धान की सीधी बुवाई बुवाई को देखने के लिए फिलिपींस की टीम कृषि विश्वविद्यालय पहुंची      Publish Date : 27/09/2024

धान की सीधी बुवाई बुवाई को देखने के लिए फिलिपींस की टीम कृषि विश्वविद्यालय पहुंची

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक तीन सदस्य दल धान की सीधी बुवाई पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए कितनी लाभकारी हो सकती है, देखने हेतु पहुँची और अनुसंधान केंद्र पर लगी हुई धान की फसल का निरीक्षण किया।

इस दल में अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान मनिला, फिलिपींस की वैज्ञानिक एलिलिया हेनरी एवं वैज्ञानिक मेंग तथा हरियाणा के वैज्ञानिक डॉक्टर जागमीर सिंह के साथ कृषि विश्वविद्यालय में धान की सीधी बुवाई विधि से लगाए गए धान का फिजियोलॉजिकल डाटा लिया। इस परियोजना की शुरुआत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के के सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र मनीला, फिलिपींस के साथ एम ओ यू 2023 में किया गया था।

                                      

इसके उपरांत इस परियोजना का परियोजना अन्वेषक प्रोफेसर शालिनी गुप्ता एवं सहायक परियोजना अन्वेषक डॉक्टर आदेश को बनाया गया था। विगत वर्ष परीक्षण के दौरान इस विधि के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए थे।

एलिया हेनरी ने कहा की जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जब हमारे सामने जल, गर्मी तथा लेबर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे भविष्य में धान की सीधी बुवाई किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकेगी। इससे हम फसल का अच्छा उत्पादन ले सकेंगे, इसके लिए एक प्रोटोकॉल विकसित किया जा रहा है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए जो भी प्रजाति अच्छी निकलेगी वह आगे किसानों को रिकमेंड की जाएगी, जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सके।

परियोजना अन्वेषक प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने बताया कि इस परियोजना के तहत 100 ग्राम प्लाजो विश्वविद्यालय के शोध निदेशालय के शोध फील्ड पर लगाए गए हैं। इसके अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं। पेड़ों पर फ्रूटिंग अच्छी है, उनकी हाइट भी ठीक है, जिससे वह अधिक बारिश और हवा के कारण गिरने की समस्या से भी बच सकेंगे। प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने बताया धान की सीधी बुवाई भविष्य के लिए काफी लाभकारी साबित होगी।

                                                             

प्रत्यक्ष बीजारोपण के लाभ

  • इष्टतम परिस्थितियों में उपज में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं।
  • कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं के तहत सिंचाई जल की 12-35 प्रतिशत तक की बचत।
  • पौधों को उखाड़ने और रोपने की आवश्यकता को समाप्त करके श्रम और थकान को कम करता है।
  • खेती का समय, ऊर्जा और लागत कम हो जाती है।
  • पौधों की रोपाई से कोई तनाव नहीं।
  • फसलों की तेजी से परिपक्वता।
  • मशीनीकृत डीएसआर सेवा प्रावधान व्यवसाय मॉडल के माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
  • खेती की लागत कम करके किसानों की कुल आय में वृद्धि करता है।

वर्तमान समय में कठिनाई

  • उच्च बीज दर।
  • पक्षियों और कीटों के संपर्क में आने वाले बीज।
  • खरपतवार का प्रभावी प्रबंधन।
  • आवास का उच्च जोखिम।
  • खराब या असमान फसल उत्पादन का जोखिम रहता है।

टीम भ्रमण के दौरान प्रोफेसर आर एस सेंगर निदेशक शोध, प्रोफेसर कमल खिलाड़ी, प्रोफेसर शालिनी गुप्ता, डॉक्टर आदेश, मिताली अरोड़ा, आदित्य वेश्य, उद्देश्य त्यागी और मनीष राणा आदि छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे।