गन्ना बेल्ट में ‘पीला सोना’ बनी हल्दी की खेती      Publish Date : 21/06/2025

        गन्ना बेल्ट में ‘पीला सोना’ बनी हल्दी की खेती

                                                                                                                         प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट में मसालों की खेती से किसान अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक समेत कई राज्यों में मसालों की आपूर्ति की जा रही है। दौराला ब्लाक के अझौता ग्राम निवासी डा. अचल किरन मात्र दस बीघे के खेत में हल्दी की खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। आयुर्वेदिक गुणों से लबालब हल्दी के पाउडर और बीज दोनों को बेचकर आठ माह में पांच लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है। गन्ने के साथ सहफसली या एकल मसालों की खेती से बेहतर लाभ लेने का उदाहरण भी पेश किया।

                                                        

अझौता निवासी प्रगतिशील किसान डॉ0 अचल किरन अपने दस बीघा के रकबे में वर्ष 2010 से हल्दी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खेती शुरू करने से पहले उन्होंने हैदराबाद, बैंगलुरु समेत कई राज्यों में भ्रमण कर इसकी जानकारी प्राप्त की। पिछले साल जून माह में हल्दी की बुवाई की और दिसंबर से इसकी खोदाई शुरू की गई। आठ से नौ माह में प्रति बीघा 20 कुंतल हल्दी का उत्पादन प्राप्त हुआ। दस बीघे जमीन में 100 कुंतल का बीज तैयार हुआ, जिसे हिमाचल प्रदेश, नोएडा, गाजियाबाद के किसानों को चार हजार रुपये प्रति कुंतल की दर से बेच दिया गया।

महर्षि चरक के नाम से बेच रहे हल्दी पाउडर

वर्ष 2015 में प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर 100 कुंतल हल्दी का पाउडर तैयार किया गया। इस प्रकार दस बीघे के उत्पादन में 100 कुंतल पाउडर और 100 कुंतल बीज बनकर तैयार हुआ। डॉ0 अचल किरन ने एफएसएसएआइ का लाइसेंस प्राप्त कर महर्षि चरक के नाम से हल्दी का पाउडर बेचना शुरू किया। बाजार में 300 रुपये प्रति किलो तक का भाव मिला। इस प्रकार बीज और पाउडर दोनों बेचकर किसान अचल किरन ने लगभग दस लाख का टर्न ओवर प्राप्त किया। जिसमें से लागत निकालकर पांच लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा प्राप्त हुआ। डा. अचल कहते हैं कि हल्दी की फसल में कम लागत और अधिक लाभ प्राप्त होता है।

हल्दी के औषधीय गुण

हल्दी में एंटीआक्सीडेंट, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, एंटीसेप्टिक व एंटीबैक्टीरियल, लिवर डिटाक्स, कैंसर रोधी व अन्य गुण पाए जाते जिले में औषधीय व मसालों की खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। औद्यानिक खेती को सह-फसली खेती को भी किया जा सकता है। कई बड़ी कंपनियां मसालों या औषधीय उत्पादों को किसानों से सीधे खरीद लेती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।