
गेहूं की नवीन एवं प्रचलित किस्में और उनकी विशेषताएं Publish Date : 23/10/2024
गेहूं की नवीन एवं प्रचलित किस्में और उनकी विशेषताएं
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
गेहूं की नवीन एवं प्रचलित किस्मों के अनुसार सिंचाई की आवश्यकता के साथ पैदावार के संबंध में पूरी जानकारी-
इस वर्ष मानसून के लेट विदाई होने के कारण खरीफ फसलों की कटाई में देरी हो रही है। हालांकि, खरीफ फसलों की कटाई के पश्चात रबी सीजन के लिए जुताई एवं बुवाई का कार्य आरम्भ किया जाता है। खरीफ फसलों की कटाई में देरी होन के चलते रबी फसलों की बुवाई में भी देरी होने की आशंका बढ़ रही है।
रबी के सीजन में सबसे अधिक गेहूं की फसल की खेती की जाती है और इसी कारण से अधिकतर किसान अब गेहूं के बीज की व्यवस्था करने में लग हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान गेहूं की कई वैरायटियां विकसित की गई है। अलग-अलग क्षेत्र में भूमि, जलवायु, सिंचाई की व्यवस्था को देखते हुए लगभग यह सभी वैरायटियां काफी अच्छी मानी जा रही है।
लेकिन इनमें से कुछ वैरायटीज जो कि लगभग सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है, इन किस्मों से किसानों को अच्छा उत्पादन भी प्राप्त हो रहा है।
आज किसान जागरण डॉट कॉम के इस लेख में अनुशंसित गेहूं की प्रचलित वैरियटयों के साथ-साथ नवीनतम वैरियटयों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है इसके साथ यह भी बताया गया है कि कौन सी वेराइटी, कितनी सिंचाई में कितना उत्पादन देने में सक्षम है। अतः आप सभी भाईयों से अनुरोध है कि पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यान पूर्वक अंत तक गम्भीरता के साथ पढ़े।
गेहूं की नवीनतम किस्में
पिछले वर्ष एवं इस वर्ष विकसित की गई गेहूं की प्रमुख नवीनतम वैरायटीज में एच आई 1650 (पूसा ओजस्वी), एच आई 8830 (पूसा कीर्ति), एच आई 1655 (पूसा हर्षा) एवं एचडी 3385 आदि प्रमुख रूप से वर्णित की गई है।
विभिन्न क्षेत्रों के किसानों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार इन भी वैरायटिज में से एच आई 1650 पूसा ओजस्वी ने पिछले वर्ष सर्वाधिक पैदावार प्रदान की थी। इस सम्बन्ध में बताया गया कि प्रति बीघा 17 क्विंटल तक का उत्पादन एचआई-1650 किस्म से प्राप्त किया गया है।
इसके साथ ही पूसा कीर्ति एचआई-.8830 वैरायटी ने भी किसानों को अच्छी उपज दी है। इसका उत्पादन भी पिछले वर्ष 16 क्विंटल प्रति बीघा तक दर्ज किया गया। गेहूं की लेटेस्ट वैरायटीीज में एचआई-1655 एवं 3385 है, जो कम पानी में पकने वाली बेहतरीन किस्में है, यह किस्म दो सिंचाई में भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम है।
कौन सी वैरायटी कितनी सिंचाई में कितना उत्पादन देगी
एचआई-1650 (पूसा ओजस्वी):- गेहूं की इस वैरायटी ने पिछले वर्ष विपरीत परिस्थितियों के दौरान भी अच्छी पैदावार दी थी। इसलिए इस वर्ष भी इस वैरायटी की जबरदस्त डिमांड बनी हुई है। इस किस्म का अधिकतम उत्पादन आदर्श परिस्थिति में लगभग 73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, परन्तु व्यवहारिक रूप से कुछ किसानों द्वारा इस किस्म का चमत्कारी उत्पादन 17 क्विंटल बीघा तक भी लिया गया है।
