किडनी को स्वस्थ रखने हेतु रहे विशेष रूप से सचेत      Publish Date : 16/03/2023

 किडनी को स्वस्थ रखने हेतु रहे विशेष रूप से सचेत

                                                                                                                                                           डॉ दिव्यांशु सेंगर मेडिकल ऑफिसर

                                                                                                                                                                       प्यारेलाल अस्पताल मेरठ।

        प्रत्येक वर्ष 9 मार्च को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है इस वर्ष 2023 को किडनी दिवस की थीम है सबके लिए किडनी का उत्तम स्वास्थ्य है।

        पिछले कुछ वर्षों से देखा गया है कि जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई थी, तब किडनी रोगियों को अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ा था। इससे समाज को यह पता लगा कि आपदा और अन्य अपेक्षित प्रशिक्षण में विभिन्न प्रकार के रोगियों और विशेषकर किडनी रोगियों को उपचार और औषधियों का सुचारू रूप से उपलब्ध होना कराना आवश्यक है

        विश्व भर में 850 मिलियन किडनी रोगी है। किडनी रोग के मुख्य कारण ब्लड प्रेशर शुगर, किडनी की पथरी व हानिकारक और दर्द निवारक औषधि का सेवन है करना है। किडनी रोग से बचने का मुख्य उपाय है कि शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखा जाए और किडनी की पथरी का इलाज किया जाए और किसी भी प्रकार की औषधि का सेवन करने से पहले उसकी किडनी के संदर्भ में उसके प्रभाव का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। इस वर्ष विश्व किडनी दिवस पर हम लोगों को कुछ बातें को ध्यान में रखते हुए उनका पालन करना चाहिए और किडनी के प्रति अति संवेदनशील रहने की आवश्यकता होती है। यदि इस लेख में बताई गई विभिन्न बातों को ध्यान में रखेंगे तो आप अपनी किडनी को सुरक्षित रख सकते हैं।

  • अपने ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें और इसके लिए किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से ही समय.समय पर मिलते रहे।
  • यदि किडनी में पथरी हो गई है तो इसके इलाज में लापरवाही ना  बरतें तुरंत डॉक्टर से सलाह कर अपने गुर्दे की पथरी को किडनी से बाहर निकलवा दें।
  • किसी भी प्रकार की औषधि का सेवन करने से पहले उसका किडनी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है यह अवश्य जान लेना चाहिए।

समाज में किडनी रोगियों के प्रति संवेदनशीलता नही है, किसी भी प्रकार की महामारी या आपदा के दौरान किडनी के रोगियों का पूर्ण सहयोग करें और इन्हें हर प्रकार उपचार और औषधि उपलब्ध कराने में मदद करें।

        किडनी से संबंधित बीमारियां गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही हैंए इसलिए हम सभी लोगों का प्रयास होना चाहिए कि किडनी दिवस पर ही नहीं पूरे साल इस बात को ध्यान में रखें कि किडनी को क्या-क्या चीजें नुकसान पहुंचा सकती हैं, तो उनसे परहेज करें और समय पर अपना इलाज शुरू करा ले यदि समय पर इलाज नहीं हो पाता तो अंततः डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण के विकल्प को चुनना पड़ता है यह कार्य काफी जटिल और महंगा भी होता है इसलिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।

आखिर क्यों फेल होती है किडनी

        देश में किडनी के फेल होने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है इसके दो कारण बिल्कुल स्पष्ट हैं मधुमेह और ब्लड प्रेशर। देश में इन दिनों दोनों ही बीमारियों से ग्रस्त लोगों की संख्या में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है हमारे देश में प्रति वर्ष 100ए000 से अधिक लोगों की किडनी फेल हो जाती हैंए इसके विपरीत मात्र 10 से 15000 लोगों में ही किडनी का प्रत्यारोपण हो पाता हैए बाकी लोगों को डायलिसिस या बिना डायलिसिस के जीवन गुजारना होता है और सही उपचार नहीं मिल पाने के कारण ऐसे बहुत से लोग जल्द ही मौत के शिकार हो जाते हैं।

किडनी फेल होने से अन्य बीमारियों का बढ़ता है खतरा

        यदि किडनी सही तरह से कार्य नहीं कर रही है और मरीज ट्रांसप्लांट कराने की स्थिति में है तो सबसे बेहतर विकल्प रेनल ट्रांसप्लांट ही है डायलिसिस ज्यादा लंबे समय तक कारगर नहीं वाली प्रक्रिया नही हैए बीमारी आदमी को जकड़ती जाती है उसे हार्ट संबंधी बीमारी टीवीए हैपेटाइटिस और अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

