सर्दियों में मक्का की किस्में कम लागत में अच्छा उत्पादन      Publish Date : 28/11/2024

         सर्दियों में मक्का की किस्में कम लागत में अच्छा उत्पादन

                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

यह समय सर्दियों में मक्के की बुवाई के लिए आदर्श समय चल रहा है। किसान अधिक ठंड वाले इलाकों में मक्का जीके के 3150 हाइब्रिड और शालीमार मक्का हाइब्रिड 4 का बीज की बुवाई कर सकते हैं। मक्का की बुवाई के लिए 20-22 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जा सकता हैं। ऐसा करने से किसान लगभग 85-90 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में प्राप्त कर सकते हैं।

                                                                    

सर्दियों में मक्के की बुवाई करने की तैयारी में जुटे किसानों के लिए एक अच्छी खबर है।   हमारे कृषि एक्सपर्ट सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफसर राकेश सिंह सेंगर ने बंपर पैदावार हासिल करने के लिए कुछ टिप्स प्रदान किए हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अनुसार शीतकालीन मक्के की बुवाई 15 अक्टूबर के बाद से शुरू होती है और यह नवंबर के अंत तक की जाती है। इसलिए, किसानों के पास अभी भी लगभग एक सप्ताह का समय बचा हुआ है।

हमारे कृषि एक्सपर्ट ने मक्के की बुवाई से लेकर कटाई और कीट प्रबंधन आदि को लेकर भी किसानों को अपनी सलाह दी है। कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रोफेसर सेंगर ने बताया कि मक्का अनाज की मुख्य फसलों में से एक है। इसका उपयोग मानव आहार, पशुओं को खिलाने वाले दाने एवं भूसे के रूप में किया जाता है।

मक्के की खेती करने योग्य किस्में

                                                           

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने बताया कि रबी मौसम में मक्के की फसल से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस सीजन में मक्के की बुवाई के लिए खेत की मिट्टी का अच्छी तरह से तैयार करना बहुत जरूरी है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि आमतौर एक या दो बार खेत की जुताई करनी चाहिए। यदि भूमि में नमी की कमी हो, तो किसन खेत की पलेवा कर खेत को तैयार कर लें। रबी मक्का की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों है जिनका विवरण इस प्रकार से है-

संकर मक्का- एचक्यूपीएम-1, सीडटेक-2324, केएच-5991, अम्बर-पॉपकॉर्न, वीएल अम्बर पॉपकॉर्न, हरे भुट्टे के लिए मीठी मक्का (स्वीटकॉर्न), प्रिया स्वीटकॉर्न, माधुरी स्वीटकॉर्न और चारा के लिए मक्का अफ्रीकन टॉल, जे-1006 किस्मों की बुवाई इस समय किसान कर सकते हैं। वहीं, अधिक ठंड वाले क्षेत्रों में मक्का की बुवाई के लिए जीके 3150 हाइब्रिड और शालीमार मक्का हाइब्रिड 4 के बीज का भी उपयोग किया जा सकता है।

बीज जनित रोगों के उपचार के लिए उपाय

रबी सीजन में मक्का की बुवाई के लिए 20-22 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग किया जा सकता हैं। इससे लगभग 85-90 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो सकते हैं। वहीं  बुवाई के पूर्व बीज का शोधन करना भी बहुत आवश्यक है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंमी और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंमी रखना सुनिशित् करें।

बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को कार्वेन्डाजिम 50 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा अथवा थीरम 2.5 ग्राम मात्रा से प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके ही मक्के की बुवाई करनी चाहिए।

वहीं संकर मक्का के लिए 150 किग्रा. नाइट्रोजन, 75 किग्रा. फॉस्फोरस, 60 किग्रा. पोटाश और 40 किग्रा. सल्फर का प्रयोग करना उचित रहता है, जबकि, संकुल मक्का के लिए 120 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फॉस्फोरस, 40 किग्रा. पोटाश और सल्फर 30 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग किया जा सकता हैं।

मक्के की पहली निराई

                                                                  

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने बताया कि यदि आपके खेत की मिट्टी में जिंक की कमी हो तो बुआई करने से पहले 25 किग्रा. जिंक सल्फेट का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। मक्का की बुवाई के बाद पहली निराई-गुड़ाई का सही समय बुवाई के 20-25 दिन बाद का होता है। ऐसा करने से खेत में खरपतवार नहीं रहेंगे, इससे अधिक देरी करने की स्थिति में खरपतवार पोषक तत्वों का अवशोषण कर लेंगे और यह मक्का के पौधे को पनपने नहीं देंगे।

इसी तरह बुआई के 25-30 दिनों बाद पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। पौधे के लगभग घुटने तक की ऊंचाई के होने या बुआई के लगभग 30-35 दिनों बाद प्रति हेक्टेयर की दर से 87 किग्रा. यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर देनी चाहिए।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।