निरंतर कम होती जा रही है अरंड़ी के बीज की खेती      Publish Date : 21/03/2025

       निरंतर कम होती जा रही है अरंड़ी के बीज की खेती

                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

देश में पारम्पारिक रूप से अरंड़ी के बीज की खेती भी की जाती रही, परन्तु चालू वर्ष 2024-25 के दौरान प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अरंड़ी के बीज की खेती में अपेक्षाकृत कमी दर्ज की गई है। इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर अरंड़ी के बीज की खेती में ओवरऑल 12 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है। देश में अरंड़ी के बीज उत्पादन पर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया (एसईए) की ओर से एग्रीवॉच के द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि वर्ष 2024-25 में अरंड़ी की कुल खेती में गिरावट देखी गई है, जिसका प्रमुख कारण इसके प्रमुख उत्पादक राज्यों के रकबे आई कमी रहा है। वर्तमान समय में अनुकूल मौसम के चलते अरंड़ी के उत्पादन में वृद्वि देखी गई है, हालांकि, यह बात अलग है कि भविष्य की उपज का अनुमान मौसम की स्थिति के आधार पर ही लगाया जा सकेगा।

                                              

सरकार के द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए भारत में अरंड़ी की खेती का कुल क्षेत्रफल 8.67 लाख हेक्टेयर तक होने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जो कि वर्ष 2023-24 के कुल रकबे 9.88 लाख हेक्टेयर से 12 प्रतिशत कम है। रिमोट सेंसिंग के अनुमान के अनुसार यह रकबा 8.59 लाख हेक्टेयर है। वहीं किसान सर्वेक्षण का अनुमान है कि अरंड़ी का कुल रकबा 8.60 लाख हेक्टेयर है। प्राप्त जानकरी के अनुसार अरंड़ी की राष्ट्रीय उपज उपज 2,101 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है, जो कि वर्ष 2023-24 की राष्ट्रीय उपज 1,999 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से 5 प्रतिशत अधिक वृद्वि को दर्शाता है। वहीं अरंड़ी का कुल राष्ट्रीय उत्पादन 18.75 जाख टन तक होने का अनुमान है, जो कि, वर्ष 2023-24 के राष्ट्रीय उत्पादन 19.75 लाख टन से 8 प्रतिशत कम हैं।    

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।