भारतीय किसान को बरबाद करते नकली बीज एवं नकली कीटनाशक

     भारतीय किसान को बरबाद करते नकली बीज एवं नकली कीटनाशक

                                                                                                                                                                         डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                                                     

हिंदुस्तान में किसानों पर जोर दिया जाता है कि वह जैविक खेती करें, लेकिन दूसरी तरफ किसानों को कैमीकल फर्टिलाइजर्स का उपयोग करने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है। हिंदुस्तान के किसान हर साल अपनी सालाना फसलों यानि रबी, खरीफ और जायद सीजन की फसलों की खेती से बेहतर पैदावार लेने के लिए उर्वरक, खादों, अच्छे बीजों और कीटनाशकों पर काफी ज्यादा पैसा खर्च करते हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त हो सके और वो हर साल के खेती में होने वाले घाटे से किसी तरह उबर सकें।

                                                                            

इसके चलते किसान ये तीनों चीजें उसी कंपनी की लेते हैं, जिन्हें मार्केट में अच्छा कहा जाता है, लेकिन अब किसानों के साथ खाद, बीज और खासतौर पर कीटनाशक बनाने वाली कई कंपनियां ही धोखा कर रही हैं।

दरअसल किसानों को खेती के लिए ये तीनों ही चीजें यानि खाद, बीज और कीटनाशक उपलब्ध कराने के लिए हिंदुस्तान भर में करीब 10 हजार कंपनियां काम कर रही हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसानों की फसलें नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशकों के कारण हर साल बर्बाद होती हैं। बुवाई से पहले किसानों को ज्यादा पैदावार का वादा करके ये कंपनियां उन्हें अच्छी गुणवत्ता के नाम पर जो फर्टिलाइजर बीज, खाद और कीटनाशक बेचती हैं, उनमें ज्यादातर नकली होते हैं, जिसके चलते फसलों की पैदावार बेहद कम होती है। इससे किसानों को न सिर्फ तगड़ा झटका लगता है, बल्कि वो घाटे और कर्ज से उबर ही नहीं पाते हैं।

हैरत की बात है कि सरकारें इस मामले में कोई कदम इन कंपनियों के खिलाफ नहीं उठातीं, जिसके चलते हर साल लाखों किसान ऐसी ठगी का शिकार होते रहते हैं। खबरों की मानें तो पूरे देश में ऐसी ही कंपनियों का खेला चल रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशक के ज्यादा मामले सामने आते ही रहते हैं। हालांकि यह पहली बार हुआ है कि किसानों की इसी परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस बार नकली कीटनाशक बनाने से रोकने के लिए करीब 7 हजार ज्यादा कंपनियों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिए हैं।

केंद्र सरकार का यह कदम काफी सराहनीय है, लेकिन सवाल ये है कि क्या देश में नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशक का खेल खत्म हो जाएगा ? मुझे नहीं लगता, क्योंकि ऐसी कंपनियों के मालिक बड़े पूंजीपति हैं और उनके संबंध राजनीतिक लोगों से भी होते हैं। बल्कि कई कंपनियों में अगर राजनीतिक लोगों का शेयर हो, तो भी कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि आजकल तो राजनीति में आनेवाले लोग बाकायदा बिजनेस भी करते हैं और टेंडर लेकर कमीशन से लेकर सारे गोरखधंधे के पैसे से अपनी तिजोरियां भरते रहते हैं।

बहरहाल, सरकार को विचार करना होगा कि किसानों को किस प्रकार से नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशक से बचाया जा सकता है? क्योंकि एक जानकारी के अनुसार, देश में तकरीबन 30 फीसदी कीटनाशक नकली बिक रहे हैं। इस नकली कीटनाशक के चलते न सिर्फ हर राज्य के किसानों को बीमारियों से अपनी फसलें बचाना मुश्किल होता है, बल्कि उनको मेहनत की गाढ़ी कमाई चंद मिनटों में दुकानदार से लेकर कंपनी तक चली जाती है। कीटनाशक महंगी भी इतनी होती हैं, कि किसानों को एक-दो लीटर कीटनाशक लेने के लिए भी सौ बार सोचना पड़ता है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने वर्ष 2015 में एक अध्ययन किया था, जिसमें पाया गया कि देश में कीटनाशकों की कुल मात्रा का 30 फीसदी नकली बिक रहा है।

हैरत की बात है कि यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है।

                                                                      

