गेंहू की उन्नत वैराइटी Publish Date : 25/10/2024
गेंहू की उन्नत वैराइटी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
गेंहू की सबसे बेहतरीन किस्में, जो 80 से 90 क्विंटल तक उत्पादन प्रति हेक्टेयर देती हैं, जानें इनकी अवधि एवं पैदावार के बारे में विस्तार से हमारी इस रिपोर्ट में-
भारत में गेहूं की खेती एक प्रमुख कृषि गतिविधि है और किसानों के लिए बेहतर उपज प्राप्त करने के नए-नए तरीके नितप्रति खोजे जा रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के द्वारा इस वर्ष गेंहू की कई उन्नत किस्में विकसित की गई है। ऐसे में इन्हीं में से कुछ अच्छी किस्मों की जानकारी हम अपने इस आर्टिकल में देने जा रहे है। इन किस्मों की अधिकतम पैदावार क्षमता 80 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है।
ज्ञात हो कि किसानों के बीच भी गेंहूँ की यह किस्में काफी लोकप्रिय है। आइए जानते है कौन सी है गेंहू की यह नई किस्में, इनकी पैदावार, अवधि और विशेषताओं सहित अन्य सभी बाते।
1. एचडी-3388 किस्म
गेहूं की एचडी-3388 किस्म, सिंचित और समय से बोई जाने वाली एक उन्नत किस्म है। जिसकी पैदावार 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा इसकी फसल लगभग 125 दिनों में परिपक्व हो जाती है।
जारी की गई इस किस्म का हीट स्ट्रेस टॉलरेंस HSI 0-89 है। यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल (पहाड़ी इलाके को छोड़), ओडिशा और असम आदि के लिए बेहतर किस्म है।
2. पूसा गेंहू 3386 किस्म
पूसा गेंहू 3386 पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिविजन को छोड़), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिविजन को छोड़), जम्मू और कश्मीर) के हिस्से (कठुआ जिला), हिमाचल प्रदेश के हिस्से (ऊना जिला और पओन्ता वैली) और उत्तराखंड के तराई इलाके लिए उपयुक्त है।
यह किस्म 62.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने में सक्षम है। यह लीफ रस्ट और येलो रस्ट रोग के लिए प्रतिरोधी है। यह आयरन (41-1ppm) और जिंक (41-8ppm) से भरपूर किस्म है, इसकी फसल 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
3. एचडी 3410 किस्म
गेहूं की एचडी 3410 किस्म सिंचित और समय से पहले बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है। यह किस्म 65.91 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने में सक्षम है। यह 155 दिन में तैयार होने वाली किस्म है। इसमें 12.6 प्रतिशत अधिक प्रोटीन उपलब्ध होता है। यह किस्म मध्य प्रदेश और दिल्ली-हरियाणा के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान आदि के लिए बेहतर है।
4. डीबीडब्ल्यू 377 किस्म - करण बोल्ड
वर्ष 2024 के दौरान भारत के मध्य क्षेत्र में सिंचित परिस्थितियों में अगेती बुवाई के लिए ब्रेड गेहूं की किस्म करण बोल्ड (DSW-377) की सिफारिश की गई है। इन किस्मों का विमोचन एवं अधिसूचना केन्द्रीय उपसमिति द्वारा किया गया है।
इस किस्म की खेती के लिए अनुशंसित क्षेत्रों में छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग और राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग में उपज परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन देखा गया है। गेंहू डीबीडब्लयू 377 ने सिंचित शीघ्र बुआई स्थितियों के तहत उच्च उपज क्षमता (86.4 क्विंटल/हेक्टेयर) दर्ज की गई है। यदि बात करें इसकी परिपक्वता की अवधि की तो गेंहू डीबीडब्लयू 377 किस्म 124 दिन में पककर तैयार हो जाती है एवं इसके पौधों की हाइट 87 सेमी तक की होती है।
गेंहू डीबीडब्लयू 377 पत्ती और तने के जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी किस्म है। एपीआर अध्ययनों के तहत, इसने गेहूं की प्रमुख प्रजातियों भूरा रतुआ और तना रतुआ रोग के प्रति प्रतिरोध दिखाया है।
जीन अभिधारणा ने भूरे रतुआ के लिए जीन संयोजन Lr23+1+ और काले रतुआ के लिए R का संकेत दिया। डीबीडब्ल्यू 377 गेहूं किस्म ब्लास्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी है (इसका औसत स्कोर 10.0) और इसने करनाल बंट के प्रति बेहतर प्रतिरोध प्रदर्शित किया है।
5. एचआई 1665 - पूसा हर्षा
गेंहू एचआई 1655 एचआई-1665 समय से बोई जाने वाली और सीमित सिंचाई वाली एक खास किस्म है। इसकी उत्पादन क्षमता 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म की फसल लगभग 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
गेंहूँ की यह किस्म गर्मी और सूखा के प्रति सहिष्णु है। यह किस्म लीफ और स्टेम रस्ट प्रतिरोधी है। इसके दाने बेहतर क्वालिटी के होते हैं। यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस चमत्कारी किस्म हर्षा (एच. आई. 1655) एक मध्यम ऊँचाई जो कि लगभग 90-95 से.मी. अर्थात लोक-1 के लगभग बराबर होती है।
इस कारण इस किस्म की कम ऊँचाई व इसकी काड़ी कड़क होने से हवा चलने या वर्षा की स्थिति में इसके गिरने (लाजिंग) की संभावना कम रहती है, जिसके कारण कृषकों को उत्पादन व गुणवत्ता खराब होने के कारण होने वाले नुकसान की आशंका शरबती किस्म होने के बाद भी इसमें कम रहती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।