भूमि में पौषक तत्वों की कमी के लक्षण और पहचान      Publish Date : 08/06/2025

                        भूमि में पौषक तत्वों की कमी के लक्षण और पहचान

                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

नाइट्रोजन

नाइट्रोजन की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं और फसल की पत्तियों का रंग हल्के हरे रंग से बदलकर पीला हो जाता है। इस तत्व की अधिक कमी होने पर पौधों के पत्ते समय से पूर्व ही झड़ जाते हैं। पौधों की शाााएं एवंत ने पतले रह जाते हैं और पौधों का विकास भी रूक जाता है। इसके साथ ही पौधों पर लगने वाले फलों का आकार छोटा रह जाता है और लों की संख्या भी कम हो जाती है।

फॉस्फोरस

फॉस्फोरस तत्व की कमी के लक्षण भी सर्वप्रथम पौधों की पुरानी पत्तियों पर ही दिखाई देते हैं और प्रभावित पत्तियों का हरा रंग सामान्यतः लाल अथवा बैंगनी रंग में परिवर्तित हो जाता है। फॉस्फोरस की गम्भीर कमी होने पर पौधों की पत्तियों के सिरे नीचे की ओर मुड़ जाते हैं और पौधों की वृद्वि भी उचित तरीके से नहीं हो पाती है। इसके साथ ही प्रभावित पौधा पतला होता है और उसकी शाखाएं भी कम होती हैं। इससे प्रभावित पुरानी पत्तियों की वृद्वि रूक जाती है और उनके किनारे सूखने लगते हैं।

पोटेशियम

पोषक तत्व पोटेशियम की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की पुरानी पत्तियों पर ही दिखाई देते हैं। पोटेशियम की कमी के आरम्भिक दौर में पत्तियों की सों के बीच हल्का सा पीलापन आ जाता है और बाद में पत्तियों के किनार भुरे रंग के होकर सूख जाते हैं। पत्तियों में आया यह पीलापन पत्तियों के अग्रभाग से शुरू होर नीचे की ओर जाता है, जिसके कारण पतितयाँ झुलसी/जली हुई प्रतीत होती हैं। पोषक तत्व पोटेशियम की कमी के चलते वानस्पातिक अवस्था में पौधों का विकस रूक जाता है और पौधे अविकसित रह जाते हैं।

कैल्शियम

पोषक तत्व कैल्शियम की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं। कैल्शियम तत्व की कमी से फल के अंतिम भाग भूरे रंग का और धंसं हुए रहते हैं। पौधों की नई पत्तियाँ सफेद रंग की होकर सिकुड़ जाती हैं और उनकी वृद्वि रूक जाती है। कई बार पौधों के पत्ते ऊपर की ओर मुड़कर कप की शेप धारण कर लेते हैं। कैल्शियम की कमी से पौधों पर आने वाले नए फूल भी झड़ने लगते हैं।

मैग्नीशियम

मैग्नीशियम तत्व की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। इसमें पौधों की पत्तियों की नसों के बीच पीलापन आ जाता है और मैग्नीशियम की अत्याधिक कमी होने पर पूरी पत्ती पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। मैग्नीशियम तत्व की कमी के चलते पुरानी पत्तिया मुरझा जाती हैं और वह समय से पहले ही गिरने लगती हैं।

सल्फर

सल्फर तत्व की कमी सबसे पहले पौधों की छोटी पत्तियों पर दिखाई देती है, पत्तियों का रंग हरे रंग से ळलके हरे रंग की होकर पीली हो जाती हैं और धीमी वृद्वि के चलते यह पत्तियाँ अपना रंग खो देती हैं। लेकिन इसके उपरांत भी पत्तियों की नसे हरी ही बनी रहती हैं। सल्फर की कमी के चलते पौधे, छोटे और पतले-पतले डंठल और कम वृद्वि प्राप्त कर पाते हैं। इसके साथ ही पौधों की नई कोपलें बहुत नरम होती हैं जो आसानी से फट जाती हैं।

जिंक

पोषक तत्व जिंक की कमी भी सबसे पहले पौधों की नई पत्तियों पर दिखाई देती है और पत्तियों की नसों के बीच हल्के पीले रंग की पट्टियाँ दिखाई देने लगती हैं। इसके अलावा पत्तियों के बीच का अंतर भी कम हो जाता है, जिससे पौधों की वृद्वि रूक जाती है। जिंक की अधिक कमी होने पर पत्तियों पर लाल रंगी की ईंट के जैसे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

आयरन

आयरन की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की नई पत्तियों पर ही दिखाई देती है, इसकी कमी के चलते नई पत्तियाँ शुरूआत में पीली नजर आती हैं बकि पत्तियों की छोटी नसों का रंग हरा होता है। आयरन की अधिक कमी होने पर पौधों की पत्तियाँ पुर्णतः सफेद पीली हो जाती हैं। आमतौर पर पुरानी पत्तियाँ इससे अप्रभावित ही बनी रती हैं। हालांकि पत्तियाँ समान्य से छोटी होती हैं और अपरिपक्व पत्तियों पर अंतःस्रावी क्लोरोटिक धब्बे बन जाते हैं।

मैंगनीज

मैंगनीज की कमी से पौधों की नई पत्तियों के किनारे पीले दिखाई देने लगते हैं, जो बाद में भूरे रंग की होकर गिर जाती हैं और कई बार धूसर भूरे रंग के धब्बे, पत्तियों के निचले भाग पर नजर आते हैं। पौधों की पत्तियों का रंग अक्सर हल्के हरे रंग से सफेद रंग में बदल जाते हैं, जबकि पत्तियों की नसें हरे रंग की ही रहती हैं।

ताँबा (कॉपर)

ताँबा (कॉपर) की कमी के चलते पौधों के शीर्ष पर स्थित पत्तियाँ पहले मुरझाकर गहरे हरे रंग में परिवर्तित हो जाती हैं। पौधों की नई पत्तियाँ अक्सर अंदर की ओर मुड़ जाती है। और उसके बाद भूरे रंग में परिवर्तित होकर सूख जाती हैं। साथ ही पत्तियों के छोर झुलस कर सुई के जैसे दिखाई देने लगते हैं।

बोरॉन

तत्व बोरॉन की कमी में सबसे पहला लक्षण पौधों की नई पत्तियों में पीलापन, बौनापन और विकृत कोपल का होना होता है। इसकी कमी के चलते पौधों की वृद्वि तथा विकास पूरी तरह से रूक जाता है। इसके अतिरिक्त फूल और फलों का कम निर्माण और समय से पूर्व झड़ने की समस्या भी रहती है। इसके अलावा फलों का आकार, वजन और उसकी गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। अधिक कमी होने पर फलों में दरार का निर्माण होना भी देखा गया है।

मोलिब्डेनम

पौधों में मोलिब्डेनम की कमी के लक्षण, नाइट्रोजन की कमी से मिलते-जुलते ही होते हैं, क्योंकि मोलिब्डनम का मुख्य कार्य नाइट्रोजन उपापचय में होता है। पुरानी एवं मध्य पत्तियाँ पीले रंग की होनी शुरू हो जाती है और किनारों की ओर मुड़ने लगती है। इसकी कमी से पौधे का विकास अवरूद्व हो जाता है और पौधों पर फूलों का बनना भी रूक जाता है।    

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।