कार्यालय उप गन्ना आयुक्त, परिक्षेत्र सहारनपुर Publish Date : 02/09/2024
कार्यालय उप गन्ना आयुक्त, परिक्षेत्र सहारनपुर।
गन्ना भवन, हकीकत नगर सहारनपुर- 247001।
पत्रांक 1552/2C/ विकास दिनांक 24-08-2014
समस्त अध्यासी, चीनी मिलें,
परिक्षेत्र सहारनपुर।
परिक्षेत्र सहारनपुर के अन्तर्गत चीनी मिल रोहानाकलां, खाईखेड़ी, देवबन्द एवं तितावी सहित अन्य चीनी मिलों में भी कतिपय गन्ने के प्लाटों पर खडें गन्ने की पत्ती ऊपर से नीचे की तरफ पीली पडते हुए सुखती जा रही है। यह प्रकोप गन्ना प्रजाति को. 0118 को, 15023, को. शा. 13235, को.लख. 98014 तथा कुछ अन्य प्रजातियों में देखा जा रहा है तथा यह प्रकोप गन्ने की फसल में बहुत तेजी से बढता जा रहा है। क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान चीनी मिल क्षेत्र रोहानाकलां, खाईखेडी व देवबन्द में भी यह स्पष्ट देखा गया कि यदि गन्ने के कलम्प को उखाडा जाय तो गन्ने की जड़ें कमजोर है तथा जड वाले गन्ने को बीच से फाडने पर रूट स्टाफ बोरर या रूट बोरर का आपतन परिलक्षित होता है। इसके साथ साथ बिल्ट (Wilt) के लक्षण भी रूट बोरर के साथ या अलग से देखे जा रहे है।
गन्ने में बिल्ट (Wilt) के लक्षण निम्न प्रकार से परिलक्षित होते हैः-
1- गन्ने की पत्तिया किनारे से पीली पडते हुए सूख जाती है और कतिपय पौधो पर मिड़रिब भी सुखने लगती है पौधे मुरझाये हुए सिकुड़े से लगते है।
2- यदि ऐसे गन्ने को बीच से फाड दिया जाय तो पिथ हल्के से गहरे बैगनी या भूरे रंग का हो जाता है और बोटसेप के केबिटी इन्टरनोड के मध्य पायी जाती है और खराब दशा में गन्ने में पिथ का फारमेशन होकर सूख जाता है। इसका फैलाव बीज के माध्यम से, सडे, ताजा ठुठ से होता रहता है तथा नोड से नोड तक लाल रंग की धारी दिखाई देती है।
बिल्ट बीमारी के कारणः- यह एक फफूदीजनित रोग होता है जो फयूजेरियम सेकेराई मोनलीफार्मी आदि फफूदी के कारण से होता है। जिन क्षेत्रों में पोक्का बोईंग रूट बोरर, इन्टरनोड बोरर आदि का प्रकोप है उन क्षेत्रों में इसका फैलाव बहुत तेजी से होता है। चूंकि पोक्काबोईग बीमारी फयूजेरियम स्पी. से होती है तो ऐसी दशा में कामन कारक बिल्ट एवं पोक्का बोईंग के देखे जाते है। परिक्षेत्र सहारनपुर व प्रदेश के पश्चिमी जिलों में पोक्का बोईग, रूट बोरर, व्हाईट ग्रब, रेडराट एवं टाप बोरर का प्रकोप है जिसके कारण बिल्ट का प्रसार बहूत तेजी से हो रहा है। उक्त गन्ने की पत्ती का पीलापन बॅक्टेरियम (रेड सिट्रिप) या वायरल यलो लीफ डिजीज से भी होता है।
बचाव हेतु कार्ययोजनाः- वर्तमान समय में-
1- कार्बेन्डाजिम 50Wp 2 ग्राम प्रति लीटर घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर दो बार गन्ने की जंडों के पास ड्रेचिंग की जाए तथा 7 दिन बाद ट्राईकोडर्मा 4 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर जड़ों के पास डालकर हल्का पानी दिया जाए।
2- रूट बोरर व अन्य की रोकथाम के लिए क्लोरोपाईरिफॉस 50 प्रतिशत $ सायपर मैथ्रीन 5 प्रतिशत 2 मि.ली. प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अन्तराल पर 2 बार ड्रेचिंग की जाए।
3- इमिडाक्लोरोप्रिड 2 मि.ली. प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर स्प्रे किया जाए साथ ही Streptocycline 1 ग्राम 10 लीटर की दर से घोल बनाकर स्प्रे किया जाय ताकि बोरर व एफिड को रोका जा सकें।
गन्ना बुवाई के समय:-
1- गन्ना बीज का शोधन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में कार्बाडाजिम 50WP से 30 मिनट तक किया जाय।
2- मिट्टी चढाते समय 04 किग्रा. ट्राइकोड्रमी प्रति एकड की दर से 01 कुन्तल सड़ी गोबर की खाद मिलाकर प्रयोग किया जाए तथा यथा आवश्यक कार्बाडाजिम 50WP 02 ग्राम प्रति लीटर की दर से ड्रेन्चिग कराई जाय ।
3- गन्ना बुवाई के समय बीज का शोधन 54 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर 4 घंटे के लिए मोईस्ट हाट एयर ट्रिटमेन्ट (एम.एच.ए.टी.) से कराया जाय।
4- गन्ना बुवाई के समय बीज का शोधन 52 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर 2 घंटे के लिए हाट वाटर ट्रिटमेन्ट (एच.डब्लू.टी.) से कराया जाय।
4- नवीन प्रजातियों रोग रहित की बुवाई कराई जाय ।
5- गन्ना बुवाई में फसल चक अपनाया जाय ।
6- ऐसे प्लाटों में जिन पर इस कीट एवं बीमारी का प्रकोप अधिक है उन प्लाटों में पेडी की फसल न ली जाय।
7- उक्त रोग एवं कीट के प्रकोप की रोकथाम हेतु वैज्ञानिकों से सलाह / परामर्श लिया जा रहा है परामर्श प्राप्त होने पर आपको पृथक से प्रेषित किया जायेगा।
1552/C/ 24-08.2024 (ओम प्रकाश सिंह)
उप गन्ना आयुक्त,
परिक्षेत्र सहारनपुर।
प्रतिलिपि:- निम्न को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु:-
1- समस्त सचिव प्रभारी, सहकारी गन्ना विकास समिति लि. परिक्षेत्र सहारनपुर को इस निर्देश के साथ कि कीट एवं रोग से बचाव हेतु अपने खाद गोदामों पर पर्याप्त कीटनाशक / रसायन / फफूदीनाशक का स्टाक की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
2- समस्त ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक परिक्षेत्र सहारनपुर को इस निर्देश के साथ कि क्षेत्रीय भ्रमण कर उक्त कीट एवं रोग का परीक्षण कर सूचना प्रेषित करते हुए कीट एवं रोग पर प्रभावी अंकुश लगाने की कार्यवाही करें।
3- जिला गन्ना अधिकारी, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर एवं शामली को इस निर्देश के साथ कि उक्त कीट एवं रोग के प्रकोप का रोकने हेतु कार्ययोजना बनाते हुए इस पर प्रभावी कार्यवाही करें।
4- सहायक निदेशक, गन्ना शोध केन्द्र, मुजफ्फरनगर को इस निर्देश के साथ कि आप भी क्षेत्रीय भ्रमण कर उक्त कीट एवं रोग की रोकथाम हेतु कोई प्रभावी कार्ययोजना सम्बन्धित को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
उप गन्ना आयुक्त,
परिक्षेत्र सहारनपुर ।