ज्यादातर नकली कीटनाशकों की जानकारी लेने पर देखा गया है कि नकली कीटनाशक बेचने वाले माफिया पहले असली कीटनाशक बाजार से खरीदते हैं, फिर उस कीटनाशक के 10-10 गुना कीटनाशक बनाकर उसी पैकेजिंग में किसानों तक पहुंचा देते हैं। कुछ माफिया तो पूरी तरह ही कीटनाशकों के डुप्लीकेट बेच रहे हैं। कुछ कंपनियों पर भी नकली कीटनाशक बेचने के आरोप लगते रहे हैं। नकली कीटनाशक बेचने वाले कुछ माफिया और कंपनियां किसानों को थोड़ी सी छूट दे देते हैं, जिसके चक्कर में पहले से तंगहाली से गुजर रहे सीधे-सादे किसान फंस जाते हैं। कम कीमत के झांसे में किसान या कई बार तो महंगे कीटनाशक ही खरीदते हैं, और फंस जाते हैं। इस प्रकार से नकली कीटनाशकों का उपयोग करके न सिर्फ किसान अपने पैसे की बबाद कर लेते हैं, बल्कि फसलों में भी नुकसान उठाते हैं।

बहरहाल, केंद्र सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए सख्त नियम बनाए हैं। क्योंकि समझदार और पढ़े-लिखे किसानों की तरफ से लगातार इस बात की शिकायतें आ रही थीं कि बाजार में नकली बीज, नकली खाद और नकली कीटनाशकों की भरमार है। जिन्हें इस्तेमाल करने पर भी न तो गुणवत्तापूर्ण कोई फसल मिल रही है और न ही फसलों से अच्छी पैदावार मिल पा रही है। इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए केवाईसी का नियम बनाया है। अब कीटनाशक कंपनियों को अपनी केवाईसी करानी होगी, जिससे सरकार के पास प्रत्येक कंपनी का डेटा आ जाएगा और शिकायत मिलने पर उस कंपनी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होगी। इसके अलावा उसके नकली खाद, नकली बीजों और नकली कीटनाशकों की बिक्री पर भी रोक लगेगी।

दरअसल, दवा कंपनियों को सेंट्रल इंसेक्टीसाइड्स बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी (सीआईबीआरसी) से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो चुका है, वर्ना वो दवा का व्यापार नहीं कर सकेंगी। अगर कोई कंपनी ये रजिस्ट्रेशन नही कराती है, तो उसके दवा कारोबार को अवैध माना जाएगा और वो बाजार में वैध रूप से अपनी दवाएं नहीं बेच सकेगी। सरकार के द्वारा इसमें केवाईसी का नियम भी जोड़ दिया गया है, जिसके तहत कंपनी के केवाईसी न कराए जाने पर उसका पंजीकरण रद्द हो जाएगा। इस मामले में तेजी से अब कार्रवाई शुरू हो गई है। मीडिया में छपी खबरों की मानें, तो केवाईसी न कराने वाली करीब 7 हजार से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हो चुका है।

                                                                   

अब देश में महज 2 हजार 5 सौ 84 कंपनियां ही ऐसी बची हैं, जो केवाईसी नियमों का पालन कर रही हैं। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, केवाईसी में फेल कंपनियां किसी भी हाल में बच नहीं सकेंगी और न ही वो अपना प्रोडक्ट बेच सकेंगी। हालांकि जब ये सभी कंपनियां या इनमें से जो कंपनियां अपना केवाईसी करा लेंगी, तो उनका रजिस्ट्रेशन फिर से बहाल हो जाएगा।

बहरहाल यदि हम कुछ दशकों पूर्व तक की बात करें तो उस समय लगभग सभी किसान पशु पालन किया करते थे और पशुओं के गोबर से लेकर सब्जिायों के छिलकों और फसल के अवशेषों तक से खाद को वे स्वयं ही तैयार किया करते थे, परन्तु जैसे ही किसानों को उनकी पैदावार बढ़ाने का लालच देकर फर्टिलाइजर्स के नाम पर खाद, बीज एवं कीटनाशक आदि दिए जाने लगे। उासके बाद से न केवल बीमारियां बढ़ने लगी अपितु किसान को अब खेती महंगी भी पड़ रही है। अब पिछले कुछ वर्षों से तो हालत यह है कि आज बाजार में असली से अधिक मात्रा में नकली खाद, बीज एवं कीटनाशक बेचे जा रहे हैं।

                                                                          

ऐसे में जिन किसानों को जानकारी है वह इन्हें खरीदने से बच जाते हैं, हालाकि यह भी अपने आप में एक निष्ठुर सत्य है कि अधिकांश किसान इस बारें में कोई जानकारी ही नही रखते हैं और असली के चक्कर में नकली खाद, बीज और कीटनाशक आदि खरीद लेते हैं और इससे उन्हें प्रत्येक वर्ष तगड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है। देखा जाए तो सरकार तो अपना काम कर ही रही है, लेकिन किसानों के जागरूक होने की आवश्यकता भी उतनी ही है। जागरूक किसान इस नकली व्यवसाय की ठगी से तो बच ही सकेंगे साथ ही वे अपनी फसलों में होने वाले नुकसान से भी बच सकेंगे।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।