कृषि विश्वविद्यालय में करियर और पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर कार्यशाला संपन्न

कृषि विश्वविद्यालय में करियर और पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर कार्यशाला संपन्न

करियर में सफलता वही पता है जो निरंतर कोशिश करता है डॉक्टर अजय अग्रवाल

                                                                 
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय करियर एवं पर्सनैलिटी डेवलपमेंट पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला आज कृषि महाविद्यालय के सभागार में संपन्न हो गई।
करियर काउंसलर तथा भूतपूर्व अधिष्ठाता प्रोफेसर अजय अग्रवाल ने कहा की उद्यमिता की उपयोगिता एवं उसमें सफलता पाने के मूल मंत्र बताएं बताएं। डॉ अग्रवाल ने कहा कि समाज में दो प्रकार के लोग हैं एक जो अपनी ऊर्जा को दूसरों के लिए लगा देते हैं और बदले में एक निश्चित वेतन प्राप्त करते हैं यह नौकरी का मार्ग है। दूसरे वह है जो औरों की ऊर्जा को किसी समाज उपयोगी कर में लगाकर उन्हें एक निश्चित वेतन देकर एक उद्यम की स्थापना करते हैं, यह उद्यम का मार्ग है और उद्यम के मार्ग में असीमित संभावनाएं विश्मान होती हैं।
डॉ अजय अग्रवाल ने अपने संबोधन में बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा एवं श्रीमद् भागवत गीता का आधार लेते हुए उद्यमता में सफलता के तीन मंत्र हैं, भावना ज्ञान और कर्म। अपने सपनों को साकार करने के लिए दृढ़ निश्चय करना होगा यदि उद्यमिता सच में ही एक विचार है तो उसे पाना संभव है। एक बार उद्देश्य निश्चित होने के पश्चात उसे उद्देश्य को पाने के लिए जितना ज्ञान चाहिए उसे प्राप्त करना चाहिए। यह ज्ञान दो प्रकार का होता है एक बिजनेस एनवायरमेंट का और दूसरा अपने प्रोडक्ट का प्रचार। उन्होंने स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन एवं कंपनी स्टार्टअप के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।

                                                                                
हरी भरी कंपनी इलाहाबाद के निदेशक अनिल श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में वेस्ट को किस प्रकार से रिश्ता सेलिंग करके उपयोगी बनाया जाए और स्टार्टअप शुरू किया जा सके इसकी जानकारी छात्र छात्राओं को दी।
इस अवसर पर निर्देशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेंगर ने कहा छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वह अपनी कमजोरी को अपनी खूबी बनाकर कंपनी के सामने पेश करें। अगर इंटरव्यू में कर्मियों पर सवाल पूछ ही लिया जाए तो उसका जवाब रचनात्मक तरीके से दें। उन्होंने कहा कि कंपनी के अधिकतर ऐसे पेशवारों के चयन को अधिक प्राथमिकता देते हैं जिनकी क्षमताएं एवं कौशल कंपनी के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए इंटरव्यू के दौरान प्रबंधक से अपनी उन कमजोरी का जिक्र ना करें जो नौकरी की भूमिका से मेल न खाती हो। इसके अलावा अपनी कमजोरी को तीन भागों में बांटे। पहले अपनी कमजोरी के बारे में बताएं फिर कमजोरी के मामूली परिणाम का जिक्र करें और अंत में उन्हें बताएं कि आप अपनी कमियों को दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं और साथ ही इन प्रयासों से होने वाले लाभों से भी उन्हें अवगत करा दें।
इस दौरान प्रोफेसर सत्य प्रकाश ने कहा कि छात्रों को अपनी क्षमताओं के बारे में बताना चाहिए जिससे इंटरव्यू में वह सफल हो सकें।
एसोसिएट डायरेक्टर ट्रेनिंग का प्लेसमेंट प्रोफेसर डी बी सिंह ने कहा इंटरव्यू में अपनी व्यक्तिगत ताकत के बजाए अपनी क्षमताओं के बारे में बताने का प्रयास करें। उन्हें अपने उन कौशलों के बारे में बताएं जो न केवल प्रभावशाली हो बल्कि आज के संदर्भ में प्रासंगिक भी हो साथ हों। इंटरव्यू के दौरान प्रबंधक को अपनी खूबियों और शैक्षणिक योग्यता के बारे में बताना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

                                                                                  
प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया की कुलपति प्रोफेसर के के सिंह के दिशा निर्देशन में विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए स्पेशल करियर काउंसलिंग, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट तथा प्लेसमेंट के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिससे यहां के शत-प्रतिशत छात्रों को प्लेसमेंट मिल सके और वह विभिन्न उद्योगों में अपनी उपयोगिता को साबित कर सकें। आज समापन समारोह में लगभग 240 छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। इस दौरान पर्यावरणविद डॉ मधु वत्स, डॉ अनिल रावत, प्रोफेसर शालिनी गुप्ता, डॉक्टर देश दीपक आदि के अलावा नई दिल्ली से आए हुए शशांक रावत तथा युद्धवीर सिंह भी उपस्थित रहे।