कृषि विवि में पर्यावरण जागरूकता अभियान      Publish Date : 20/03/2025

          कृषि विवि में पर्यावरण जागरूकता अभियान

सोसाइटी ऑफ़ ग्रीन वर्ल्ड फॉर सस्टेनेबल एनवायरमेंट के द्वारा छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता अभियान चलाकर उनको इसके सम्बन्ध में टिप्स दिए गए, जिससे कि वह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत रहें और अपनी जिम्मेदारी को भली-भाँति समझ सकें।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए समिति ऑफ़ ग्रीन वर्ड फॉर सस्टेनेबल एनवायरमेंट के सेक्रेटरी प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने कहा की प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और लोग बीमार हो रहे हैं। ऐसे में हमें समझना होगा कि पेड़ पौधे संवेदनशील होते हैं, सभी लोग उनका संरक्षण करेंगे तो ही हमें स्वच्छ हवा, पानी और बाकी सबकुछ मिल सकेगा। यदि हम पेड़ों की कटाई इसी प्रकार करते रहे तो शुद्ध हवा भी प्राप्त नहीं होगी और यह बात हम सभी लोगों को समझनी होगी। प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने कहा कि हमें प्रकृति की रखवाली में युवाओं से बहुत अधिक अधिक आशाएं है। इसके लिए केवल घर या गांव ही नहीं बल्कि प्रत्येक स्थान पर पर्यावरण के चिंतक के तौर पर यह काम हम सभी लोगों को मिलकर करना ही होगा।

वहीं इस समस्या को गंभीर मानते हुए सरकार को भी समझना चाहिए कि विकास के साथ पेड़ पौधे भी उतने ही जरूरी है और अगर सड़क चौड़ीकरण में पेड़ों का कटान किया जा रहा है, तो निर्माण के बाद सड़क किनारे छायादार और फलदार वृक्षों को भी लगाना बहुत जरूरी है। जल, जीवन और जंगल के संरक्षण का पाठ भूल गए तो मानव जाति का विनाश तय है। पर्यावरण दिवस जैसे सरकारी कार्यक्रमों में ही या केवल बोलने से कुछ भी नहीं होगा बल्कि इसके लिए यदि कुछ करना है तो सभी लोगों को आगे आना होगा, तभी हम अपने भविष्य और जीवन को सुरक्षित रख सकेंगे।

इस अवसर पर प्रोफेसर पंकज चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है जिसके कारण ही जलवायु परिवर्तन की दर भी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ने से तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक वर्ष 2024 पहला ऐसा वर्ष रहा जब औसत वैश्विक तापमान औद्योगिक युग से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि और अल नीनो घटनाएं भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।

डॉक्टर नीलेश कपूर, वैज्ञानिक कॉलेज ऑफ बायोटेक्नोलॉजी महाविद्यालय, ने अपने संबोधन में कहा की जलवायु परिवर्तन का संक्रमण काल चल रहा है, जिसके प्रभाव से सदियों तक बने रह सकते हैं। इसका अर्थ है कि वर्तमान पीढ़ी की गलतियों का खमियाजा आने वाली नई पीढ़ियों को भी भुगताना पड़ सकता है, इसलिए युवा सचेत रहें और वह पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इको फ्रेंडली तकनीक को अपनाने का प्रयास करें। इस अवसर पर काफी संख्या में छात्र-छात्राएं और शिक्षकगण मौजूद रहे।