बुजुर्गों की सुने और समझे Publish Date : 22/04/2023
बुजुर्गों की सुने और समझे
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
हमारे बुजुर्ग हमारी जिंदगी में निरंतर मार्गदर्शन और अनुभवों के स्रोत होते हैं, इनके पास जीवन का अनुभव होता है जिससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। लेकिन इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर उनसे बातचीत नहीं कर पाते और बाद में पछताते हैं। हम बुजुर्गों साथ समय नहीं बिता पाते ऐसे में वे खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं यह उनकी सेहत के लिए खतरनाक स्थिति हो सकती है।
कई बार यह देखने को मिलता है कि हम उन्हें गैर समझने लगते हैं, लेकिन अगर हम अपने वरिष्ठों समझना शुरू कर दें और उन्हें वह सम्मान और मूल्य देना शुरू करें जिसके वे हकदार हैं, तो हम समझ पाएंगे कि कैसे हमारे लिए आशीर्वाद देते हैं। हमें उनके साथ बिताने के लिए कुछ समय निकालने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।
बच्चों को अपने दादा दादी के साथ कुछ समय बिताना चाहिए, यह एक आदर्श परिवार के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है। बुजुर्गों का अकेलापन सिर्फ अपने देश की समस्या नहीं है, दुनिया भर में बुजुर्ग अकेले होते जा रहे हैं, लेकिन कई देशों में युवाओं ने बुजुर्गों के लिए वक्त निकालना शुरू कर दिया है।
इसके लिए वह समय दान कर रहे हैं, यह एक सुखद बात है। इस दिशा में हमें भी जरूर प्रयास करने चाहिए इसके लिए वृद्धाश्रम क्यों बनाए जा रहे हैं, हमारी कोशिश तो यह होनी चाहिए कि वृद्ध आश्रम की जरूरत ही ना पड़े। घर और दिल में अपने वृद्धों को बुजुर्गों को यदि हम जगह देंगे तो यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।
हमें उन्हें अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय से जोड़ना चाहिए, दूसरे हमें उन्हें मानसिक रूप से सक्रिय रखना चाहिए, हमें उनसे बातचीत करनी चाहिए और जितना हो सके अपना समय उनको देना चाहिए।
तीसरे उनकी हर तरह से मदद करना भी उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकता है, हमें भी अपने दादा-दादी के साथ बाहर घूमने जाना चाहिए और उन्हें खुशी का अहसास कराना चाहिए। उन्हें किसी भी ऐसी सभा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें जिसमें उन्हें आमंत्रित किया जा सकता है जैसे कि जन्मदिन या कोई विवाह समारोह आदि।
अपना समय देकर उन्हें थोड़ा सा साथ दें उनके साथ ऐसी कोई भी बात करें जिससे उन्हें खुशी मिलती हो हमेशा उनके आसपास रहे उनके लिए समय निकालें तो निश्चित रूप से आपका पारिवारिक जीवन अच्छा चलेगा।
समय दान की है दरकार
समय दान करना केवल बुजुर्गों को समय देना नहीं है आप उनके साथ जो भी समय बिताएं वह क्वालिटी टाइम होना चाहिए, क्वालिटी टाइम देना इसके लिए जरूरी है क्योंकि इससे घर के बुजुर्गों को सोशल सपोर्ट मिलता है। बुजुर्गों के पास समय का गहन अनुभव होता है जिसको भी हमारे साथ साझा करना चाहते हैं और जब हम अपना समय निकाल कर उनके साथ बैठते हैं तो उन्हें इमोशनली सपोर्ट तो मिलता ही है।
साथ में उनके मन को शांति मिलती है यही शांति उन्हें सुरक्षित महसूस भी कराती है और खुश कराती है। आप अगर उनके साथ बैठ कर उनकी बातों को ध्यान से सुनती हैं और उनमें दिलचस्पी लेती हैं तो उन्हें अच्छा लगता है और आपको भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जब आप उन्हें अपने समय में से कुछ समय देती हैं यानी क्वालिटी टाइम तो वह एक तरफा नहीं होता बल्कि वह भी आपको अपना क्वालिटी टाइम देते रहे होते हैं और ऐसा करने से आपकी साइक्लोजिकल वेल्डिंग यानी मानसिक स्वास्थ्य और सोशल वर्क इन स्किल से यानी कि सामाजिक कार्य कौशल बढ़ता है और जब इसमें कुछ बताएगी तो निश्चित रूप से आपका पारिवारिक जीवन भी अच्छा होगा।
जैसा नाम वैसा ही रूप है इस आम का
