ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी पालन करने से कमा सकते हैं लाखों Publish Date : 17/08/2024
ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी पालन करने से कमा सकते हैं लाखों
डॉ0 पुतान सिंह एवं डॉ0 आर. एस. सेंगर
बकरी का पालन करने में कम लागत में बहुत अच्छा मुनाफा होता है। हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बकरी पालन बड़े पैमाने पर करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन आय का एक प्रमुख साधन भी है। वैज्ञानिक डॉ0 पुतान सिंह ने बकरी पालन को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि जनपद के तराई क्षेत्र की जलवायु के लिए ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां लाभदायक रहती हैं और इस नस्ल की बकरी गर्भधारण 5 माह के लिए कर लेती हैं और डेढ़ साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है।
वैज्ञानिक डॉ0 पुतान सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बरबरी नस्ल की भी बकरी का पालन किया जा सकता हैं। इस नस्ल की बकरी पालन करने से भी अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।
भारत में पशुपालन का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है और आलम यह है कि किसानों के साथ-साथ पढ़े-लिखे लोग भी अब नौकरी छोड़ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने के लिये पशुपालन कर रहे हैं। इसमें बकरी पालन सबसे ज्यादा डिमांडिंग बिजनेस है। इस व्यवसाय के जरिए दूध से लेकर मांस तक बेचकर मोटी कमाई की जा सकती है, क्योंकि बकरी के दूध और मांस दोनों की बाजार में आजकल काफी डिमांड है।
इस कारोबार को आरम्भ करना भी बेहद आसान होता है इसकी खास बात है कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी सहायता भी आसानी से मिल जाती है। वैज्ञानिक तरीके से बकरीपालन करने पर कम लागत में तीन से चार गुना तक अधिक आमदनी हो सकती है। ऐसे में देश में कई लोग बकरी पालन का कारोबार करके मोटी कमाई कर रहे हैं।
बकरी फार्म ग्रामीण इलाकों में तेजी से फल फूल रहे हैं, क्योंकि इससे दूध, खाद समेत कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। बकरी पालन करना किसानों के लिए काले सोने से कम नहीं है। इस नस्ल की बकरी में बंपर कमाई होती है। ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी भारत में पाई जाने वाली एक सबसे अधिक लोकप्रिय नस्ल है।
यह बकरी आकार में छोटी होती हैं, जिससे इन्हें कम जगह में भी पाला जा सकता है, वहीं इस नस्ल की बकरी एक साल में 3 से 4 बार बच्चे देती है, जिससे दुग्ध उत्पादन और बकरी की संख्या भी तेजी से बढ़ती है। साथ ही इसका इनका मांस बहुत ही स्वादिष्ट होता है और इसकी मांग बाजार में काफी अधिक बनी रहती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।