गेहूँ की बॉयो फोर्टीफाईड किस्म एच.आई.-1650 (पूसा ओजस्वी):- देश के मध्य क्षेत्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड क्षेत्र हेतु समय पर बोनी हेतु चपाती, ब्रेड, बिस्किट के लिये उपयुक्त यह प्रजाति अभी हाल ही में जारी की गई है।
एचआई-8830:- गेहूं की इस किस्म से किसानों के द्वारा 3 से 4 सिंचाई में भी व्यवाहरिक रूप गतवर्ष के विपरीत मौसम एवं अधिक तापमान की परिस्थिति में भी लगभग 17 क्विंटल प्रति बीघा तक का उत्पादन किया गया है।
इस किस्म की बीज दर 113 किलो हेक्टेयर या लगभग 45 किलो प्रति एकड़ है। गेहूं की इस किस्म की बोवनी 20 अक्टूबर से 25 नवंबर से पूर्व समय पर कर सकते हैं। आदर्श परिस्थितियों में यह किस्म 4 से 6 सिंचाई के दौरान 15 से 18 क्विंटल प्रति बीघा तक का उत्पादन देने में सक्षम है।
एचआई-1655:- गेहूं की इस किस्म की अवधि सुजाता या अन्य शरबती किस्मों से कम है, यानि यह मात्र लगभग 115 से 120 दिवस है। जबकि इसकी अधिकतम उत्पादन क्षमता लगभग 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा व्यवहारिक परिस्थितियों में कुछ किसानों द्वारा इस किस्म का सर्वाधिक उत्पादन लगभग 13-14 क्विंटल प्रति बीघा तक का लिया गया है। यह उत्पादन शरबती किस्मों में सर्वाधिक है। सामान्य परिस्थितियों में गेहूं की यह वैरायटी 1 से 2 सिंचाई में 8 से 10 क्विंटल प्रति बीघा का उत्पादन देती है।
लोक 1:- भारत में सर्वाधिक क्षेत्र में व सर्वाधिक लोकप्रिय गेहूँ की किस्म लोक- 1 है। इसे मध्य क्षेत्र में बोनी हेतु इसे भारत सरकार द्वारा इसे प्रसारित किया गया। इसकी उत्पादकता 30-40 क्विंटल हेक्टेयर है।
व्यावहारिक परिस्थितियों में इस किस्म में 70-75 क्विंटल हेक्टेयर तक भी अविश्वसनीय किंतु सत्य उत्पादन दिया है। 4 से 5 सिंचाई व 100 से 125 किलो हेक्टेअर बीज रखने पर यह वैरायटी आदर्श परिणाम देती है।
गेहूँ- एच. आई.-1544 (पूर्णा):- म.प्र. छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात के किसानों के उत्थान हेतु कम से कम समय 110/115 दिवस में, कम सिंचाई से अधिकतम उत्पादन देने वाली किस्म है। सामान्य परिस्थितियों के दौरान पूर्ण गेहूं की वैरायटी तीन से चार पानी देने पर 10 से 13 क्विंटल प्रति बीघा तक की पैदावार देने में सक्षम है।
गेहूँ-सी- 306:- सूखा निरोधक किस्म होने के कारण यह कम से कम पानी/सिंचाई की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती है। इसकी उत्पादकता 25-30 क्विंटल हेम्टेयर है। बीजदर लगभग 100 किलो हेक्टेअर व 1 से 2 सिंचाई पर अच्छे परिणाम।
पूसा अहिल्या एचआईवी-1634:- यह वैरायटी तीन से पांच पानी में 12 से 15 क्विंटल प्रति बीघा तक उत्पादन देती है। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ आदर्श किस्म के रूप में म.प्र., राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झाँसी क्षेत्र देश के मध्यक्षेत्र में बोवनी हेतु अनुंशसित की गई है।
जीडब्ल्यू-513:- गेहूं के यह वैरायटी 4 से 5 सिंचाई के दौरान 12 से 16 क्विंटल प्रति बीघा तक का उत्पादन देने में सक्षम है। इस किस्म का अंकुरण व टिलरिंग अधिक होने से इसका बीज भी कम लगता है।
इस किस्म की बीज दर 40 से 45 किलो प्रति एकड़ या 100 किलो हेक्टेयर पर्याप्त है। इस किस्म का उत्पादन लगभग 77.80 क्विंटल हेक्टेयर प्राप्त हुआ है। किंतु व्यवहारिक रूप से किसानों द्वारा इसे 85 क्विंटल हेक्टेयर अधिक बताया गया है।
