प्रेस विज्ञप्ति      Publish Date : 30/07/2024

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गन्ने की फसल में कीट/रोग नियंत्रण हेतु जारी एडवाईंजरी

                                                                        

गन्ने की फसल में लगे मिलीबग कीट और पोक्का रोग के चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें व्याप्त है। बारिश अभी तक कम हुई है और उमस बेहिसाब है जिससे पोका बोइंग का प्रकोप बढ़ रहा है। दोनों ही समस्या ऐसी हैं जिससे फसल की बढ़वार प्रभावित होती है।

इसलिए गन्ने की फसल के कीट रोग के प्रकोप के रोकथाम के लिए जिला कृषि रक्षा अधिकारी विकास कुमार किसानों को सलाह देते है कि:-

                                                                             

1. मीलीबग: मिलीबग कीट गन्ने की पत्तियों में घुस जाता है, और वह पत्तियों का रस चूसता रहता है। इस कारण गन्ने पत्तियों पर काले रंग का फंफूद बन जाता है और कुछ समय बाद पत्तियां काली पड़ जाती हैं। इसके बाद पौधे की बढ़वार रुक जाती है। पत्तियों और गन्ने की पोरी का साइल छोटा रहता है।

उपचार: मीलीबग में थायमिथोक्सोम की 200 ग्राम, इमीडा कलोरोपिड रसायन की 200 एमएल मात्रा 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। फसल की बढ़वार के लिए माइक्रो न्यटिएन का भी प्रयोग कर सकते हैं। पीलापन जिन पत्तियों में दिखता है, उन्हें पांच से सात दिन में हटाते रहें।

2. पोंक्का बोईंग: पोंक्का बोइंग कवक फंगस की बीमारी है। गन्ने की मुख्य पत्ती सिकुड़ने लगती हैं। पत्तियों पर पीले-लाल रंग के चकते बन जाते हैं। अगर समय से रोकथाम न की जाए तो धीरे-धीरे पत्तियां सूखकर नीचे गिरने लगती हैं और गन्ने की गोभ काली पड़ जाती है। उपचारित किए बगैर बीज का प्रयोग करना भी इस रोग आने का प्रमुख कारण होता है।

उपचार: पोंक्का बोइंग रोग आने पर पांच से दस ग्राम ट्राइकोडरमा पाउडर को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह उपाय अधिक कारगर है। कार्बनडाजिम 50 डब्ल्यू पी का 0.1 प्रतिशत 400 ग्राम फफूंदीनाशक और कॉपर ऑफसी क्लोराइड 50 डब्ल्यू पी का 0.2 प्रतिशत 800 ग्राम फफूँदींनासक का प्रयोग 400 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।