Breaking News      Publish Date : 16/03/2023

सुरक्षित माहौल में पढ़ने वाले बच्चे कम होते हैं बीमार

ऐसे बच्चे जिनको माता.पिता की निगरानी में सुरक्षित माहौल मिलता हैए उनकें बड़े होने पर स्वास्थ संबंधी परेशानियाँ कम होती हैए यह बात अमेरिका के जॉर्जिया विश्वविद्यालय में हुए एक शोध में सामने आई है। मुख्य शोधकर्ता कैलसे  कोरालो ने कहा की बचपन के अनुभव का असर मन और शरीर पर पूरे जीवन काल तक रहता है। भले ही बड़े होने पर बचपन की सभी बातें याद ना रहे लेकिन उसका एहसास रहता है और यह याद रहता है कि उनकोए कितना प्रेम और समर्थन माता.पिता की ओर से मिला है। उन्होंने कहा कि बचपन में होने वाला तनावए पित्तए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। जब बच्चों को पता रहता है कि आप उन पर नजर रख रहे हैं तो वे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जोखिम से बचे रहते हैं। उसी का परिणाम होता है कि बड़े होकर ऐसं बच्चे कम बीमार होते हैं और अधिक स्वस्थ दिखाई देते हैं।

रसोई गैस जलाने से बढ़ता है प्रदूषण


रसोई गैस सेहत के लिए भी हानिकारक हैए ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि अब एलपीजी गैस का विकल्प खोजने का समय आ गया है क्योंकि लगातार ऐसे साक्ष्य सामने आ रहे हैं कि खाना बनाने का यह तरीका सेहत के लिए ठीक नहीं है और पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। 
अध्ययन की लेखक प्रोफेसर दोना ग्रीन कहती हैं कि रसोई गैस से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित होना आवश्यक है। प्रोफेसर ग्रीन के अनुसारए जब आप गैस जलाते हैं तो असल में आप मीथेन गैस को जला रहे होते हैं जिससे जहरीले योगिक बनते हैं। 
रसोई गैस में मीथेन गैस एक मुख्य अवयव होता हैए जो जलने पर उस्मा यानी गर्मी प्रदान करता है। इससे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर नाइट्रो ऑक्साइड बनाते हैं तो ऑफिसर बीन कहती है कि इससे दमा और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। बार.बार चक्कर आना और सिर दर्द लोगों को होने लगता है। 
अध्ययन में शामिल पर्यावरण रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर किसटीन कोवी कहती हैं कि रसोई गैस से दूरी जरूरी है। हमें जीवाश्म ईधनो को जलाने को रोकना चाहिए और गैस भी उनमें शामिल है इससे कई तरह के प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन होता है। डॉक्टर कोवी बताती हैं कि जब गैस का चूल्हा जलता है तो असल में आप जीवाश्म ईंधन ही जला रहे होते हैंए जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइडए नाइट्रस ऑक्साइड और फॉर्म एल्डिहाइड भी बन सकते हैं। कार्बन मोनो ऑक्साइड के उत्सर्जन से हवा में ऑक्सीजन कम होती है और खून में उपस्थित ऑक्सीजन भी नष्ट होती है इससे आपको सिर दर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती है।

अमेरिका में बढ़ रहे हैं दमे के मामले


एनवायरमेंट साइंस और टेक्नोलॉजी जनरल में छपे अध्ययन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि अमेरिका में कई बच्चों में दमा होने के मामलों से 12ण्7 प्रतिशत यानी प्रति 8 में से एक मामले में वजह रसोई गैस से हुआ उत्सर्जन होता है। अमेरिका में रसोई गैस से जितना कार्बन उत्सर्जन होता है वह 5ए00ए000 कारों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर होता है जो एक चिंता का विषय है।


भारत में क्या है स्थिति

भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश है। यहाँ 2021 करीब 28 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे और इनमें प्रतिवर्ष 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2040 तक एलपीजी उपभोक्ताओं का आँकड़ा बढ़कर 4ण्06 करोड तक पहुंच जाएगा। भारत में एलपीजी में प्रोपेन गैस का प्रयोग होता है इससे जलने से खतरनाक बेंजीन गैस निकलती है। यह गैस निकलती तो है लेकिन इसकी मात्रा अमेरिका और यूरोप में प्राकृतिक गैस से निकलने वाली बेंजीन के मुकाबले कम रहती है।


    इस पर अध्ययन करने की आवश्यकता है कि मानव स्वास्थ्य के लिए यह बेंजीन गैस जो घरेलू धूएं से निकल रही है उसका क्या प्रभाव पड़ता है। शोध पर आधारित नतीजों से ही कहा जा सकता है कि भारतीय गैस जो घर में जलाई जा रही हैए वह घर के लिए कितनी हानिकारक है।

 

 

Writer: Dr. R. S. Sengar, Professor Sardar Vallabhabhai University of Agriculture and Technology Meerut HoD of Department of Bio-Technology.