पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण सुझाव

पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण सुझाव

डॉ0 आर. एस. सेंगर

एक जोड़ी कपड़े पर इस्त्री से 200 ग्राम कार्बन का उत्सर्जन होता है-

                                                                

‘‘बिना इस्त्री किए कपड़े पहनकर जलवायु परिवर्तन के खतरों से लड़ने का संदेश दे रहे वैज्ञानिक’’

भारतीय वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक अनोखी मुहिम शुरू की है। नई दिल्ली स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने अपने वैज्ञानिकों और अन्य कर्मचारियों को प्रत्येक सोमवार बिना इस्त्री वाले कपड़े - पहनकर कार्यालय में आने का आदेश दिया है।

‘‘रिंकल्स अच्छे है’’ टैगलाइन के साथ इस मुहिम को डब्ल्यूएएच सोमवार का नाम दिया गया है। इसके पीछे प्रमुख विचार यह है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक प्रतीकात्मक लड़ाई में लोगों को हर सोमवार को काम पर विना इस्त्री किए कपड़े पहनने के लिए कहा जाए।

सीएसआईआर की पहली महिला महानिदेशक डॉ. एन कलाईसेल्वी का कहना है कि डब्ल्यूएएच सोमवार एक बड़े ऊर्जा साक्षरता अभियान का हिस्सा है। सीएसआईआर ने सोमवार को बिना इस्त्री किए कपड़े पहनकर योगदान देने का फैसला किया है। यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि एक जोड़ी कपड़ों पर इस्त्री करने से 200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। इसलिए बिना इस्त्री किए हुए कपड़े पहनकर, कोई भी व्यक्ति 200 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोक सकता है।

रिकल्स अच्छे हैं, अभियान

‘‘डॉ. कलाईसेल्वी बताया कि ‘रिंकल्स अच्छे. हैं’ अभियान आगामी 15 मई तक स्वच्छता पखवाड़ा के हिस्से के रूप में शुरू किया है। केवल इतना ही नहीं ऊर्जा बचाने की अपनी बड़ी पहल के तहत देश भर की सभी प्रयोगशालाओं में बिजली की खपत को कम करने पर भी गम्भीरतापूर्वक काम किया जा रहा है। इसमें कार्यस्थल पर बिजली शुल्क में 10 प्रतिशत तक की कमी का प्रारंभिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रयोगशालाओं में 10 फीसदी बिजली की कटौती का लक्ष्य

                                                                     

‘‘ऊर्जा को बचाने के लिए अपनी बड़ी पहल के एक अहम हिस्से के रूप में सीएसआईआर देश भर की सभी प्रयोगशालाओं में बिजली की खपत को कम करने के लिए कुछ मानक संचालन प्रक्रियाओं को लागू कर रहा है। इसमें कार्यस्थल पर बिजली शुल्क में 10 प्रतिशत की कमी का प्रारंभिक लक्ष्य रखा गया है। इन में दिशा निर्देश को पायलट परीक्षण के रूप में जून- अगस्त 2024 के दौरान लागू किया जाएगा।

महानिदेशक डॉ. एन कलाईसेल्वी का कहना है कि यह धरती मां और अपने ग्रह को बचाने में सीएसआईआर का एक महत्वपूर्ण योगदान है। यही नहीं पृथ्वी दिवस पर सीएसआईआर ने अपने मुख्यालय में भारत की सबसे बड़ी जलवायु घड़ी का अनावरण भी किया। यह घड़ी जलवायु परिवर्तन और इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए लगाई गई।

                                                                 

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।