भारत में हरित क्रॉन्ति के नायक डॉ0 एम.एस. स्वामीनाथन का देहवसान Publish Date : 30/09/2023
भारत में हरित क्रॉन्ति के नायक डॉ0 एम.एस. स्वामीनाथन का देहवसान
देश के भुखमरी के दायरे से बाहर निकालने का श्रेय,
डॉक्टरेट की 84 मानद उपाधि, आज चेन्नई में दी जायेगी अन्तिम विदाई
भारत में हरित क्रॉन्ति के सूत्राधार डॉ0 मनकोम्बु संवासिवन स्वामीनाथन (डॉ0 एम. एस. स्वामीनाथन) का 98 वर्ष की आयु में गुरूवार को चेन्नई में निधन हो गया। उन्नत आनुवांशिक बीजों के माध्यम से गेंहूँ और धान के उत्पादन को बढ़ाकर देश को भुखमरी के भयावह हालातों से बाहर निकालने का श्रेय डॉ0 एम. एस. स्वामीनाथन को ही जाता है।
उन्होंने यह कार्य उस समय किया जब 1960 के दशक में भारत अनाज के लिए दुनिया के सामने हाथ फैलाने को विवश था। यहाँ तक कि वर्ष 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री देशवासियों से अनुरोध भी करना पड़ा कि वे एक समय का खाना बन्द बर दें।
डॉ0 स्वामीनाथन 1961-1972 के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक एवं महानिदेशक भी रहे।
अपने इस कार्यकाल के दौरान भारत सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव पद पर कार्य भी किया और 1979-80 में कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव भी रहे। डॉ0 स्वामीनाथन को डॉक्टरेट की 84 मानद उपाधियाँ प्राप्त थी, जिनमें से 25 अन्तर्राष्ट्रीय सेस्थानों के द्वारा प्रदान की गई थी।
डॉ0 स्वामीनाथन नवाचार के पावरहाउस थेः-
डॉ0 स्वामीनाथन हमारी कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगें और उनका जुनून अनुकरणीय था। भारतीय कृषि में उने योगदान ने बहुत लोगों के जीवन को बदल दिया और उन्होने ने देश के खाद्य-सुरक्षा को सुनिशिचत् किया। अनुसंधान एवं मेंटरशिप के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्वता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और इनोवेटर्स पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री।
स्वामीनाथन रिसर्च फाउन्डेशन के अनुसार डॉ0 स्वामीनाथन का अन्तिम संस्कार 30 सितम्बर, दिन शनिवार को चेन्नई में किया जाएगा। सीएम एम के स्टालिन ने बताया कि डॉ0 स्वामीनाथन का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम विदाई दी जाएगी।
डॉ0 स्वामीनाथन के परिवार में उनकी तीन बेटियाँ, सौम्या, मधुरा और नित्या स्वमीनाथन हैं। डॉ0 स्वामीनाथन की पत्नि मोना का निधन पिछले वर्ष हो गया था।
डॉ0 स्वामीनाथन का किसानों के सशक्तिकरण करने में मुख्य योगदान रहा-
वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ डॉ0 स्वामीनाथन वर्ष 2004 में बनाए गए राष्ट्रीय किसान आयोग के माध्यम से किसानों का सशक्तिकरण करने के लिए भी सदैव याद किए जाएंगे। डॉ0 स्वामीनाथन आयोग की दो सिफारिशें, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को औसत लागत से 50 प्रतिशत अधिक रखना एवं महिला किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड योजना काफी अहम साबित हुई हैं। हालांकि यह बात अलग है कि इस आयोग के द्वारा की गई अधिकतर सिफारिशें लागू नही हो पायी हैं।