गन्ने की फसल को सुरक्षित बनाने के लिए कुछ आवश्यक टिप्स      Publish Date : 20/06/2025

गन्ने की फसल को सुरक्षित बनाने के लिए कुछ आवश्यक टिप्स

                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

भारत में गन्ने की खेती न केवल कृषि अर्थव्यवस्था के विकास की धुरी है, बल्कि लाखों किसानों की रोजी-रोटी का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। देश में गन्ना मुख्यतः चीनी उत्पादन, गुड़ निर्माण और अब जैव-ईंधन (इथेनॉल) जैसे क्षेत्रों के उत्पादन के लिए उगाया जाता है।

भारत गन्ने की खेती के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। गन्ना एक नकदी फसल है, जो किसानों को स्थाई आमदनी और चीनी उद्योग को कच्चा माल प्रदान करता है। भारत में गन्ने की फसल विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और तमिलनाडु में प्रमुखता से उगाई जाती है। गन्ने के उत्पादन मामले में उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। इन दिनों प्रदेश के पूर्व, पश्चिम और मध्य में गन्ने की फसल खड़ी हुई है। यह वह मौसम है, जिसमें फसल पर उचित ध्यान देना बेहद जरूरी होता है।

आसान टिप्स से बढ़ सकती है गन्ने की फसल

                                                               

उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए गर्मी और बरसात के मौसम में फसल की बेहतर देखरेख से उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वी, मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की सिंचाई एवं देखभाल के लिए क्षेत्रीय रणनीति अपनाना बेहद जरूरी है। गन्ना किसान जरूरी और आसान टिप्स के माध्यम से अपनी फसल को न सिर्फ सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि इसमें रस की बढ़ोत्तरी भी कर कस्ते हैं।

इस तरह करें सिंचाई

गर्मी और मानसून के दौरान गन्ने की फसल को उचित सिंचाई देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र के किसान 4-5 बार सिंचाई करें। मध्य क्षेत्र के 5-6 बार और पश्चिमी क्षेत्र के गन्ना किसान 7-8 बार सिंचाई अवश्य करें। इनमें दो सिंचाई तो बारिश के दौरान ही करनी चाहिए जिससे कि मिट्टी में नमी स्थाई रूप से ही बनी रहे।

प्रत्येक सिंचाई के बाद गुड़ाई जरूरी

एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्मियों में प्रत्येक सिंचाई के बाद कस्सी, फावड़े या कल्टीवेटर से गुड़ाई करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है। ऐसा करने से पौधों की जड़ों को पर्याप्त वायु और नमी मिलती है, साथ ही खरपतवारों पर नियंत्रण भी बना रहता है। गन्ने के पौधे की मजबूती के लिए जून के अंत में हल्की मिट्टी और जुलाई में भरपूर मिट्टी चढ़ाना चाहिए। इससे पौधे की जमीन से पकड़ मजबूत होती है और फसल के गिरने की संभावना कम हो जाती है।

गन्ने की बंधाई

                                                    

गन्ने की बंधाई करने का वैज्ञानिक तरीका अपनाएं, जिससे गन्ने की टूटने की आशंका कम होती है और उसमें रस का संचय बढ़ता है। इसके लिए गन्ने की पहली बंधाई जुलाई के अंत तक, पौधे की लगभग 150 सेमी ऊंचाई पर करें। दूसरी बंधाई अगस्त में, पहली बंधाई से 50 सेमी ऊपर होने पर कर देनी चाहिए। तीसरी बंधाई अगस्त-सितंबर में, दो पंक्तियों के तीन-तीन थानों की एक साथ करनी जरूरी है।

समय पर करें गन्ने की कटाई

गन्ने की कटाई नवंबर से अप्रैल तक की जाती है, जो फसल की आयु, परिपक्वता और प्रजाति पर निर्भर करती है। समय पर कटाई से चीनी का परता अधिक मिलता है और गुणवत्ता भी बेहतर होती है। उपरोक्त दी गई टिप्स के माध्यम से गन्ना किसान न केवल गन्ने का उत्पादन बढ़ा सकते हैं बल्कि इससे वह अपनी आमदनी भी पर्याप्त रूप से बढ़ा सकते हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।