मई मैं गर्मी की जगह अब कूल कूल Publish Date : 05/05/2023
मई मैं गर्मी की जगह अब कूल कूल
डा0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
मई को सबसे कम अधिकतम तापमान दर्ज किया गया 44 साल में सबसे ठंडा रहा यह दिन
मौसम के मिजाज ने गर्मी में दिलाया कूल कूल का एहसास
पिछले 4 दिनों से धूप न निकलने के कारण और हल्की हल्की बौछारें पड़ने कभी तेज बारिश होने से मई के पहले 2 दिनों में रिकॉर्ड ठंडे दिन का एहसास हुआ। अप्रत्याशित रूप से इस साल 1 मई और 2 मई पिछले 44 वर्षों में सबसे ठंडे दिन रहने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ।
पारा वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक के आंकड़ों में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया, दिन का तापमान सामान्य से करीब 17 डिग्री सेल्सियस नीचे फिसल कर 21 दशमलव 8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। मेरठ में यह तापमान फरवरी के शुरुआती हफ्तों में दर्ज किए गए थेA मई में फरवरी जैसी ठंड महसूस की जा रही है और लोग अपने को कूल कूल महसूस कर रहे हैं तापमान में अचानक आई इस गिरावट से दिन रात के तापमान में मात्र 3.2 डिग्री सेल्सियस का ही अंतर रहा है ऐसे में दिन रात के तापमान लगभग आसपास रहे हैं।
4 मई तक बारिश जारी रहेगी
मेरठ में सोमवार और मंगलवार की शाम 5:30 बजे तक 6.2 मिली मीटर बारिश हुई जबकि 2 दिनों में 8.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जा चुकी है। सोमवार मंगलवार दोनों दिन धूप नहीं निकली अगले 3 दिनों तक मेरठ सहित आसपास के क्षेत्रों में मध्यम से तेज बारिश हो सकती है। तेज हवाओं के साथ कुछ हिस्सों में ओले पड़ने की भी संभावना है, उम्मीद की जा रही है कि 7 मई तक गर्मी से राहत मिलती रहेगी।
लेकिन 10 मई से मौसम अपने तेवर फिर से बदल लेगा निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर के अनुसार 6 मई से मैदानों में मौसम पूरी तरह से साफ हो जाएगा 10 मई से फिर से गर्मी बढ़ेगी और लू भी चलने लगेगी इसके बाद मई के आखिरी दिनों में भीषण गर्मी का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है।
वर्षा से किसानों को हो रहा नुकसान
इस समय किसानों की फसल कटकरखेतों में पड़ी हुई है, खासतौर से गेहूं और सरसों की फसल काफी प्रभावित हुई है। अभी किसान अपने गेहूं की कटाई कर के खेतों में देखे iM+h gqbZ हैं, लेकिन अचानक बारिश हो जाने से लोगों के गेहूं खलियान से घर तक तक नहीं पहुंच सके थे और कुछ किसान अभी तक गेंहू की कटाई भी नहीं कर सके थे लेकिन बारिश और हवाओं से उन्होंने उनकी फसल को काफी नुकसान पहुंचा दिया है।
जो खेत में पड़े हुए हैं और उन खेतों में पानी भर गया है तो उनके गेहूं दाने काले पड़ जाएंगे और गेहूं के दानों में नमी अधिक होने के कारण mls Hk.M+kfjr करने में Hkh किसानों को दिक्कतें आएंगी।
किसानों के खेतों में पानी भर गया है, जिसके कारण गन्ने की छिलाई Hkh नहीं हो पा रही है और गन्ना मिलों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैंA किसान अपना पूरा गन्ना phuh feyksa dks नहीं Hkst सकेंगे, tcfd अभी भी काफी किसानों के पास [ksrksa esa काफी गन्ना बाकी है vkSj ;fn xUuk feysa बंद हो गई तो किसान अपना पूरा गन्ना feyksa dks ugh ns ik;saxs vkSj os अब कुछ नहीं कर पाएंगे।
इन दिनों की भीषण गर्मी के चलते कुछ फसलें जो कि 22 जून के महीने में लगी हुई थी उसमें यह बारिश फायदा पहुंचाएगी खासतौर से गन्ना, मक्का, लोबिया, उड़द और मूंग vkfn blds vykok जिन लोगों ने गेहूं की कटाई के बाद बुवाई कर ली थी उनके लिए यह वर्षा अच्छी रहेगीA
दिन में भी छाए रहा अंधेरा उमड़ती रही घटाएं
पश्चिमी विक्षोभ के असर से मौसम ऐसा बदला की दिल्ली और एनसीआर के आसपास के क्षेत्रों में दिल में भी अंधेरा छाया रहा और रुक रुक कर आसमान में काली काली घटाएं उमड़ती रही, जो लोगों को जुलाई में होने वाली बारिश का एहसास करा गईA राष्ट्रीय राजधानी में पारा सामान्य से लगभग 14 डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे लुढ़क गया।
एक-दो दिन में न्यूनतम तापमान 19 से 20 डिग्री तक पहुंचने की संभावना O;Dr dh जा रही है मौसम विभाग ने दिल्ली तथा एनसीआर समेत उत्तर भारत में अगले 2 दिन अच्छी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
