रचनात्मक सोच का परिणाम Publish Date : 16/10/2024
रचनात्मक सोच का परिणाम
टाटा स्टील के चेयरमैन रतन टाटा ने जमशेदपुर में कंपनी के कर्मचारियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में एक कर्मचारी ने डरते-डरते एक बहुत ही महत्वपूर्ण मसला उठाया। उसने बताया कि कर्मचारियों के शौचालयों की स्थिति बहुत खराब और अस्वच्छ है, जबकि अधिकारियों के शौचालय हमेशा साफ-सुथरे रहते हैं।
चेयरमैन महोदय अपने एक वरिष्ठ अधिकारी से पूछा, ‘‘इस स्थिति को सुधारने में कितना समय लगेगा?’’ अधिकारी ने जवाब दिया, ‘‘सर इसके लिए एक महीना काफी होगा।’’
इस पर चेयरमैन ने कहा, ‘‘मैं इसे एक दिन में कर देता हूं। बढ़ई को बुलाओ।’’
अगले दिन बढ़ई आया तो चेयरमैन ने उसे दोनों शौचालयों के ऊपर लगे बोर्ड हटाने और उनकी जगह बदलने को कहा। अब अधिकारियों के शौचालय पर ‘‘कर्मचारियों के लिए’’ और कर्मचारियों के शौचालय पर ‘‘अधिकारियों के लिए’’ का बोर्ड लगा दिया गया। साथ ही उन्होंने हर पंद्रह दिन में इन बोर्डों को बदलने का निर्देश भी दिया।
और इसका रिजल्ट क्या हुआ? अगले तीन दिनों में दोनों ही शौचालय बेहद साफ और चकाचक हो गए!
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ‘‘नेतृत्व हमेशा पद से ऊपर होता है।’’ समस्याओं को पहचानने के लिए तार्किक सोच और उन्हें हल करने के लिए रचनात्मक सोच की जरूरत होती है।
कहानी का सारः
यह कहानी हमें बताती है कि रतन टाटा ने एक साधारण समस्या को एक रचनात्मक तरीके से किस प्रकार हल कर दिया। उन्होंने सिर्फ बोर्ड बदलकर लोगों की मानसिकता बदली और शौचालयों की स्वच्छता में सुधार किया। यह कहानी हमें बताती है कि नेतृत्व का मतलब सिर्फ आदेश देना नहीं ही होता, बल्कि समस्याओं के मूल कारण को समझना और उन्हें रचनात्मक तरीके से हल करना होता है।
प्रेरणा मुख्य बिंदुः
- नेतृत्व पद से हमेशा ऊपर होता है।
- समस्याओं को हल करने के लिए एक रचनात्मक सोच की जरूरत होती है।
- लोगों की मानसिकता बदल कर बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।