सब्जी फसलों के मूल्यवर्धन एवं निर्यात में वृद्वि      Publish Date : 09/02/2025

              सब्जी फसलों के मूल्यवर्धन एवं निर्यात में वृद्वि

सब्जियों के उत्पादन के मामले में विश्व में भारत को दूसरा स्थान प्राप्त होने के उपरांत भी सब्जियों के निर्यात में भारत 14वें स्थान पर आता है। नई निर्यात नीति के तहत मुख्य रूप से आरोग्य एवं स्वास्थ्य वर्धक पोषण युक्त आहार के सन्दर्भ में ब्राँड इंडिया को क्रमानुसार एक अभियान के रूप में सरकार के द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2018-19 में भी यह कहा गया है कि उचित दिशा-निर्देशों के अभाव मैं कीटनाशकों का अविवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग करने के कारण भारत की सब्जियों में कीटनाशकों के अवशेष पाए जाते रहें हैं।

भारत की जनसंख्या वृद्वि के साथ ही कृषि योग्य भूमिक का लगातार कम होता आकार और भूमि में पोषक तत्वों की कमी होने के चलते यह स्थिति भारत के समक्ष एक गम्भीर समस्या के रूप में उभरकर समाने आई है। ऐसे में लोगों को सब्जियों में कीट-प्रबन्धन के संदर्भ में कृत्रिम बुद्विमतता की ओर अधिक रचनात्मकता के कुशलता प्राप्त करने की आवश्यकता है, क्योंकि इस प्रकार से कीटनाशकों का उपयोग कम करने में सहायता प्राप्त होती है।

कृत्रिम बुद्विमतता के अंतर्गत कम भूमि का उपयोग कर अधिक और सुरक्षित सब्जी की फसल की उपज और उत्पादकता को बढ़ाकर देश की पोषण व्यवस्था को सुनिश्चित् किया जा सकना सम्भव हो सकता है। इसके साथ ही सब्जियों का निर्यात कर विदेशी मुद्रा प्राप्त कर देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है।

भारत में व्यापक रूप से किए गए कृषि सुधारों के उपरांत आज भी देश मानसून की अनिश्चिताओं की समस्याओं के साथ जूझ रहा है। इसके सम्बन्ध में कृत्रिम बुद्विमतता जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुररक्षा जैसी समस्याओं के बीच कीट-प्रबन्धन कर सब्जी फसलों की उत्पादकता और उनके मूल्यवर्धन में सहायता कर सकती है।

वर्तमान समय में भारतीय कृषि में कीट प्रबन्धन की इस प्रक्रिया से किसानों की आय और कृषि उत्पादकता में वृद्वि के साथ ही कृषि लागत में कमी लाने में भी कृत्रिम बुद्विमतता के सर्वोत्कृष्ट परिणाम देने की सम्भावना हैं।