्राइटिस कहते हैं। यह सिस्टिटिस की अपेक्ष अधिक गम्भीर तथा अलग प्रकृति का होता है, जो कि मूत्राशय का एक आम संक्रमण है, जो मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया को दर्दनाक बनाता है। यदि गुर्दा संक्रमण का तत्काल ही उपचार कर लिया जाए तो यह अधिक गहरा नुकसान नही पहुँचाता है, परन्तु यदि इसका उपचार समय रहते नही किया जाता है तो यह बिगड़ भी सकता है और गुर्दे की स्थाई क्षति का कारण बन सकता है।
गुर्दा संक्रमण के कारणः गुर्दा संक्रमण तब होता है ब बैक्टीरिया व्यक्ति के मूत्राश्य से व्यक्ति के किसी एक अथवा दोनों ही गुर्दों में प्रविष्ठ हो जाते हैं, और उसे संक्रमित कर देते हैं। बैक्टीरिया आमतौर पर ई-कोलाई नाम का एक प्रकार होता है जो कि व्यक्ति की आंत्र में रहता है। यह बैक्टीरिया व्यक्ति के मूत्रमार्ग के सिरे से उसके मूत्रपथ के रास्ते से होकर ऊपर की ओर जाता है।
इस समस्या से बचाव के लिए आप अपनी दैनिक जीवनचर्या में कुछ सकारात्मक बदलाव भी कर सकते हैं, जैसे कि प्रतिदिन कम से कम दो से ढाई लीटर पानी पीना और भोजन करने के तुरन्त बाद पेशाब करने के लिए जाना तथा पेशाब करने के तुरन्त बाद पानी का सेवन नही करना आदि जैसे कई अन्य उपाय हैं जो आपकी किडनी को नया जीवन प्रदान करने में सक्षम हैं।
डा0 दिव्याँशु सेंगर
Medical Officer
Pyrelal Sharma District Hospital
Meerut