
गेहूं की यह किस्म, कम पानी और बंजर भूमियों पर अच्छा उत्पादन देती है Publish Date : 17/11/2024
गेहूं की यह किस्म, कम पानी और बंजर भूमियों पर अच्छा उत्पादन देती है
प्रोफसर आर. एस. सेंगर
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ0 आर. एस. सेंगर ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भाइयों को सलाह दी है कि किसान ऊसर भूमियों में गेहूं की बुवाई 20 नवंबर तक अवश्य कर लें।
आजकल रबी का सीजन के लिए फसल की बुवाई की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हमारे देश में गेहूं की बुवाई का समय 15 नवंबर से आरंभ होता है और इस फसल को रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल होने का दर्ज प्राप्त है। ऐसे में किसान अलग-अलग कई किस्मों की गेहूं खेती करते हैं। ऐसे में आज हम किसानों को गेहूं की एक ऐसी किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे किसान भाई ऊसर भूमि या बंजर जमीन पर भी उगाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम किसान भाइयों को सलाह दी है कि ऊसर भूमियों में गेहूं की बुवाई 20 नवंबर तक अवश्य कर लें और इस दौरान औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है तो उपज बेहतर होती है। डॉ0 सेंगर ने बताया कि ऊसर भूमि में लवण सहनशील गेहूं की प्रजातियां और नवीनतम तकनीकों का संयोजन करके किसानों को फसल उत्पादन में वृद्धि कर खाद्य सुरक्षा में योगदान करने का एक बेहतरीन अवसर प्राप्त होता है।
गेहूँ की बुवाई करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें किसान
डॉ0 सेंगर ने बताया कि ऊसर भूमि में बुवाई करते समय उचित नमी पर ही जुताई करें और जुताई के बाद बड़े ढेलों को तोड़कर उन्हें भुरभुरा कर लें जिससे कि मिट्टी में बीज का जमाव अच्छा हो सके। इसके साथ ही, मृदा परीक्षण के आधार पर प्रति हेक्टेयर 200 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग करना भी आवश्यक होता है। ऊसर भूमि में बीज का जमाव कम होता है इसलिए किसान भाई सामान्य से सवा गुना अधिक बीज का उपयोग करेंगे तो लाभ की स्थिति में रहेंगे।
कहने का अर्थ यह है कि प्रति हेक्टेयर 115 से 120 किलोग्राम बीज की मात्रा उत्तम मानी गई है। इसके अलावा, बीज का शोधन कार्बेंडाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करना चाहिए ताकि रोगों से सुरक्षा मिले और अंकुरण की दर भी बेहतर हो सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।