जीडब्ल्यू-322:- जीडब्ल्यू-322 गेहूं की वैरायटी में 5 से 6 सिंचाई से 15 से 16 क्विंटल प्रति बीघा की पैदावार होती है।
एच. आई.-8759 (पूसा तेजस):- गेहूँ की इस किस्म की अवधि लगभग 115 से 120 दिवस है। 3-5 सिंचाई देने पर आदर्श परिणाम के रूप में व्यावहारिक रूप से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा उत्पादन किसानों द्वारा लिया गया है।
एच. आई. 1636 (पूसा बकुला):- गेहूँ की यह किस्म पूसा बकुला को समय पर बुआई करने के लिये देश के मध्य क्षेत्र म.प्र., गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं बुंदेलखंण्ड क्षेत्र के लिये अनुशंसित है।
व्यवहारिक परिस्थितियों में इस किस्म का बम्पर उत्पादन किसानों द्वारा 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक लिया गया है। इस किस्म की परिपक्वता की अवधि लगभग 122 दिवस है।
गेहूँ की इस किस्म की बीज दर 55 किलो प्रति एकड़ या 135 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है । इस वैरायटी के लिए चार से पांच सिंचाई की आवश्यकता रहती है।
एच. आई. -8663 (पोषण):- गेहूँ की इस किस्म की बीज दर 45/50 किलो एकड़, 4 से 5 सिंचाई व 10 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक बुवाई करने पर लगभग 70 से 75 क्विंटल हेक्टेयर तक उत्पादन की प्राप्ति होती है।
एच. आई. -8713 ( पूसा मंगल):- पूसा के सहयोगी संस्थान गेहूँ अनुसंधान केन्द्र इंदौर से जारी कठिया (ड्यूरम) गेहूँ की यह नवीनतम किस्म गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ वाले मध्य क्षेत्र हेतु अनुशंसित है।
गेहूँ की यह किस्म अधिकतम तीन से चार सिंचाई देने पर लगभग 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उत्पादन देने मैं सक्षम है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि लगभग 125 दिवस है।
गेहूँ- एच. आई. 8777:- गेहूँ की यह कठिया ड्यूरम किस्म का उत्पादन 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक लिया गया है। यह किस्म अतिशीघ्र अपनी कुछ अलग विशेषताओं के कारण मालव कीर्ति किस्म के विकल्प के रूप में शीघ्र लोकप्रिय हो जाएगी।
एच.डी.- 4728 (पूसा मालवी):- गेहूँ की यह नवीनतम कठिया किस्म की अवधि लगभग 120 दिवस है। गेहूं की यह किस्म में रस्ट, कर्नाल बंट एवं अन्य कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता व सर्वगुण सम्पन्न है।
इसमें सिंचाई की आवश्यकता इस किस्म के लिए सिंचाई की आवश्यकता 4 से 6 है। आदर्श परिस्थितियों में इसका उत्पादन 14 से 16 क्विंटल प्रति बीघा तक है।
गेहूं प्रधान:- गेहूं की यह वैरायटी 5 से 6 सिंचाई में 15 से 16 क्विंटल तक (प्रति बीघा) की पैदावार देती है।
एचडी 3385:- इस वर्ष रिलीज हुई इस वैरायटी का बीज फिलहाल बाजार में इतना उपलब्ध नहीं है। कई जगह नकली बीज बेचा जा रहा है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता चपाती वाले गेहूँ में सर्वाधिक देखी गई है, जो कि अधिकतम लगभग 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर किंतु व्यवहारिक रूप से किसानों के द्वारा 80 क्विंटल हेक्टेयर से भी अधिक उत्पादन लिया गया है।
इस किस्म में जबरदस्त टिलरिंग बहुत अच्छी अंकुरण क्षमता के कारण बीज दर मात्र 20-25 किलो एकड़ या लगभग 80 किलो हेक्टेयर है। इस वैरायटी में सिंचाई 4-5 की आवश्यकता रहती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।