किडनी रोग होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं

        किडनी की बीमारी का एक बड़ा कारण ग्लोमेरूलो नेफ्राइटिस भी होता हैए जिससे हमारा शरीर अपने किडनी के खिलाफ लड़ रहा होता हैए इससे किडनी फेल हो सकती हैं। कुछ लोग कमजोर किडनी के साथ ही पैदा होते हैंए तो किसी किसी को पेशाब के रास्ते में जन्मजात समस्या होती है जिसके कारण भी किडनी खराब हो सकती है।

इन बातों का रखें आवश्यक रूप से ध्यान

1.  40 साल की उम्र पार कर चुके हैं तो समयण्समय पर स्वास्थ्य की जांच जरूर कराते रहें।

2. साल में कम से कम एक या दो बार ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर जरूर चेक कराएं।                   

3. यदि रात में पेशाब के लिए बार.बार पूछना पड़ रहा है तो किडनी खराब होने का यह शुरुआती संकेत हो सकता है।

4. पेशाब करते समय यदि उसमें झाग बन जा रहा है तो उसकी जांच जरूरी है।     

5. किडनी का मुख्य काम खून बनाना है अगर पर्याप्त तो खून नहीं बन पा रहा है या हिमोग्लोबिन कम है तो सतर्क हो जाएं।

6. किसी भी समस्या के होने पर और समय से डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।

        अगर किसी तरह की कोई तकलीफ महसूस हो रही है तो एक बार किडनी फंक्शन टेस्टए ब्लड यूरिया टेस्ट और यूरिन में प्रोटीन का टेस्ट कराना जरूरी है। यदि यह तीनों टेस्ट पॉजिटिव आते हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए।

        शुरुआत में अच्छे डॉक्टर की देखभाल होने से किडनी को फेल होने से बचाया जा सकता है। अगर जांच में पता चल जाए कि किडनी प्रोटीन छोड़ रही है तो उसे नजरअंदाज ना करें क्योंकि अधिक दिनों तक किडनी से प्रोटीन बाहर निकलता रहा तो स्वास्थ्य के लिए यह दुखदाई साबित होगा इसलिए समय पर इलाज शुरू करा देना चाहिए। निश्चित रूप से यदि आप सचेत रहते हुए अपने किडनी पर ध्यान देंगे तो आप स्वस्थ बने रहेंगे।

रीढ की हड्डी के दर्द से कैसे बचें

        मानव शरीर में कई अंग होते हैं और हर अंग की अपनी उपयोगिता और विशेषता होती हैए यदि इसमें से कोई भी अंग खराब हो जाता है या उसमें किसी तरह की समस्या होती है तो उसका असर पूरे शरीर पर धीरे.धीरे पड़ने लगता है। स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल करके रीढ की हड्डी के दर्द एवं विकार और विकलांगता को रोकने हेतु समस्त आयु वर्ग के लोगों को सचेत रहने की आवश्यकता है।

रीढ की हड्डी का क्यों होता है दर्द

        जब रीढ की हड्डी के जोड़ों मांसपेशियों डिस्क नसों में कोई एक अपनी जगह पर फिट ना हो पाए या ठीक तरीके से मिल ना पाए तो यह रीढ की हड्डी में दर्द होने का सबसे बड़ा कारण होता  है।

        रीढ की हड्डी का दर्द पीठ के निचले हिस्से से लेकर गर्दन तक कहीं भी महसूस हो सकता है। महत्वपूर्ण कारण निम्न प्रकार के हो सकते हैं- नंबर 1 मांसपेशियों में जकड़नए नंबर दो रीढ की हड्डी का असमान रूप से मुड़ना, नंबर 3 गठिया रोग का हो जानाए नंबर 4 ओस्टियोपोरोसिस की समस्या होनाए

नंबर 5 रीढ की हड्डी में चोट का लगनाए नंबर 6 स्पाइनल स्टेनोसिस का होनाए नंबर 7 फाइबोमायलिजिया का होनाए नंबर 8  स्पॉन्डिलाइटिस का होनाए नंबर 9 किडनी संबंधी रोग का होनाण् नंबर 10 रीढ की हड्डी के पास तरल पदार्थ का जमनाए नंबर 11 रीढ की हड्डी का ट्यूमर होनाए नंबर 12 रीढ की हड्डी की टीबी होनाए नंबर 13 समय के साथ रीढ की हड्डी का घिसनाए नंबर 14 मोटर वाहन से दुर्घटना होनाए नंबर 15 रीढ की हड्डी में खेलकूद में लगी चोट का होनाए नंबर 16 हिंसाए लड़ाई झगड़ाए पत्थरबाजीए गोली या कोई अन्य दुर्घटना का होनाण् नंबर 17 लगातार नशा करनाए  नंबर 19 मूत्र संबंधी रोगों का होनाए नंबर 20 गर्भावस्था के समय कोई समस्या होनाए नंबर 21 ओवेरियन सिस्ट का हो जानाए नंबर 22 रीढ की हड्डी में फ्रैक्चर या संक्रमण का हो जाना तथा नंबर 23 रीढ की हड्डी के पास तरल पदार्थ का जमना, आदि।

