आवश्यक है हाइड्रोजन चालित वाहन      Publish Date : 28/09/2023

                                                       आवश्यक है हाइड्रोजन चालित वाहन

                                                     

    यह अपने आप में काफी उत्साहजनक है कि अब भारत में भी हाइड्रोजन गैस का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाने लगा है। अज्ञी हाल ही में लेह में देश की प्रथम हाइड्रोजन चालित बस का ट्रॉयल रन किया गया, जो कि इस कारण से उत्साहजनक है कि एक कार्बन-तटस्थ समाज का निर्माण करने में हाइड्रोजन ईंधन एक अहम भूमिका निभा सकता है।

                                                        

    कुछ समय पूर्व ही केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली गाड़ी से ही संसद पहुँचे थे, और उस समय इस कार ने काफी शोहरत हासिल की थी। अब ऐसे में ट्रेनों के संचालन की बातें भी हाइड्रोजन फ्यूल के माध्यम से आम चर्चा में हैं।

    ऐसा इसलिए है कि हाइड्रोजन फ्यूल को ही अब सुपर फ्यूल यानी भविष्य के फ्यूल के तौर पर देखा जा रहा है। हाइड्रोजन फ्यूल एक ऐसा ऊर्जा वाहक है, जो कि ग्रीनहाउस गैसों के शुद्व योग को कम करने में मददगार सिद्व हों सकता है। हाइड्रोजन ईंधन, ऑक्सीजन के साथ ज्वलित होने पर शून्य-उत्सर्जन उत्पन्न करता है, इसी कारण से इसे शत-प्रतिशत स्वच्छ ईंधन माना जाता है। इसयका उपयोग ईंधन सेलों अथवा आंतरिक दहन इंजिनों में किया जा सकता है जबकि हाइड्रोजन ईंधन अपेक्षाकृत सस्ता और हल्का भी होता है।

                                               

    विशेषज्ञों की माने तो एक कि.ग्रा. हाइड्रोजन लगभग 4.5 लीटर डीजल के बराबर होता है। इसीके चलते पैट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इसे एक उत्तम विकल्प माना जा रहा है। सम्भवतः इसीलिए भारत के द्वारा वर्ष 2005 में एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति भी तैयार की थी, जिसका उद्देश्य हाइड्रोजन ऊर्जा के उत्पादन, भण्ड़ारण, परिवहन, सुरक्षा, वितरण और इसके प्रयोगों से सम्बन्धित विकास को एक नया आयाम उपलब्ध कराना था।

    हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली इस बस का लेह में पहुँचना वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्बन-न्यूट्रल लद्दाख बनाने की घोषणा के सन्दर्भ में एक शानदार पहल है। यहाँ बहुत ठंड़ा तापमान रहता है, इसलिए इन हाइड्रोजन चालित बसों को विशेष तकनीकों से डिजाइन किया गया है।

    सरकार ग्रीन हाइड्रोजन को भारत में भविष्य का ईंधन बनाने के सन्दर्भ में निवेशकों से स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों के निर्माण के लिए निवेश करने का आगह भी कर रही है। जनवरी माह में ही केन्द्र सरकार ने भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण हेतु एक वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए लगभग 20 हजार करोड़ रूपयके बजट के साथ राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को स्वीकृति प्रदान की थी।

                                                        

   इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश में लगभग 125 गीगावॉट की सम्बद्व नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्वि के साथ प्रतिवर्ष कम से कम पाँच एमएमटी की उत्पादन क्षमता के विकास को बढ़ावा देना है। ऐसे में लद्दाख को एक हाइड्रोजन बस की सौगात देना इस सफलता की ओर एक सुदृढ़ पहल मानी जा रही है।