पर्यावरण और मानव जीवन पर प्रभाव पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न Publish Date : 28/12/2024
पर्यावरण और मानव जीवन पर प्रभाव पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र चित्तौड़ा, मुजफ्फरनगर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा वित्त पोषित परियोजना चलाई जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत फसलों में पेस्टीसाइड अवशेषों का निर्धारण और उनके स्वास्थ्य जोखिम का आकलन के तहत एकदिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का शुभारंभ निदेशक प्रसार डॉ पी. के. सिंह, निदेशक शोध डॉक्टर कमल खिलाड़ी, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, प्रोफेसर पुष्पेंद्र ढाका. डाक्टर डी. वी. सिंह तथा केंद्र के विभाग अध्यक्ष डॉ हंसराज सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रसार डॉक्टर पी. के. सिंह ने कहा किसानों को पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवन के महत्व के बारे में ध्यान देना चाहिए और पर्यावरण प्रदूषण के लिए उठाए गए कदमों को ध्यान में रखते हुए कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
निदेशक शोध डॉ0 कमल खिलाड़ी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि कीटनाशक कृषि उत्पादन में एक अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन अगर इनका अत्यधिक और गलत तरीके से उपयोग किया जाए तो यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी खतरे की घंटी साबित हो सकते है।
निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने अपने संबोधन में कहा कि कीटनाशक जल, जंगल और जमीन पर अपना दुष्प्रभाव फैला रहे हैं इसलिए समय रहते ही हमें सतर्क होने की जरूरत है और अपनी फसलों पर कीटनाशकों और रासायनिक फर्टिलाइजर्स का कम से कम प्रयोग करते हुए मानव जीवन को सुरक्षित बनाना होगा।
डॉक्टर डी. वी. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हम बायो पेस्टिसाइड्स का उपयोग करके फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और मानव जीवन को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
प्रोफेसर पुष्पेंद्र कुमार ढाका ने कहा कि सूक्ष्मजीव एवं पर्यावरण, जयपुर के द्वारा बनाएं जा रहे कीटनाशकों के समुचित उपयोग करने के उपरांत किसान भाइयों की अपनी दोगुनी आय हेतु प्राकृतिक और खेती जैविक खेती कीटनाशक साक, भाजी और औषधीय फसलों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
परियोजना की मुख्य अन्वेषक डॉक्टर रेखा दीक्षित ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि इस परियोजना के माध्यम से कीटनाशकों का पर्यावरण और मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को काम करने के लिए किसानों में जागृति लाना है।
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉक्टर हंसराज सिंह ने सभी का स्वागत किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर नीलेश कपूर द्वारा रखा गया। डॉक्टर नीलेश कपूर ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि हम कम से कम कीटनाशकों और रासायनिक फर्टिलाइजर्स का उपयोग करें, जिससे कि हम कृषि में अच्छा उत्पादन प्राप्त करके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी फसलों का उत्पादन ले सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक यशपाल सिंह ने भी कृषि वैज्ञानिकों से अपने विचार साझा किए तथा उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संतुलन को बनाए रखने के लिए कीटनाशकों का विवेकपूर्ण उपयोग करने की बात प्रमुखता से कही।
चित्तौड़ा ग्राम के किसान नरेश कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला में किसानों के लिए ज्ञानप्रद एवं अच्छी जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग करने में विशेष सावधानी बरतनी होगी, ताकि हमारी भूमि और सेहत दोनों ही पूरी तरह से सुरक्षित रहें। यह कार्यशाला सभी किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी। उन्होंने सभी किसानों से जैविक खेती के तरीकों को अपनाने पर जोऱ दिया और इस ओर कदम बढ़ाने और इस काम करने की आवश्यकता पर स्पष्ट रूप से बल दिया।