रीढ की हड्डी में दर्द होने का खतरा कब बढ़ता है

        रीढ की हड्डी के विशेषज्ञों का मानना है कुछ विशेष परिस्थितियाँ होती है तो उस समय रीढ की हड्डी का दर्द अधिक बढ़ जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।

1. व्यायाम ना करना या कम करना।

2. सामान्य से अधिक वजन का होना।

3. अधिक आयु हो जाना।

4. भार उठाना जिससे कभी.कभी दर्द बढ़ जाता है।

5. असामान्य शारीरिक मुद्रा बना लेना।

6. झुक कर लगातार काम करते रहने से भी दर्द का खतरा बढ़ जाता है।

रीढ की हड्डी के दर्द के लक्षण

        जब कभी रीढ की हड्डी में दर्द महसूस हो तो ध्यान रखें उसको पहचानने के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैंे-

1.      पीठ में सूजन हो सकती है।

2.      दर्द की स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ जाता है।

3.      हर समय दर्द ज्यादा देर तक खड़े रहने अथवा बैठने से दर्द का और बिगड़ जाना।

4.      चार पीठ और फूलों के आसपास सुन्नपन महसूस होना।

5.      सांस लेने एवं खांसनें में परेशानी का अनुभव करना।

6.      शारीरिक तालमेल में परेशानी या लकवा होना।

7.      उंगलियों हाथों पैरों पैरों के अंगूठे का सुन होना।

8.      शरीर में झनझनाहट महसूस होना।

9.      गर्दन पीठ कंधों और सिर पर दबाव महसूस करना।

10.     यौन-कामेच्छा और प्रजनन क्षमता में बदलाव होना।

11.     मलाशय या मूत्राशय पर नियंत्रण ना होना।

12.     स्पर्श का अनुभव नही होना।

13.     दर्द का पैरों घुटनों और नीचे की ओर जाना।

14.     चलने फिरने में कठिनाई होना।

क्यों खतरनाक है रीढ की हड्डी का दर्द

        रीढ की हड्डी का दर्द आमतौर पर गर्दन पीठ के नीचे के हिस्से और पीठ के निचले हिस्से में भी हो सकता है या फिर दर्द पूरी रीढ की हड्डी में भी महसूस हो सकता है। कुछ मामलों में रीढ की हड्डी में भी दर्द किसी भी प्रकार के रोगों या रीढ की हड्डी से संबंधित विकारों का संकेत भी दे सकते हैं। रीढ की हड्डी का दर्द अचानक शुरू होता है और  बढ़ते बढ़ते असहनीय हो जाता है यह दर्द शरीर के दूसरे अंगों जैसे कंधेए बाजूए पेट का निचला हिस्साए कूल्हे, टांग और पैर के निचले हिस्से तक भी जा सकता है। ऐसी स्थिति में आपको रीढ की हड्डी के विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए और लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसे किसर भी रूप में रूप को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे में अच्छा होगा कि आप किसी के भ्रम में ना पड़े और जागरूक बने और अपने रोग के लक्षणों जानकरए पहचान कर विभिन्न संचार माध्यमों में प्रकाशित एवं प्रसारित होने वाले जागरूकता अभियान पर भी हमेशा ध्यान देना चाहिए। सही समय पर किया गया सही परामर्श आपके स्वास्थ्य को हमेशा अच्छा बनाए रखेगा।

स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस को कैसे पहचाने

        स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस एक खतरनाक बीमारी है हड्डियों में फ्रैक्चर के कारण रीढ की हड्डी में इंफेक्शन हो सकता हैए इसके कारण हड्डियां ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके कारण स्पाइनल कैनल भी सक्रिय हो जाती हैए इससे नर्वस सिस्टम से संबंधित परेशानी हो जाती है और समय रहते विशेषज्ञों से संपर्क करें वरना स्पाइनल कॉर्ड में नसों के दबने से शरीर के निचले भाग को लकवा भी मार सकता है। ध्यान रखें रीढ की हड्डी की ज्यादातर बीमारियां दबाव द्वारा सही हो सकती हैं परंतु समस्त चिकित्सा विकल्पों के समाप्त होने पर सर्जरी ही एकमात्र सर्वश्रेष्ठ विकल्प रह जाता है। इसलिए समय रहते यदि बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

