मानसून के अनुकूल होने से इस बार खरीफ फसलों के उत्पादन में होगी बढ़ोतरी Publish Date : 15/07/2023
मानसून के अनुकूल होने से इस बार खरीफ फसलों के उत्पादन में होगी बढ़ोतरी
वैसे तो इस बार अच्छे मानसून होने के कारण कई शहरी इलाकों के साथ-साथ नदियों के आसपास के क्षेत्रों में जल भराव या बाढ़ के हालात दुखद ही नहीं बल्कि चिंताजनक भी बने हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश के चलते मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
यदि हम दिल्ली की बात करते हैं तो वहां वर्ष 1978 के बाद इस तरह का मंजर नजर आ रहा है यह सब ग्लोबल वार्मिंग के चलते हो रहा है शहरों में अतिरिक्त जल की निकासी ना होने के कारण इस तरह के मंजर देखने को मिलते हैं। हम सभी लोगों को सोचना होगा कि क्या अतिरिक्त जल की निकासी का कोई तंत्र विकसित हो सकता है अगर हो सकता है तो फिर अभी तक क्यों विकसित नहीं हुआ है यह एक विचारणीय प्रश्न है।
समय रहते हम लोगों को जल प्रबंधन करने की आवश्यकता है यदि समय पर जल प्रबंधन हेतु कदम उठा लिया जाए, तो शायद इस तरह की बाढ़ जैसी स्थिति हमको देखने को ना मिले।
वहीं दूसरी ओर किसानों के खेत खलियान में इस बार का यह मानसून अनुकूल होने के चलते खुशहाली लेकर आया है और अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार का खरीफ फसलों का उत्पादन अच्छा होगा।
उत्तर प्रदेश में मानसून के पूरी तरह से सक्रिय होने से शहरी क्षेत्रों में भले ही जनजीवन अस्त व्यस्त दिखाई दे रहा हो, लेकिन किसानों को यह बारिश काफी राहत देने वाली है लगातार बारिश से धान समेत अन्य फसलों की खेती की स्थिति बेहतर दिखाई दे रही है। राज में विभिन्न फसलों का आच्छादन 28.12 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है जो कि इस वर्ष के लिए तय लक्ष्य 96.2 0 लाख हेक्टेयर का करीब 31% है।
यह आंकड़ा 7 जुलाई का है इसके बाद बीते 1 सप्ताह में और लगातार स्थिति में सुधार हुआ है और किसानों ने धान की अधिक से अधिक रोपाई पूर्व खेतों में कर डाली है। प्रदेश में इस वर्ष 58.50 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके सापेक्ष 7 जुलाई के करीब 1800000 हेक्टेयर में रोपाई का कार्य किया जा चुका था। गत वर्ष समान अवधि तक 16.20 लाख हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हो सकी थी धान के अलावा किसानों ने अपने खेतों में मक्का, ज्वार, बाजरा, उर्दू, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन और तिल की खेती की स्थिति में बेहतर सुधार दिखाई पड़ रहा है।
इस समय जो किसान भाई धान की रोपाई अपने खेतों में कर रहे हैं, उनको चाहिए कि वह रोपाई वाले खेतों में 1 फुट ऊंची मेड बनाने और खेत की तैयारी के समय 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट डालने का प्रयास करें। जो पौधे मर गए हैं वहां पर नर्सरी से लाकर उसी प्रजाति के दूसरे पौधों की रोपाई कर जिससे पौधे से पौधे और लाइन से लाइन की दूरी ठीक बनी रहे और खेत बीच-बीच में खाली ना रहे।
इस बात का किसान भाइयों को विशेष ध्यान रखना है यदि खेत में पौध संख्या कम हो गई है तो उत्पादन प्रभावित होगा इसलिए किसान भाइयों को चाहिए बारिश के कारण यदि खेत में पौधे मरे हैं तो उन जगह नर्सरी से लाकर नए पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए। यदि ऐसा करते हैं तो उनको अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा यह कार्य किसी भी फसल में वह कर सकते हैं, जो भी फसल वह अपनी खरीद की ले रहे हैं उसमें यदि पौधे मरे हैं तो वह रोपाई के द्वारा बाजरा, ज्वार, मूंगफली, सोयाबीन को लगा सकते हैं।