उच्च शिक्षा से वृद्वावस्था में सोचनें समझनें की क्षमता बेहतर होती है      Publish Date : 11/05/2023

                                                               उच्च शिक्षा से वृद्वावस्था में  सोचनें समझनें की क्षमता होती है, बेहतर

                                                                                                                                                        डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

एक अच्छी शिक्षा बच्चों को समाज में एक जागरूक नागरिक बनाने और उनके सफल जीवन का एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। अब शोधकर्ताओं ने भी इस धारणा को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करते हुए अपने एक नए अध्ययनसस में पाया है कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मानव के जीवन में प्रभावशाली असर देती हैं। यह  आपके जीवन के उत्तरार्ध संज्ञानात्मक अर्थात सोचनें-समझनें की क्षमता को उत्तम बनाये रखती है। 

     शोधकर्ताओं के द्वारा यह अध्ययन अभी समय पूर्व अल्जाइमर्स एण्ड डिमेशियाः डायग्नोसिस, एसेसमेंट एण्ड डिजीज नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस शोध के वरिष्ठ लेखक एवं कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के वेजेलस कॉलेज में न्यूरोसाइकोलॉजी के प्रोफेसर जेनीफर मेन्ली ने बताया कि हमार अध्ययन उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा एवं जीवन के उत्तरार्घ में सोचन-समझनेकी क्षमता के बीच एक सम्बन्ध स्थापित करने में सफल रहा है।         

टाइप टू डायबिटीज में अच्छी तरह चबाकर खाने से मिलती है राहत

टाइप 2 डायबिटीज को लेकर एक नई जानकारी वैज्ञानिकों द्वारा सामने लाई गई है। अमेरिका की शोध टीम ने अपने नए अध्ययन में पता लगाया है कि यदि भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाया जाए तो टाइप टू डायबिटीज के मरीजों के रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इसलिए शोधकर्ताओं ने डॉक्टरों को अपने मरीजों के दांतों की जांच करने की सलाह दी है।

अमेरिका के बफैलो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन पिछले महीने प्लस वन में प्रकाशित हुआ है। शोध का नेतृत्व करने वाले इक्रान यूपी स्कूल आफ डेंटल मेडिसिन विभाग में क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं। शोध के लिए 94 टाइप टू डायबिटीज मरीजों के डाटा को तुर्की के इस्तांबुल के अस्पताल में आउटपेशेंट क्लीनिक में परीक्षण किया गया और पाया गया कि जो मरीज अच्छी तरह से चबाकर खाने को खाते हैं तो उनमें डायबिटीज की कमी होती है और वह नियंत्रित हो सकती है।         

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में प्रोफेसर एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष हैं तथा लेख में प्रस्तुत विचार उनके स्वयं के हैं ।