क्या है रीढ की हड्डी की टीबी

        रीढ की हड्डी में टीबी का कारण रक्त जनित संक्रमण है। अतः इसके लिए सबसे पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए और वे जो भी आवश्यक बाते बताते हैं उनको समय पर करा लेना चाहिए। ध्यान रखें जब किसी मरीज को रीढ की हड्डी की टीवी प्रारंभ होती है तो उसे सूजन के साथ दर्द होता हैए दर्द के साथ बुखारए ठंड लगनाए रात के समय बुखार आनाए भूख ना लगनाए फोड़ा बन जाना उसमें पस पढ़ना और लगातार दर्द बने रहना आदि। शीघ्र उपचार प्रारंभ कर रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।

रीढ की हड्डी के ट्यूमर के लक्षण क्या है

        रीढ की हड्डी के ट्यूमर हेतु शुरुआती परामर्श और उपचार अति महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि उसके लक्षण निम्न प्रकार से दिखाई देते हैं-

1.      पेट और आंतों की समस्या बढ़ जाती है।

2.      संवेदनशीलता कम रह जाती है।

3.      चलने में कठिनाई महसूस होती है।

4.      लगातार कमर में दर्द बना रहता है।

5.      मांसपेशियों का कमजोर होना आदि।

        ध्यान रखें दर्द आपकी पीठ से आगे आपके पैरों या बाहों तक भी फैल सकता है और समय के साथ भयंकर रूप भी धारण भी कर सकता है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी क्या है

        यह एक अनुवांशिक रोग होता है जो मेरुदंड में मोटर न्यूरॉन नामक तंत्र की शिराओं पर आक्रमण करता है। यह उसका वह भाग होता है जो आपकी रक्षक मांसपेशियों से सम्पर्क स्थापित करता हैं जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैंए जैसे आपके हाथ व पैरों की मांसपेशियां जब कमजोर हो जाती हैं जिससे आपका चलनाए सुननाए याद न रहना, सही प्रकार से सांस नही ले पाना, सिर पर गर्दन का नियंत्रण प्रभावित हो सकता है यह अनुवांशिक होता है। यदि यह बीमारी आपके परिवार में चलती आ रही है तो शीघ्र ही विशेषक से संपर्क कर इलाज शुरू करा देना चाहिए।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस क्या है

        कमर से आरंभ होकर सिर की ओर तो कभी पैर तक जाने वाला दर्द सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहलाता है जिसका कारण उठनेए बैठने गलत तरीकेए मोटापाए बढ़ती आयुए रीढ की हड्डी में चोट और पारिवारिक इतिहास भी हो सकता है। इसका दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है तथा इसमें चिड़चिड़ापनए अकड़नए तनावए कमजोरीए गर्दन एवं हाथों में झनझनाहट बनी रहती है। ऐसी हालत होने पर आप तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें और समय पर इलाज शुरू करने से इससे काफी हद तक बचा जा सकता है।

रेडिएशन के संपर्क में आने पर बढ़ता है दिल की बीमारियों का खतरा

        अभी तक ऐसा माना जाता था कि अधिक रेडिएशन के संपर्क में आने वालों के दिल को नुकसान का खतरा होता है। लेकिन अब शोध में पता चला है कि रेडिएशन के संपर्क में आने वाले को भी जीवन भर है यह खतरा बना रहता है। इसका पता लगाने के लिए अमेरिका में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कौड़ियों वैस्कुलर बीमारियों और विकिरण के संपर्क के बीच संबंधों के मूल्यांकन वाले अध्ययनों के डेटाबेस की जांच की तो उन्होंने पाया कि रेडिएशन की कम मात्रा और लंबे समय तक जोखिम स्तर और विभिन्न प्रकार के लोगों की आवृत्ति और मृत्यु दर का मूल्यांकन किया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जानकारी बीमारी के दौरान रेडिएशन के संपर्क में आने वाले मरीजों और रेडियोथैरेपी और परमाणु उद्योग से जुड़े स्थलों पर काम करने वाले लोगों को रेडिएशन से बचाने के लिए काम करने वाले नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। जहां तक संभव हो रेडिएशन के खतरों को जानते हुए उसे बचना चाहिए और जहां पर रेडिएशन किया जाता हो उससे दूर ही रहना चाहिए।

                                                                                                                                                     निवासः 35 अक्षरधाम रुड़की रोड मेरठ