ऑरेंज अलर्ट के बीच हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में झमाझम बारिश हुई और कई जगहों पर बर्फबारी हुई जहां पर सैलानियों ने लुफ्त उठाया। वही पहाड़ी क्षेत्रों पर 7 मई तक मौसम खराब रहने की संभावना है लेकिन कुछ प्रदेशों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, दक्षिण कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान vkSj पश्चिमी हिमालय ds क्षेत्रों esa 3 मई तक बारिश व आंधी तूफान का दौर जारी रहने का पूर्वानुमान लगाया जा रहा हैA blds lEcU/k esa प्रोफ़ेसर आर. एस. सेंगर ने बताया खेतों में iM+s हुए गेहूं के xV~Bjksa dh ueh tc rd नमी पूरी ना खत्म हो जाए, तब तक कटाई नहीं करनी चाहिएA इस समय गेहूं के किसानों को जिनकी फसल अभी खेतों में खड़ी हुई थी mUgsa काफी नुकसान हुआ है।
हिमाचलप्रदेश के सुरम्य स्थल
हिमाचल प्रदेश का हिल स्टेशन बरोट प्रकृति प्रेमियों के लिए एक सुरम्य स्थान है, जहाँ हरी भरी वादियां, ऊँचें ऊँचें पहाड़ और सर्द हवा किसी का भी मन मोह लेती है। यहाँ की सर्पीली सड़कों पर घूमना, ट्रैकिंग, ग्लेशियरों को देखना हो या फिर स्वयं ही पकड़कर ट्राउट मछली को खाने का एक अद्भुत अनुभव मिलता हैं।
प्रदेश के मण्ड़ी जिले के एक छोर पर चौहार घाटों में बसे बरौट के स्थानीय व्यंजनों का स्वाद यहाँ की यात्रा को अविस्मरणीय बनाने के लिए काफी है।
बांध एवं ब्रिटिशकालीन विद्युत परियोजनाः बरोट समुद्र तल से 1,900 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ की ब्रिटिश कालीन शानन विद्युत परियोजना के अन्तर्गत ट्रॉली ट्रेन रेलवे लाईन का अन्तिम छोर भी बरोट के समीप ही स्थित है। इसके साथ ही ऊहल नदी पर बना बांध, शानन विद्युत परियोजना का रिजरवायर तथा ग्रेविटी पावर से निकलने वाला पानी भी यहाँ आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेता है, तो बरोट से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित करेरी झाील भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
राजगुंधा से बिलिंग तक का सफरः पर्यटक जब बरोट से बागे बढ़ते हैं तो बरोट से 26 किलोमीटर दूर स्थित राजगुंधा तक की यात्रा उन्हें रोमांच से भर देती है। राजगुंधा से बिलिंग तक की 14 किलोमीटर लम्बी से उनका रोमांच कई गुना बढ़ जाता है। घने जंगलों के बीच से गुजरती इस सड़क से गुजरते समय पक्षियों की चहचाहट भी पर्यटकों को रोमांच करने के लिए काफी है।
थमसर ग्लेशियर और बड़ा भंगाल भी यहाँ से दूर नही है। ऊहल नदि का उद््गम स्थल बड़ाग्रां बरोट से 22 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ के हरे भरे खेत खलिहान और वादियां भी पर्यटकों को अपनी ओर आर्षित करती हैं।
बरोट का ट्रैकिंग रूटः चौहार घाटी के सिल्हबुधाणी से कुल्लु के लिए वाया भुभु जोत और बरोट से चम्बा के लिए वाया छोटा बड़ा भंगाल ट्रैकिंग रूट है। बरोट, फुलाधार, धोघरधार और बधौणधार से होते हुए पर्यटक पराशर ऋषि मंदिर तक ट्रैकिंग कर सकते हैं।
स्थानीय व्यंजनों का लुफ्तः बरोट में लाल, पीला, काला और चितरा राजमाह होता है और इसका स्वाद भी बेमिसाल है। गुच्छी (पहाड़ पर स्थित घने जंगलों में प्राप्त होने वाली सब्जी) का मदरा एवं सिड्डू (गेहूँ के आटे तथा उड़द की दाल के मिश्रण से बना लोकप्रिय व्यंजन) का स्वाद भी पर्यटक अवश्य लेते हैं।
इसलिए स्पेशल है यह ट्राउटः
बरोट तक पहुँचने का मार्गः बरौट से निकटवर्ती हवाई अड्ड़ा गगल स्थित काँगड़ा में है, जहाँ से बरौट 113 किमी दूर है और यहाँ से बस अथवा टैक्सी के माध्यम से बरौट पहुँचा जा सकता है। चण्ड़गढ़ से बरौट 265 किमी दूर है, यदि आपको यहाँ ट्रेन से आना है तो पठानकोट के निकट चक्की बैंक स्टेशन पर उतरना होगा, जहाँ से बरौट 189 किलोमीटर है। पठानकोट से काँगड़ा घाटी तक चलने वाली ट्रेन से बरोट से 120 किमी दूर स्थित बैजनाथ तक आया जा सकता है। बरौट में लकड़ी से निर्मित एक ब्रिटिशकालीन विश्रामगृह भी है, जिसके लिए बुकिंग पीडब्ल्यूडी करता है और होटल एवं कैंम्पिग साइट्स भी उपलब्ध हैं।
ट्राउट की विशेषता
बड़ा भंगाल घाटी से बहने वाली ऊहल नदी के अन्दर ट्राउट मछली को पाया जाता है, जिसका स्वाद अन्य मछलियों से अलग होता है। बरोट में ट्राउट फार्म स्थित है जहाँ र्प्यटक स्वयं मछली को पकड़कर इसे खरीद सकते हैं। अनुमानित तौर पर तीन हजार टन वार्षिक तक यहाँ पर इन मछलियों की बिक्री की जाती है।
प्रोफेसर आर एस सेंगर, विभागाध्यक्ष एवं निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठA