गर्मी बढ़ने के साथ गन्ने में चोटी बेधक कीट का तेजी से बढ़ रहा प्रकोप

    गर्मी बढ़ने के साथ गन्ने में चोटी बेधक कीट का तेजी से बढ़ रहा प्रकोप

                                                                                                                                                   डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 वर्षा रानी एवं गरिमा शर्मा

गन्ने पर कीटों का हमला, 45 जिलों में किया गया अलर्ट

                                                               

उत्तर प्रदेश के 45 गन्ना उत्पादक जिलों के किसानों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। गर्मी बढ़ने के साथ ही गन्ने की फसल में चोटी बेधक का प्रकोप बढ़ रहा है। इसके लिए शाहजहांपुर स्थित उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने किसानों को सावधान किया है और चोटी बेधक को रोकने के लिए जरूरी उपाय भी बताए हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के निदेशक वीके शुक्ल ने बताया कि वर्तमान में गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट की प्रथम पीढ़ी के उपरान्त द्वितीय पीढ़ी का प्रकोप देखा जा रहा है।

इस कीट की मादा शलभ चांदी जैसे सफेद रंग की होती है तथा पीछे की ओर नारंगी रंग की रोये दार संरचना पायी जाती है। चोटी बेधक का असर पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वी के यूपी के 45 गन्ना उत्पादक जिलों की गन्ने की फसल पर है, इसमें मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी आदि शामिल हैं।

ऐसे अंकुश करें चोटी बेधक

                                                                  

डायरेक्टर वीके शुक्ल ने किसानों को सलाह दी कि वह अपने गन्ना खेतों की सुबह - सुबह निगरानी जरूर करें तथा खेत में यदि द्वितीय पीढ़ी के अण्ड समूह अथवा सूड़ियां दिखाई पड़े तो ऐसी प्रभावित पत्तियों को तोड़ कर तुरंत ही नष्ट कर दें, अन्यथा की स्थिति में सूड़ियाँ पत्ती की मध्य शीरा से प्रवेश कर गन्ने के गोफ में घुस जाती है और गन्ने की बढ़वार को रोक देती है। अधिक प्रभावित पौधों को खुरपी से पूरा काट कर उसे नष्ट कर दें।

अधिक है कीटों का प्रकोप तो ऐसा करें-

                                                                                

चोटी बेधक कीट से अधिक प्रभावित फसल एवं गोफ के अन्दर प्रवेश कर चुकी सूड़ियों को नष्ट करने के लिए क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल (कोराजन/सिटीजन) 18.5 एस. सी. 150 एम.एल. 400 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में नमी की स्थिति में गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ड्रेन्चिंग करें और इसकी उपलब्धता न होने पर वगो या फरटेरा का भी उपयोग किया जा सकता है।

इस कीट के जैविक नियन्त्रण को अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा जापोनिकम की 20000 वयस्क (4 से 5 ट्राईकोकार्ड) प्रति हेक्टेयर की दर से जून के अन्तिम सप्ताह से 15 दिन के अन्तराल पर लगाये जाने से यह चोटी बेधक के अण्डों को खा जाता है तथा फसल चोटी बेधक के प्रकोप से बच जाती है।

ऐसे करें कीट की पहचान

                                                                    

चोटी बेधक कीट गन्ने को बर्बाद कर देता है। यह रात्रि में गन्ने की पत्तियों के मध्य शिरा के पास 75 से 250 अण्डों के समूह में अण्डे देती है जो एक-दूसरे पर चढ़े हुये (ओवरलैप) तथा भूरे रंग के रोयेंदार पदार्थ से ढके रहते हैं। इस कीट की सूड़ी हल्के पीले रंग की होती है जो कि पत्ती की मध्य शिरा से होते हुये अगोले तक पहुंच जाती हैं तथा अगोले की बिना खुली हुयी पत्तियों को खाती है, जिससे अगोले की पत्तियों पर गोल छरें जैसे निशान दिखाई पड़ते है। कीट द्वारा गन्ने के गोफ को खा जाने से उसमें सड़न हो जाती है तथा उसके नीचे की आंखों से फुटाव हो जाता है फलस्वरूप शीर्ष भाग में मृतसार (डेड हर्ट) एवं बंचीटॉप (झाड़ीनुमा संरचना) बन जाती है।

यह कवायद भी है जरूरी

निदेशक वीके शुक्ल ने बताया कि इस कीट की प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से प्रभावित पौधों में मृतसार/डेडहर्ट बनने पर पौधों को जमीन की सतह से संूड़ी सहित काटकर नष्ट कर दें तथा रसायनिक नियन्त्रण के लिए निदेशक ने बताया कि इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत रसायन को एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर उसमें थोड़ा सा सैम्पू मिलाकर पौधों पर छिड़काव करने से पौधे के ऊपर पाये जाने वाले अण्ड समूह एवं सूड़ियां एवं तितलियां आदि नष्ट हो जाती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।