गन्ने मे हरी खाद का प्रबंधन कैसे करें?      Publish Date : 06/06/2025

            गन्ने मे हरी खाद का प्रबंधन कैसे करें?

                                                                                                                               प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं हिमांशु रंजन

आज के समय में लगातार एक के बाद एक फसल लेने के कारण हरी खाद बोने का समय ही नहीं मिल पाता है, जिसके हमारी मिट्टी की उर्वरा शक्ति ख़त्म होती जा रही है अथवा दूसरे शब्दों में कहे तो मिट्टी अब रिचार्ज नहीं हो पा रही है।

इस समस्या का समाधान

ट्रेंच विधि के गन्ने मे, जून के महीने मे मिट्टी चढ़ाने के बाद 60 दिन की अवधि वाली उड़द या मूंग की बुवाई करें और फिर उसकी खड़ी फसल को जोत देने के बाद स्वतः ही अपनी उम्र के साथ खेत मे ग़ल जाने के लिए छोड़ दे।

इससे प्राप्त लाभः

1. यह घास को रोकेगी या उसको पनपने नहीं देगी और खेत में खरपतवार नही होगी।

2. एक एकड के खेत मे करीब 12 बैग यूरिया के बराबर नाईट्रोजन देगी जो अगले 6-8 महीने तक मिट्टी मे बनी रहेगी।

3. प्रति एकड क्षेत्र में लगभग 4-5 टन तक का बायोमास (हरी जैविक खाद) दे कर जाएगी और अगली फसल के लिए मिट्टी को रिचार्ज भी करेंगी, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में बढ़ोत्तरी होगी।

4. सूक्ष्मजीव, बैक्टीरिया एवं केंचुओ आदि के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण होगा।

5. यह खेत मे नमी बनाये रखेगी, जिससे पानी की बचत होंगी और गन्ने की बढ़वार तेजी से होंगी।

6. अगर आपकी फसल पेड़ी गन्ना की है तो आप गन्ने के बाद गन्ना लगा सकते है, खेत मे पर्याप्त उर्वरा शक्ति बनी रहेगी।

हम आशा करते हैं कि उपरोक्त जानकारी किसान भाईयों के लिए काफी लाभदायक होंगी और वह इसे अपनाकर फसल के उत्पादन में वृद्वि कर अपनी आय को बढ़ाने में भी सफल रहेंगे।

लेखकः 1. प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।

2. हिमांशु रंजन आरएसएम पीजी कॉलेज धमपुर, बिजनौर।