
सीओ-1800, गन्ने की नई प्रजाति का विकास Publish Date : 27/03/2025
सीओ-1800, गन्ने की नई प्रजाति का विकास
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) के गन्ना के गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र करनाल के द्वारा गन्ने की एक नई प्रजाति का विकास किया गया है। नई प्रजाति को चिन्हित करने के लिए आईडेंटिफिकेशन कमेटी के पास प्रस्ताव प्रेषित कर दिया गया है। नई की रिलीजिंग प्रक्रिया से सम्बन्धित औपचारिकताओं को शीघ्र ही पूर्ण कर लिया जाएगा। चालू वर्ष में ही इस प्रजाति का रिलीज प्रपोजल भेज दिया जाएगा और इसके बाद केन्द्रीय रिलीजिंग कमेटी की बैठक में इस प्रपोजल पर विचार किया जाएगा।
प्रजाति के रिलीज हो जाने के बाद ही इसके बीज को बढ़ाव दिया जाएगा। केन्द्र के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक के कार्यकाल के दौरान ही इस किस्म को विकसित करने के लिए अनुसंधान किया गया है। नई किस्म के ब्रीडर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 एम. आर. मीणा, प्रधान वैज्ञानिक डॉ0 रविन्द्र कुमार एवं डॉ0 पूजा हैं।
डॉ0 एम. आर. मीणा ने बताया कि यह एक अधिक उपज एवं अधिक चीनी उत्पादन करने वाली किस्म है, जो कि किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्व होगी और पुरानी किस्मों को रिप्लेस करेगी।
छेश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के लिए इस किस्म की अनुशंसा की जाएगी। इन क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड़, दिल्लीएन.सी.आर. और राजस्थान का भी कुछ हिस्सा शामिल है।
किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
आई.सी.ए.आर. के गन्ना प्रनन केन्द्र करनाल में आयोजित किया गया उत्तर प्रदेश के सिानों के लिए ‘‘उन्नत गन्ना उत्पादन तकनीकी’’ विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम अपने छठें दिन सम्पन्न हो गया।
लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान लखनऊ, इस प्रशिक्षण प्रोग्राम का प्रायोजक रहा। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, सम्भल, बुलंदशहर, शाहजहांपुर, गोंडा, हरदोई, शामली उवं पीलीभीत आदि जनपदों के किसानों ने गन्ना उत्पादन की तकनीकों के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त किया।
कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि गन्ने की खेती करने के लिए खेत की एक से सवा फुट गहराई तक की जुताई की जानी चाहिए। इसमें रोटावेटर का प्रयोग करना उचित नही होता है। इसका सघन कृषि प्रणाली से गन्ने की खेती पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
गन्ने की पंक्ति से पंक्ति के मध्य दूरी कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई दूरी के अनुसार ही रखनी चाहिए और मेड के समीप से खेत को बन्द नही करना चाहिए। ऐसा करने से वायु क्रॉस नही होती है। दूसरी बार बुवाई करने पर पहले की तुलना में लाईन की दूरी में कुछ अंतर कर देना उचित रहता है, इससे पूरे खेत में अपने आप ही अंतर बन जाता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।