हुस्नारा आम की प्रजाति, प्राकृतिक खेती के माध्यम से तैयार की गई है, जो अपने नाम के अनुरूप ही दर्शनीय होने के साथ ही अपनी मिठास के लिए भी प्रसिद् है। इस आम की भरपूर घरेलू मांग होने के साथ ही विदेशों में भी इसकी बहुत मांग है। इसी के चलते आम की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा इस प्रजाति के आम की कीमत भी अधिक होती है। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला स्थित किनानगर निवासी अनुज त्यागी, जो कभी कॉरपोरेट में तीन लाख रूपये प्रतिमाह की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर, अब प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती प्रक्रिया को अपनाकर एक कृषि फार्म स्थापित किया जिसमें लगे आम की विभिन्न प्रजातियों के साथ आम की इस प्रजाति को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वर्तमान में अनुज त्यागी का यह कारोबार एक करोड़ रूपये वार्षिक आमदनी उन्हें दे रहा है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेंरठ, इस क्षेत्र के किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक के प्रति लगातार जागरूक करता रहा है। इसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने लगभग 12 एकड़ के फार्म में प्राकृतिक खेती करने की शुरूआत की।
इस फार्म में आम की विभिन्न प्रजातियों के अलावा अन्य फलदार वृक्षों को भी लगाया गया है। उन्होनें बताया कि उनके फार्म में आम की कई प्रजातियां उपलब्ध हैं, जिनमें हुस्नारा प्रजाति की बात ही अलग है। इस प्रजाति का आम बेहद खूबसूरत और मिठास लिए हुए होते हैं और इसका पौधा भी बहुत छोटा होता है।
जब इस छोटे से पौधे पर आम लगते हैं तो यह बहुत सुन्दर लगता है और इसके आम की कीमत बाजार में 200 से 300 रूपये प्रति कि.ग्रा. तक होती है। चूँकि इस क्षेत्र में इस आम की पैदावार काफी कम है, इसीलिए इसकी कीमत अधिक प्राप्त होती है, जबकि इसकी मांग विदेशों में भी काफी है।
वार्षिक एक करोड़ रूपये का है टर्न-ओवर- इसके सम्बन्ध में अनुज त्यागी बतातें हैं कि वह एक कॉरपोरेट कम्पनी में महाप्रबन्धक के पद पर तैनात थे और वह तीन लाख प्रतिमाह वेतन पा रहे थे। वर्ष 2016 में उन्होने अपनी नौकरी छोड़ दी और अब उनका वार्षिक टर्न ओवर एक करोड़ रूपये का है। वह आम की पैकिंग और मार्केटिंग इत्यादि में स्वयं भी सहयोग करते हैं।
सात वर्ष पूर्व किया था जैविक खेती का आरम्भ
किसान अनुज त्यागी ने बताया कि उनके खेतों में सभी मौसमी फसलें जैसे- बाजरा, दलहन, तिलहन, सुपर फूड तथा अनाज आदि के अलावा बफर जोन में 41 किस्म के फलों के पौधें भी लगे हुए हैं और उनके खेत कृषि मंत्रालय के अधीन जैविक खेती से सम्बद् केन्द्रों से भी प्रमाणित है।
विशेषज्ञों की राय-
किसान अनुज त्यागी की फसलों बहुत डिमांड है जिनमें हुस्नारा आम की प्रजाति सबसे खास है। इन्होनें जैविक खेती को अपनाकर अपनी आय में पर्याप्त वृद्वि भी कर ली है। - डॉ0 आर. एस. सेंगर, कृषि वैज्ञानिक, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विवि मेरठ।
किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक किया जा रह है। कृषि विज्ञान केन्द्रों को भी किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। - डॉ0 के. के. सिंह, कुलपति, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विवि मेरठ।
पौष्टिकता से भरपूर हरी/छोटी कंगनी
हरी/छोटी कंगनी/ब्राउन टॉप मिलेट अपने आप में एक पौष्टिका से भरपूर आहार है जो शरीर को डिटॉक्स करने में सक्षम है। इसमें उपलब्ध एंटी-कैंसरोजेनिक गुण, जो कि विभिन्न प्रकार के कैंसर से हमारी रक्षा करने में सक्षम हैं और यह हमारे मल-मूत्र को भी सही करने की क्षमता रखता है।
इसके साथ ही यह हमारी हड्डियों एवं मांसपेशियों को सुदृढ़ता प्रदान करता है। ब्राउन टॉप मिलेट हमारे स्वास्थ्य में होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे- थायराइड, उच्च रक्तचॉप, जोड़ों के दर्द, गठिया एवं शराब की आदत आदि में राहत प्रदान करता है।
ब्राउन टॉप मिलेट में उपलब्ध हाई फाइबर सामग्री के कारण, इसका उपयोग करने से पूर्व इसे 8-10 घण्टे तक भिगोना आवश्यक है। ब्राउन टॉप मिलेट एक पोषक खाद्य है जो हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा विभिन्न रोगों से हमारी रक्षा करने में काफी उपयोगी सिद् होता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि में स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के प्रोफेसर तथा कृषि जैव प्रोद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।
डिस्कलेमरः उपरोक्त विचार स्वयं लेखक के हैं।