गन्ने के टॉप बोरर (चोटी बेधक) कीट का प्रभावी नियंत्रण

                           गन्ने के टॉप बोरर (चोटी बेधक) कीट का प्रभावी नियंत्रण

उ.प्र. गन्ना शोध परिषद के निदेशक श्री वी.के. शुक्ल ने बताया कि वर्तमान में कुछ चीनी मिलों के क्षेत्र में गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट की प्रथम पीढी के उपरान्त द्वितीय पीढ़ी का प्रकोप देखा जा रहा है। इस कीट की पहचान के बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि इस कीट की मादा शलभ चॉदी जैसे सफेद रंग की होती है तथा पीछे की ओर नारंगी रंग की रोये दार संरचना पायी जाती है, यह रात्रि में गन्ने की पत्तियों के मध्य शिरा के पास 75 से 250 अण्डों के समूह में अण्डे देती है जो एक-दूसरे पर चढ़े हुये (ओवरलैप) तथा भूरे रंग के रोयेदार पदार्थ से ढ़के रहते हैं।

                                                               

इस कीट की सूड़ी हल्के पीले रंग की होती है जो कि पत्ती की मध्य शिरा से हाते हुये अगोले तक पहॅुच जाती हैं तथा अगोले की बिना खुली हुई पत्तियों को खाती है, जिससे अगोले की पत्तियों पर गोल छर्रे जैसे निशान दिखाई पड़ते है। सूड़ी द्वारा गन्ने के गोफ को खा जाने से उसमें सड़न पैदा हो जाती है तथा उसके नीचे की ऑखों से फुटाव हो जाता है। इसके फलस्वरूप शीर्ष भाग में मृतसार (डेड हर्ट) एवं बंचीटाप (झाड़ीनुमा  संरचना) बन जाती है।

श्री शुक्ल ने किसान भाइयों को सलाह दी कि वह अपने गन्ना खेतों की सुबह-सुबह निगरानी जरूर करें तथा खेत में यदि द्वितीय पीढ़ी के अण्ड समूह अथवा सूड़ियॉ दिखाई पड़े तो ऐसी प्रभावित पत्तियों को तोड़ कर के नष्ट कर दें, अन्यथा की स्थिति में सूड़ियॉ पत्ती की मध्य शीरा से प्रवेश कर गन्ने की गोफ में घुस जाती है और गन्ने की बढ़वार को रोक देती है।

                                                                    

अधिक प्रभावित पौधों को खुरपी से पूरा काट कर उसे नष्ट कर दें। निदेशक श्री शुक्ल ने कहा कि इस कीट की तीसरी पीढी सर्वाधिक नुकसान पहुॅचाती है जो जून के तीसरे सप्ताह में आती है और इस समय के अण्ड समूहों एवं सूड़ियो को एकत्र कर के नष्ट कर देने से इस कीट की सूड़ी गन्ने के गोफ में नहीं घुस पाती है तथा अगली पीढ़ी से होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है।

इस कीट के नियन्त्रण हेतु निदेशक श्री शुक्ल ने बताया कि इस कीट की प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से प्रभावित पौधों में मृतसार/डेडहर्ट बनने पर पौधों को जमीन की सतह से सूड़ी/प्यूपा सहित काटकर नष्ट कर दें तथा रसायनिक नियन्त्रण हेतु निदेशक ने बताया कि इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत रसायन को एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर थोड़ा सा सैम्पू मिलाकर पौधों पर छिड़काव करने से पौधे के ऊपर पाये जाने वाले अण्ड समूह एवं सूड़ियॉ एवं तितलियॉ नष्ट हो जाती है।

                                                                    

अधिक प्रभावित फसल एवं गोफ के अन्दर प्रवेश कर चुकी सूड़ियों को नष्ट करने के लिए क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल (कोराजन/सिटीजन) 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. 400 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में नमी की स्थिति में गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ड्रेन्चिंग करें और इसकी उपलव्धता न होने पर वर्टागो या फरटेरा का भी उपयोग किया जा सकता है।।

इस कीट के जैविक नियन्त्रण हेतु अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा जापोनिकम की 20000 वयस्क (4 से 5 ट्राईकोकार्ड) प्रति हेक्टेयर की दर से जून के अन्तिम सप्ताह से 15 दिन के अन्तराल पर लगाये जाने से यह चोटी बेधक के अण्डों को खा जाता है तथा फसल चोटी बेधक के प्रकोप से बच जाता है।

चोटी बेधक (टाप बोरर) कीट से बचाव हेतु किसान अपने गन्ना फसल की करें निगरानी- 

  • गन्ने की पत्ती की निचली सतह पर मौजूद अण्ड समूहों सहित प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट करें या चारे के लिए उनका उपयोग करें।
  • कीट के जैविक नियन्त्रण हेतु ट्राइकोकार्ड (5 कार्ड प्रति हैक्टर) की दर से 15 दिन के अन्तराल पर उपयोग करें।
  • पत्ती की सतह पर स्थित अण्ड समूहों व सूड़ी के नियन्त्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
  • वयस्क कीटों के नियन्त्रण हेतु फेरोमोन/लाइट ट्रैप का उपयोग करे।
  • गन्ने के भीतर की सूंड़ी के नियन्त्रण हेतु क्लोरेन्ट्रेनिलीप्रोल की जड़ों के पास करें ड्रेन्चिंग।

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